भारत में मूंगे की चट्टानें या प्रवाल भित्तियां (Coral Reefs) भारत के सबसे प्राचीन और गतिशील पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है। ये न केवल समुद्री जीवन के लिए एक अभयारण्य प्रदान करती हैं, बल्कि तट को कटाव से बचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारत में द्वीपों सहित लगभग 7517 किमी समुद्र तट है लेकिन मुख्य भूमि तट 6100 किमी है।
कोरल रीफ बहाली (Restoration) पिछले कई दशकों में प्रमुखता से बढ़ी है, जिसकी वजह इन अभूतपूर्व चट्टानों का ग्रह के चारों ओर मर जाना। मूंगा के मारे जाने का कारण प्रदूषण, समुद्र का बढ़ता तापमान, अत्यधिक मौसम की घटनाएँ और अधिक गर्मी शामिल हो सकते हैं। वैश्विक स्तर पर मूंगा की गिरावट के साथ मछली नर्सरी, जैव विविधता, तटीय विकास और आजीविका, और प्राकृतिक सुंदरता खतरे में हैं। सौभाग्य से, शोधकर्ताओं ने 1970-80 के दशक में एक नए क्षेत्र प्रवाल बहाली (Coral Reefs Restoration) को विकसित करने के लिए प्रयास प्रारम्भ कर दिए थे। 485 मिलियन साल पहले अपने उद्भव के बाद से, प्रवाल भित्तियों को कई खतरों का सामना करना पड़ा है, लेकिन उनमें से कोई भी प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मानव गतिविधियों के समान रूप से हानिकारक नहीं है।
सन्दर्भ:
1. https://www.youtube.com/watch?v=yu52cLqMLKc
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Coral_reef
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.