जौनपुर की स्थापना के समय से ही यहाँ पर इस्लाम अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान पर काबिज रहा है। आज वर्तमान काल में हमें यहाँ पर इसके अनेकों प्रमाण बड़े पैमाने पर देखने को मिलते हैं। इन्हीं प्रमाणों में से एक जौनपुर मे बने हुये इमामबाड़ों में से एक इमामबाड़ा ऐसा है जिसका इतिहास अत्यंत ही महत्वपूर्ण है यह इमामबाड़ा है पंजे शरीफ का इमामबाड़ा।
पंजे शरीफ के मकबरे का निर्माण सन 1615 मे मुगल शासक शाहजहाँ के समय में कराया गया था। इस इमामबाड़े का निर्माण ख्व्वजा मीर के पुत्र सय्यद अली ने कराया था हालाँकि वे इसका निर्माण पूर्ण होने से पहले ही गुजर गए थे जिसके बाद इसका निर्माण मुसंभात चमन नामक एक महिला ने पूर्ण करवाया था।
इस इमामबाड़े के निर्माण के बाद इसके मेहराब पर एक फारसी का लेख उत्कीर्ण करवाया गया जिसके ऊपर लिखे अभिलेख से इस इमामबाड़े की सत्यता का पता चलता है। इस इमामबाड़े में कदम ऐ रसूल और हजरत अली का दस्त (हाथ) रखा गया है। ये हाथ और कदम ऐ रसूल सय्यद आली सऊदी (Saudi) और इराक (Iraq) से लाये गए थे।
पंजे शरीफ इमामबाड़ा जौनपुर का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण इतिहास है, जहां पर आज भी मुगल शैली का वास्तु देखा जा सकता है। यहाँ पर बना हुआ मुख्य द्वार और उसकी मेहराबें मुगल वास्तु शैली की अनामिकता प्रस्तुत करती हैं। यह इमामबाड़ा लखौरी ईंट और चुने शूरखी के संयोग से बनाया गया है जिसके मध्य मे एक गुंबद नुमा कक्ष बनाया गया है जो कि आम तौर पर मुगल वास्तु मे दिखाई देता है।
दुनिया भर में विभिन्न स्थानों पर कदम ऐ रसूल पाया जाता है, विभिन्न शहरों में कदम ए रसूल सीमित संख्या में हैं, लेकिन जौनपुर ऐसा शहर है जहां पर पाये जाने वाले कदम रसूलों की कुल संख्या 9 है। यह संख्या अपने में ही एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आश्चर्य से भरी हुयी है। अब यह प्रश्न जरूर उठता है कि आखिर ये कदम ए रसूल होते क्या हैं?
वास्तव में कदम ए रसूल पैगंबर मुहम्मद के पैरों को दिखाने वाले पत्थर हैं जिसपर मुहम्मद साहब के पैरों की एक छाप होती है। ये पत्थर कदम रसूल या कदम मुबारक के नाम से जाने जाते हैं। इस तरह के पत्थर पवित्र स्थलों पर रखे जाते हैं जिसकी मान्यता होती है मुहम्मद साहब की मौजूदगी।
एक कथा के अनुसार जब पैगंबर मुहम्मद पहाड़ों पर चला करते थे तो उस समय उनके पैरों के निशान उन पत्थरों पर बन जाया करते थे, कदम रसूल वही पत्थर हैं जिसे मक्का से लेकर दुनिया भर मे रखा गया है। भारत में हिन्दू और बौद्ध धर्मों में भी पैर के निशान वाले पत्थरों का एक अहम स्थान है जिसे विभिन्न स्तूपों और मंदिरों मे देखा जा सकता है।
भारत में विभिन्न स्थानों पर कदम ए रसूल पत्थरों को रखा गया है जैसे अहमदाबाद, दिल्ली, बहराइच, कटक, मुर्शिदाबाद, जौनपुर आदि। पुराने जौनपुर शहर मे बाग ऐ हाशिम मुहल्ले मे स्थित मुगल काल के एक मबकबरे मे एक कदम ऐ रसूल रखा गया है।
यहाँ पर लगाया गया यह कदम ऐ रसूल अकबर के समय के मोहम्मद हाशिम जो कि पटना के निवासी थे, वे हज से यह कदम रसूल लाये थे जिसे उन्होने अपने बड़े बेटे के कब्र पर लगा दिया था जो इस मकबरे मे स्थित है। आज यह मुहल्ला उन्ही मोहम्मद हाशिम के नाम से ही जाना जाता है।
चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में मोहम्मद हाशिम के बड़े बेटे की कब्र को दिखाया गया है, जिसके ऊपर कदम ए रसूल है।
2. दूसरे चित्र में कदम ए रसूल का स्पष्ट चित्र है।
3. तीसरे चित्र में मेहराब पर उत्कीर्ण फारसी लेख दिखाया गया है।
4. चौथे चित्र में कदम ए रसूल का चित्र है।
5. पांचवे चित्र में कब्रगाह का प्रवेशद्वार है।
6. छठे, सातवे और आठवें चित्र में कब्रगाह के अंदर मेहराब पर उत्कीर्ण-इंडोसारसेनिक वास्तु का नमूना है।
संदर्भ :
1. https://www.hamarajaunpur.com/2015/10/blog-post_46.html
2. https://jaunpur.prarang.in/posts/2459/there-is-a-different-type-of-kadam-rasool-in-jaunpur
3. https://www.hamarajaunpur.com/2014/03/blog-post_7381.html
4. https://www.jstor.org/stable/1523198?seq=1
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