पूरे विश्व में ऐसे अनेक धर्म हैं जिनका अनुसरण विभिन्न आबादी के द्वारा किया जाता रहा है। समय के साथ मान्यताओं के अनुसार ये धर्म विभिन्न शाखाओं या धाराओं में विभाजित होते गये और फलस्वरूप विश्व में अनेक धर्मों के अंतर्गत अनेक सम्प्रदायों का विकास होता गया। भारत में आज 2.3% जनसंख्या ईसाई आबादी के रूप में पहचानी जाती है अर्थात भारत में 2.78 करोड़ से अधिक लोग ईसाई धर्म का अनुसरण करते हैं जोकि 150 से अधिक संप्रदायों में विभाजित हैं। भारतीय ईसाई समुदाय में मुख्य रूप से लगभग 170 लाख कैथोलिक (Catholic) और 110 लाख प्रोटेस्टेंट (Protestant) शामिल हैं। यदि बात करें पूरे विश्व की तो आज ईसाई धर्म कई संप्रदायों में विभाजित है। इनमें कैथोलिक संप्रदाय लगभग 50.1%, प्रोटेस्टेंट संप्रदाय लगभग 36.7%, पूर्वी/ओरिएंटल रूढ़िवादी (Eastern/Oriental Orthodox) लगभग 11.9% तथा अन्य ईसाई सम्प्रदाय लगभग 1.3 % ईसाई आबादी को आवरित करते हैं।
संप्रदायों की सूची में पूर्वी कैथोलिक चर्च, पूर्वी रूढ़िवादी और ओरिएंटल रूढ़िवादी चर्च सहित पूर्वी कैथोलिक चर्च, कम से कम 2 लाख सदस्यों के साथ प्रोटेस्टेंट संप्रदाय, विभिन्न धर्मशास्त्रों के साथ अन्य सभी ईसाई शाखाएँ जैसे पुनर्स्थापनावादी (Restorationist) और नॉनट्रिनिटेरियन (Nontrinitarianian) संप्रदाय, स्वतंत्र कैथोलिक संप्रदाय और पूर्व के चर्च शामिल हैं। 2015 में लगाये गये अनुमान के अनुसार 242 करोड या 230 करोड अनुयायियों के साथ ईसाई धर्म दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समूह है। 132.9 करोड की आबादी के साथ कैथोलिक संप्रदाय ईसाई धर्म की सबसे बड़ी शाखा है और कैथोलिक चर्चों को सभी चर्चों में सबसे बड़ा माना जाता है। इसके अंतर्गत आने वाले लैटिन (Latin) चर्च, पूर्वी कैथोलिक चर्च, स्वतंत्र कैथोलिकवाद की आबादी क्रमशः 131.1 करोड, 1800 करोड, 1800 करोड है। इसके अलावा भी कैथोलिक संप्रदाय के अंतर्गत अनेक समूह हैं। प्रोटेस्टेंटवाद, अनुयायियों की संख्या के आधार पर ईसाइयों का दूसरा सबसे बड़ा समूह है जिसका अनुमान 80 करोड से 100 करोड या सभी ईसाइयों का लगभग 40% लगाया गया है। इसके अंतर्गत आने वाले समूहों या शाखाओं में ऐतिहासिक प्रोटेस्टेंटवाद, एंग्लिकनवाद (Anglicanism), बैपटिस्ट चर्च (Baptist churches), लुथेरानिज़्म (Lutheranism), मेथोडिज्म (Methodism), आधुनिक प्रोटेस्टेंटवाद (Modern Protestantism) आदि हैं जिनकी आबादी क्रमशः 30–40 करोड, 11 करोड, 7.5–10.5 करोड, 7–9 करोड, 6–8 करोड, 40–50 करोड है। पुनः इनकी अनेक शाखाएं विकसित हुई हैं। इसी प्रकार पूर्वी रूढ़िवादी संप्रदाय की आबादी 23 करोड आंकी गयी है जबकि ओरिएंटल ऑर्थोडॉक्सी (Oriental Orthodoxy) की आबादी 6.2 करोड आंकी गयी है। गैर-ट्रिनिटेरियन रेस्टोरेशनिज्म (Non-trinitarian Restorationism) की आबादी 3.5 करोड तथा अन्य विविध शाखाओं की आबादी 20 लाख के करीब आंकी गयी है।
ईसाई धर्म में संप्रदाय एक धार्मिक संगठन है जो स्थानीय सभाओं को एक एकल, कानूनी और प्रशासनिक निकाय में एकजुट करता है। एक संप्रदाय के लोग या सदस्य समान विश्वास या पंथ साझा करते हैं। वे समान प्रार्थना में भाग लेते हैं, और साझा उद्यमों को विकसित करने और संरक्षित करने के लिए एक साथ सहयोग करते हैं। प्रारंभ में, ईसाई धर्म को यहूदी धर्म का एक संप्रदाय माना जाता था किंतु जैसे-जैसे ईसाई धर्म का इतिहास आगे बढा वैसे-वैसे जाति, राष्ट्रीयता और धर्मशास्त्रीय व्याख्या का अंतर अनुकूलित हुआ और विविध संप्रदाय विकसित होने लगे। 1980 तक, ब्रिटिश सांख्यिकीय शोधकर्ता डेविड बी बैरेट (David B. Barrett) ने दुनिया में 20,800 ईसाई संप्रदायों की पहचान की। उन्होंने उन्हें सात प्रमुख गठबंधनों और 156 ईसाई धर्म सम्बंधी परंपराओं में वर्गीकृत किया। चर्च के इतिहास में सबसे पुराने संप्रदायों में से कुछ कॉप्टिक रूढ़िवादी चर्च (Coptic Orthodox Church), पूर्वी रूढ़िवादी चर्च और रोमन कैथोलिक चर्च हैं।
तुलनात्मक रूप से कुछ नए संप्रदाय हैं, जिनमें साल्वेशन आर्मी (Salvation Army), गॉड चर्च की असेंबली (Assemblies of God Church) और कैल्वरी चैपल मूवमेंट (Calvary Chapel Movement) शामिल हैं। ईसाई धर्म के समूहों को अलग करने के कई तरीके हैं। उन्हें कट्टरपंथी या रूढ़िवादी, मुख्य धारा और उदारवादी समूहों में विभाजित किया जा सकता है। उन्हें कैल्विनिज़्म (Calvinism) और आर्मिनियाईवाद (Arminianism) जैसी धार्मिक विश्वास प्रणालियों के रूप में पहचाना जा सकता है। और अंत में, ईसाइयों को बड़ी संख्या में संप्रदायों में वर्गीकृत किया जा सकता है। कट्टरपंथी/रूढ़िवादी/इंवेनजेलिकल (Evangelical) ईसाई समूहों का यह विश्वास है कि मोक्ष ईश्वर का एक मुफ्त उपहार है। यह पश्चाताप करने एवं पाप की क्षमा मांगने तथा प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में यीशु पर भरोसा करने से प्राप्त होता है। वे ईसाई धर्म को ईसा मसीह के साथ एक व्यक्तिगत और जीवित संबंध के रूप में परिभाषित करते हैं। वे मानते हैं कि बाइबल परमेश्वर का प्रेरित वचन है और सभी सत्य का आधार है। मुख्य धारा ईसाई समूह अन्य मान्यताओं और विश्वासों को अधिक स्वीकार करते हैं। उनके अनुसार एक ईसाई वह है जो ईसा मसीह और उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करता है। उनका मानना है कि उद्धार यीशु में विश्वास के माध्यम से होता है। उदार ईसाई समूह अधिकांश मुख्य धारा ईसाइयों से सहमत हैं और अन्य मान्यताओं और विश्वासों को और भी अधिक स्वीकार करते हैं। धार्मिक उदारवादी आमतौर पर नरक की व्याख्या प्रतीकात्मक रूप से करते हैं, वास्तविक स्थान के रूप में नहीं। वे एक प्रेममय परमेश्वर की अवधारणा को अस्वीकार करते हैं जो उन पर विश्वास न करने वाले मनुष्य के लिए यातना की जगह बनाता है। कुछ उदारवादी धर्मशास्त्रियों ने अधिकांश पारंपरिक ईसाई मान्यताओं को छोड़ दिया है या उनकी पूरी तरह से पुनर्व्याख्या की है।
भारत में आबादी का लगभग तीन प्रतिशत हिस्सा बनाते हुए, ईसाई हिंदुओं और मुसलमानों के बाद भारत में तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह बनाते हैं। मिजोरम, भारत का एकमात्र मुख्यतः ईसाई राज्य है, जो पश्चिमोत्तर भारत में है। कुछ स्थानों पर ईसाई धर्म को भारतीय मान्यताओं और आध्यात्मिकता की अवधारणाओं के अनुकूल बनाया गया है। ईसाई आश्रमों में, पुजारी भारतीय पोशाक पहनते हैं और हिंदू शैली के अनुष्ठानों में शामिल होते हैं। समूह के लोग वेदों की पवित्र ध्वनि ‘ओम’ का जाप करते हैं और हिंदू प्रसाद (पके हुए फल और मिठाई) का सेवन किया जाता है। कुछ समूह भक्ति गीत गाते हैं जो यीशु और कृष्ण की प्रशंसा करते हैं और शाकाहारी भोजन का सेवन करते हैं। भारतीय ईसाई शहरीकृत होते हैं और पश्चिमी पेशे जैसे शिक्षक, नर्स, बैंक क्लर्क (Bank clerk) और सिविल सेवक जैसे पदों पर काम करते हैं। 1991 की जनगणना के अनुसार भारत में ईसाइयों की कुल संख्या 196 लाख या 2.3 प्रतिशत थी। इन ईसाईयों में से लगभग 138 लाख लोग रोमन कैथोलिक थे, जिनमें सिरो-मलंकरा (Syro-Malankara) चर्च के 3,00,000 सदस्य शामिल थे। शेष रोमन कैथोलिक भारत के कैथोलिक बिशप सम्मेलन के तहत थे। कुल मिलाकर, भारत में 1995 तक 19 आर्कबिशप (Archbishop), 103 बिशप, और लगभग 15,000 पादरी थे। भारत में ईसाई धर्म का सबसे पहला रूप पहली शताब्दी में केरल में संत थॉमस ईसाइयों द्वारा अपनाया गया था। समय बीतने के साथ-साथ इसने विभिन्न चर्चों में विविधता उत्पन्न की। बाद में, रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट संप्रदाय यूरोपीय मिशनरियों (Missionaries) और उपनिवेशवादियों द्वारा पेश किए गए थे। कुछ लोगों का मानना है कि सबसे पहले ईसाई धर्म के प्रचारक संत थॉमस भारत आये थे। परंपरा के अनुसार वह भारत के मालाबार तट पर क्रैनगोर के पास मालियानकारा में ईसा पश्चात 52 में आये और दक्षिणी भारतीय क्षेत्रों की यात्रा करते हुए ब्राह्मणों सहित कई हिंदुओं का धर्म परिवर्तन किया।
भारत में ईसाई धर्म के साथ कई अन्य कहानियां जुडी हुई हैं। माना जाता है कि सीरियाई व्यापारियों द्वारा 4 वीं शताब्दी के आसपास केरल में ईसाई धर्म का प्रवेश हुआ था। ऐसा मानना है कि नेस्टोरियन (Nestorian) ईसाई धर्म को 6 वीं शताब्दी में मिशनरियों द्वारा उसी क्षेत्र में पेश किया गया था। पुर्तगालियों ने कैथोलिक धर्म का परिचय दिया और पुर्तगाली और इतालवी पादरियों को अपने साथ भारत लाये। पुर्तगाली शासन के तहत, कई भारतीयों को ईसाई धर्म में परिवर्तित किया गया तथा उनके अधीन महान चर्च बनाए गए। स्पेनिश ने पुर्तगाली की तुलना में स्थानीय आबादी के ईसाईकरण पर अधिक ध्यान दिया। संत फ्रांसिस जेवियर (Saint francis xavier - 1506-1552), प्रसिद्ध स्पेनिश जेसुइट मिशनरी (Spanish Jesuit missionary) जिन्होंने अपना जीवन एशिया में ईसाई धर्म का प्रसार करने के लिए समर्पित किया, ने पुर्तगालियों द्वारा नियंत्रित स्थानों पर स्थानीय लोगों को परिवर्तित करने के प्रयास का नेतृत्व किया। इसी प्रकार धीरे-धीरे अन्य ईसाई संप्रदायों का प्रसार भारत में तीव्र गति से होता गया।
चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में संत थॉमस (St. Thomas) को दक्षिण भारत में दिखाया गया है। (Publicdomainpictures)
2. दूसरे चित्र में दक्षिण भारत में ईसाई धर्म के लोग दिख रहे हैं। (Wikimedia)
3. तीसरे चित्रे में संत थॉमस के सम्मान में जारी भारतीय डाक टिकट को दिखाया है। (Ebay)
4. चौथे चित्र में भारत का सबसे प्राचीन चर्च दिखाया गया है, जो बेंगलुरु में है। (Wikipedia)
5. पांचवे चित्र में भारत में सीरियाई ईसाई समूह दिख रहा है। (Wikimedia)
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_Christian_denominations_by_number_of_members
2. https://www.learnreligions.com/christian-denominations-700530
3. https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_Christian_denominations_in_India
4. http://factsanddetails.com/india/Religion_Caste_Folk_Beliefs_Death/sub7_2f/entry-4161.html
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