जुलाई 2017 में वैज्ञानिकों ने एक रोचक तथ्य की खोज की- एक अजीबोगरीब प्रोटीन की जो गर्भवती महिलाओं की नसों में पाया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि किसी को भी नहीं पता कि उस प्रोटीन की भूमिका क्या है? कौन सा तथ्य है जो हीमो नाम के इस प्रोटीन को बाकी सब से अलग दिखाता है। यह प्रोटीन गर्भवती मां के शरीर में नहीं बनता बल्कि यह बनता है गर्भवती मां के भ्रूण के प्लेसेंटा (placenta) में। यह एकमात्र ऐसा प्रोटीन नहीं है जिसका इतना अनोखा मूल स्रोत है। हमारे डीएनए में लगभग 1,00,000 टुकड़े वायरल डीएनए के होते हैं। कुल मिलाकर यह हमारे ह्यूमन जीनोम के 8% होते हैं। हैरानी की बात यह है कि वायरल डीएनए हमारे शरीर में जो काम करता है, उसके बारे में हमारे वैज्ञानिकों को हाल ही में पता चला है। संभव है - हमारे शरीर में पाए जाने वाले कुछ प्राचीन वायरस हमें जानलेवा बीमारियों से बचा रहे हो या उनमें से कुछ हमारे अंदर कैंसर होने का खतरा बढ़ा रहे हो। हमारे वायरल डीएनए का ज्यादातर हिस्सा एक ही ग्रुप से आता है जिसका नाम है रेट्रोवायरस। रेट्रोवायरस वही ग्रुप है जिसमें एचआईवी भी शामिल है। रेट्रोवायरस बीमारियों का कारक भी है।
वायरस और इंसान के जटिल रिश्ते
जब हमें किसी वायरस से संक्रमण होता है, तब ऐसा संभव है कि वह वायरस अपनी अनुवांशिक सामग्री छोटे-छोटे हिस्सों में हमारे डीएनए में डाल दें। यह सिलसिला लाखों वर्षों से चला आ रहा है और इस वजह से आधुनिक मानवीय जीनोम का 10% हिस्सा वायरल आनुवंशिक सामग्री (Viral Genetic Material) का होता है। जैसे-जैसे समय बीतता गया बड़ी संख्या में वायरल आक्रमणकारी वायरस हमारे समाज पर हमला करने लगे और इस कदर रूपांतरित हो गए कि उनकी वजह से कोई सक्रिय संक्रमण होना रुक सा गया। लेकिन वायरस पूरी तरह से निष्क्रिय भी नहीं होते हैं। यह वायरल जींस के अनुक्रम जिन्हें एंडोजीनस रेट्रोवायरस (Endogenous Retrovirus) कहते हैं कभी-कभी हमारे शरीर में कैंसर जैसी बीमारी का कारण भी हो सकते हैं। यही नहीं, कभी-कभी इनके कारण दूसरे वायरस के संक्रमण हमारे शरीर को जल्दी प्रभावित कर लेते हैं। दूसरी तरफ वैज्ञानिकों का मत है कि कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि यह वायरस इंसानों को महत्व देते हैं जैसे कि यह इंसानों को कई जानलेवा बीमारियों से भी बचाते हैं वही मानवीय विकास के बेहद जरूरी पहलुओं को नया आकार भी देते हैं जैसे कि इंसान की माँस हजम करने की क्षमता।
20 साल पहले वैज्ञानिकों ने एक एंडोजीन रेट्रोवायरस से संबंधित प्रोटीन खोजा था जिसको सीनटीटिन (Syntytin) कहते हैं। यह मनुष्य के प्लेसेंटा के बारे में खास भूमिका अदा करता है। वायरस बहुत ही साधारण तरीके से काम करते हैं यहां तक कि उन्हें जिंदा रहने के लिए हमेशा खुद के शरीर की जरूरत नहीं होती। हर जीवित प्राणी की तरह वायरस की भी सिकार्डियम रिदम (Cicardium Rhythm) होती है। जहां एक ओर इंसानों में यह लय साइकिल ऑफ स्लीप एंड वैकफुलनेस (Cycle of Sleep and Wakefulness) यानी सोने और जागने के निश्चित समय के रूप में होती है, वहीं वायरस के सिकार्डियम रिदम का मतलब होता है, संक्रमण के मध्य निष्क्रियता का समय। जो ट्रू वायरस (True Virus) होते हैं, उनका शरीर प्रोटीन से बना होता है, लेकिन ट्रांसपोजोन्स (Transpozons) मोबाइल जेनेटिक एलिमेंट्स यानी सक्रिय अनुवांशिक तत्व होते हैं, यानी कि सीक्वेंस ऑफ डीएनए (Sequences of DNA) या फिर डीएनए के वे क्रम जो शारीरिक रूप से जिनोम के अंदर या बाहर आ जा सकते हैं। इसी वजह से इन्हें जंपिंग जीन (Jumping Genes) भी कहते हैं।
जहां एक और ह्यूमन जीनोम (Human Genome) का 8% हिस्सा ट्रांसपोसोन्ज (Transpozons) से बनता है लेकिन वायरस जीनोम का 50% हिस्सा ट्रांसपोसोन्ज (Transpozons) से बना होता है तो अब यह कहना गलत नहीं होगा कि हम इंसान वायरल वायरस (Viral Virus) जैसे अनुक्रम (सीक्वेंस) का बड़ा ढेर है। अतः हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि मानव जीनोम वायरस से भरपूर होता है। प्रोफेसर लुईस पी विलारेल (Professor Lewis P. Villarelli) (यू. सी. इरविन सेंटर फॉर वायरस रिसर्च (U.C. Irwin Center for Virus Research) के संस्थापक निर्देशकों में से एक) का कहना है कि वायरस इतने शक्तिशाली और प्राचीन हैं कि मैं संक्षेप में जीवन में उनकी भूमिका को इस तरह बताना चाहूंगा- 'एक्स वायरसोमेनिया (Ex-Virusomenia' यानी 'वायरस ही सबकुछ है (Virus is Everything)।
चित्र सन्दर्भ:
1. 45 दिनों में एक मानव भ्रूण। वैज्ञानिकों ने पाया कि भ्रूण और नाल द्वारा बनाया गया हेमो नामक एक प्रोटीन वायरल डीएनए से उत्पन्न होता है, जो हमारे पूर्वजों के जीनोम में 100 मिलियन साल पहले दर्ज किया गया था। (Omicron, Science Source/Youtube)
2. वायरस खुद को दोहराने और सभी प्रकार की जीवित चीजों को संक्रमित करने के लिए प्रतिलेखन और अनुवाद के सेलुलर तंत्र (डीएनए को आरएनए और आरएनए को प्रोटीन में बदल देते हैं) का उपयोग करते हैं। (Prarang)
3. इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के साथ विषाणु (विशेष रूप से बैक्टीरियोफेज)। (Wikimedia)
4. प्राचीन वायरस जो हमारे डीएनए में दफन हो गए है। (Flickr)
सन्दर्भ:
1. https://www.nytimes.com/2017/10/04/science/ancient-viruses-dna-genome.html
2. https://medium.com/medical-myths-and-models/the-human-genome-is-full-of-viruses-c18ba52ac195
3. https://www.newscientist.com/article/mg24532710-700-ancient-viruses-buried-in-our-dna-may-reawaken-and-cause-illness/
4. https://www.sciencedaily.com/releases/2016/11/161128151050.htm
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Endogenous_retrovirus
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.