वर्तमान समय में एनीमेशन (Animation) एक ऐसा शब्द बन चुका है, जिसे कभी न कभी आपने अवश्य सुना होगा। इसका प्रयोग आजकल विज्ञापन कंपनियों, शिक्षण संस्थानों, तथा अन्य विभिन्न उद्योगों में देखा जा रहा है। समय के साथ एनीमेशन के कई प्रकारों का उद्भव हुआ है जिनमें क्ले एनीमेशन (Clay Animation) भी एक है तथा इसे क्लेमेशन (Claymation) या कभी-कभी प्लास्टिसिन एनीमेशन (Plasticine Animation) के नाम से भी जाना जाता है जोकि स्टॉप-मोशन (Stop-motion) एनीमेशन के कई रूपों में से एक है। आमतौर पर इसके अंतर्गत प्रत्येक एनिमेटेड खंड, या पात्र या पृष्ठभूमि, तोड़े मरोड़े जा सकने वाले प्लास्टिसिन क्ले से बने होते हैं, जोकि एक नम्य पदार्थ होता है। क्लेमेशन कोई नई तकनीक नहीं है, यह प्लास्टिसिन के अस्तित्व में आने के बाद से चलायमान है और स्टॉप मोशन या फ्रेम-दर-फ्रेम (Frame-by-Frame) का एक रूप है, एक एनीमेशन तकनीक जो भौतिक रूप से हेरफेर करने वाली वस्तु बनाती है और अपने आप चलती प्रतीत होती है।
बार जब स्टोरीबोर्ड अनुक्रम के अनुसार मॉडल (Model) बना लिये जाते हैं तब तस्वीरों की एक श्रृंखला को लिया जाता है तथा घटना का भ्रम उत्पन्न करने के लिए तस्वीरों को तेजी के साथ क्रम से चलाया जाता है। फिल्म के प्रत्येक सेकंड को लगभग 24 अलग-अलग फ्रेम की जरूरत होती है और इस काम में महीनों लग सकते हैं। क्ले एनीमेशन में चुनौती यह है कि एक बार जब आप फुटेज शूट (Footage Shoot) करते हैं, तो आप वापस नहीं जा सकते हैं और ना ही अनुक्रम के बीच में फ़्रेम को संपादित कर सकते हैं। इसलिए, आपको समय और घटनाओं के बारे में बहुत सुनिश्चित होने की आवश्यकता होती है।
क्लेमेशन में शूटिंग लाइव एक्शन (Shooting live action) के लघु संस्करण (Miniature version) का उपयोग किया जाता है। इसके बाद एनिमेटर स्वयं कैमरा, रोशनी, पृष्ठभूमि और पात्रों को निर्धारित करता है, प्रत्येक अनुक्रम को फ्रेम बाय फ्रेम एनिमेट करता है और साथ ही साथ तस्वीरें भी लेता है। इस विधि का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों जैसे फीचर फिल्मों (Feature films), टेलीविजन श्रृंखला, विज्ञापनों और ई-लर्निंग (E-learning) परियोजनाओं के साथ-साथ वेब (Web) अनुप्रयोगों में भी किया जा सकता है। क्ले एनीमेशन ने स्टॉप मोशन के साथ, एनीमेशन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क्लेमेशन फिल्मों को 1897 में प्लास्टिसिन के आविष्कार के बिना सिल्वर स्क्रीन (Silver screen) पर नहीं बनाया गया। क्लेमेशन तकनीक का कुछ हद तक प्रयोग उसी प्रकार किया जा रहा है जैसे कला रूप में इसका प्रयोग पहली बार किया गया था।
इसके पात्रों को कवच (मिट्टी को चारों ओर फिट करने के लिए छोटे ढांचे) पर ढालने (Mould) से पहले क्ले का मोटा मिश्रण तैयार किया जाता है। और फिर लेटेक्स (Latex) में अवरित किया जाता है। फिर यह क्लेमेशन कलाकारों के ऊपर है कि वे अपनी फिल्म की आवश्यकतानुसार, मॉडल को किन स्थितियों में स्थानांतरित करते हैं। द स्कल्प्चर नाइटमेयर (The Sculptor’s Nightmare) शुरुआती ऐसी फिल्म थी जिसमें पहली बार क्लेमेशन और लाइव एक्शन फुटेज को मिलाया गया था। इसके बाद लॉन्ग लाइव द बुल (Long Live The Bull), गम्बी और पोकी (Gumby and Pokey), बिग ब्रेक (The Big Break), क्रिएचर कंफर्ट (Creature Comforts) आदि ऐसी फिल्में थी जिनमें क्लेमेशन तकनीक का उपयोग किया गया था। विलियम हर्बट ने 1897 में प्लास्टिसिन विकसित किया। अपनी शैक्षिक "प्लास्टिक विधि" को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने एक पुस्तिका बनाई जिसमें कई तस्वीरें शामिल थीं जो रचनात्मक परियोजनाओं के विभिन्न चरणों को प्रदर्शित कर रही थी।
चित्रों ने गति या परिवर्तन के चरणों के सुझाव दिये किंतु इस किताब का क्ले एनीमेशन फिल्मों पर सीधा प्रभाव नहीं था। फिर भी, प्लास्टिसिन उत्पाद क्ले के एनिमेटरों के लिए पसंदीदा उत्पाद बना क्योंकि सामान्य मिट्टी के विपरीत यह सूखा और कठोर नहीं था। एडविन एस पोर्टर की फन इन ए बेक्री शॉप (Fun in a bakery shop-1902) ने दिखाया कि बेकर का एकल शॉट (Shot) तुरंत आटे के एक पैच (Patch) को विभिन्न चेहरों में बदल देता है। इसने लाइटनिंग स्केच (Lightning sketches) के वैडविल (Vaudeville) प्रकार को दर्शाया जिसे जे स्टुअर्ट ब्लैकटन ने ‘द एनचांटेड ड्रॉइंग (The Enchanted Drawing - 1902)’ में स्टॉप ट्रिक्स (Stop tricks) के साथ फिल्माया। केवल मनोरंजन की दृष्टि से ही नहीं बल्कि आधुनिक युग में शिक्षा की दृष्टि से भी क्लेमेशन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि पारंपरिक पाठ्यपुस्तकें 21 वीं सदी के बच्चों की सीखने की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। दृष्टांत और कहानियाँ बच्चों को ज्ञान प्रदान करने के कुछ पुराने साधन हैं तथा शिक्षक, नवाचारकर्ता और सामग्री निर्माता अब इन समय-परीक्षणित तरीकों को फिर से देख रहे हैं। बच्चों को प्रासंगिक जानकारी देकर यह उनका ध्यान आकर्षित करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। एक शिक्षण पद्धति के रूप में क्लेमेशन को अपनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन शिक्षा में अब इसका उपयोग किया जा रहा है।
यह स्टॉप-मोशन एनीमेशन का एक रूप है, जहाँ वस्तुओं और पात्रों को मिट्टी या किसी अन्य सामग्री से गढ़ा जाता है। इससे बच्चों में उचित मानसिक कौशल का विकास होता है। इसलिए, बच्चों को क्लेमेशन वीडियो में दिखाई जाने वाली वस्तुओं को मिट्टी या अन्य सामग्रियों से पुन: उत्पन्न करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। भारत में, फिलहाल क्लेमेशन का दायरा बहुत सीमित है लेकिन बॉलीवुड के साथ एनिमेटेड फीचर फिल्में बनाने के विचार के साथ, यह एक बुरा कैरियर (Carrier) विकल्प नहीं हो सकता है। ऐसी कई कंपनियां हैं जो एनिमेटेड फीचर फिल्मों की योजना बना रही हैं, जिसे देखकर लगता है कि भारत में क्लेमेशन अब अपने छोटे-छोटे कदम आगे बढा रहा है।
चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में क्लेमेशन के लिए बनाये गए दो पात्र गए हैं। (Youtube)
2. दूसरे चित्र में क्लेमेशन फिल्म से लिए गया एक चित्रण है। (Flickr)
3. तीसरे चित्र में क्लेमेशन के लिए सांप दिखाए गए हैं। (Pexels)
4. चौथे चित्र में क्लेमेशन का एक और उदारणार्थ चित्र है। (unspalash)
5. अंतिम चित्र में एक स्टॉपमोशन के दौरान एक फ्रेम का चित्रण है। (Flickr)
संदर्भ:
1. https://www.telegraphindia.com/education/clay-play/cid/591074
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Clay_animation
3. https://bit.ly/3gXrfIo
4. https://www.pebblestudios.co.uk/2017/08/30/a-brief-history-of-clay-animation/
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