वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में है। भारत सहित अनेक देशों ने कोरोना विषाणु से लडने के लिए तालाबंदी को अत्यंत प्रभावी माना है, किंतु इसके साथ कई चुनौतियां उभर कर सामने आयी हैं। उद्योग बंद पडे हैं तथा कई श्रमिक बेरोजगार हो गये हैं। हालांकि तालाबंदी के बाद उद्योगों को खोला जा सकेगा किंतु अनेक श्रमिकों को वापस रोजगार दिला पाना एक कठिन कार्य हो सकता है। इस विकट परिस्थिति का सामना करने के लिए सरकार ने जहां श्रमिकों के लिए राहत पैकेज जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध करायी हैं वही अब केंद्र सरकार संगठित श्रमिकों जोकि कोरोनो महामारी के कारण अपनी नौकरी खो सकते हैं, को बेरोजगारी लाभ देने की योजना बना रही है। यह योजना, महामारी के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे कुछ देशों द्वारा अपनाये गए उपायों की तर्ज पर है।
सरकार की अटल बीमा व्यक्ति कल्याण योजना जो कर्मचारी राज्य बीमा (Employee State Insurance -ESI) योजना की सदस्यता प्राप्त कर्मचारियों को बेरोजगारी बीमा प्रदान करती है, महामारी के दौरान ऐसे श्रमिकों को आवरित करेगी। भारत सरकार ने घोषणा की है कि, वह कोरोना महामारी के प्रभाव के कारण नौकरी खोने वाले संगठित श्रमिकों के वर्ग को बेरोजगारी लाभ प्रदान करेगी तथा इस कार्य को अटल बीमा व्यक्ति कल्याण योजना के तहत किया जाएगा। इस योजना का लाभ पाने के लिए कर्मचारी राज्य बीमा में नामांकन आवश्यक है।
भारत में ईएसआई, औपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए स्व-वित्तपोषण स्वास्थ्य बीमा योजना है जिसे कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा प्रबंधित किया जाता है। जुलाई 2018 से शुरू हुई इस योजना के तहत, बेरोजगार होने वाले श्रमिकों को रोजगार छूट जाने के तीन महीने बाद तक नकदी के रूप में मुआवजा मिलता है। लेकिन इसका लाभ जीवन में केवल एक बार लिया जा सकता है। श्रम और रोजगार मंत्रालय योजना का विस्तार करना चाहते हैं और कोरोना महामारी से प्रभावित श्रमिकों को बेरोजगारी बीमा का लाभ उठाने का अवसर प्रदान करते हैं। इस योजना के तहत श्रमिकों को उस औसत वेतन का 25 प्रतिशत नकद प्राप्त होता है, जो उन्हें अपनी नौकरी के अंतिम दो वर्षों में मिल रही थी। हालांकि, बेरोजगारी लाभ प्राप्त करने के लिए श्रमिकों के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि उन्हें कम से कम दो वर्षों के लिए ईएसआईसी का ग्राहक होना चाहिए। जब जुलाई 2018 में इस योजना को प्रभावी किया गया था तब लगभग 10 लाख श्रमिक इसके पात्र थे।
अटल बीमा व्यक्ति कल्याण योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए कर्मचारी को ईएसआई अधिनियम 1948 की धारा 2 (9) के तहत होना आवश्यक हैं। राहत के लिए दावा करने से पहले बीमित व्यक्ति का दावा करने की अवधि के दौरान बेरोजगार होना आवश्यक है। बीमित व्यक्ति को दो वर्षों की न्यूनतम अवधि के लिए बीमा योग्य रोजगार में होना चाहिए। बीमित व्यक्ति को पूर्ववर्ती चार योगदान अवधि के दौरान 78 दिनों से कम का योगदान नहीं देना चाहिए. उसके सन्दर्भ में योगदान नियोक्ता द्वारा भुगतान किया जाना आवश्यक है।
बेरोजगारी की आकस्मिकता का कारण दुराचार या अवमानना के परिणामस्वरूप दिया गया दंड नहीं होना चाहिए और न ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए होनी चाहिए। बीमित व्यक्ति के आधार और बैंक खाते को बीमित व्यक्ति डेटाबेस (Database) के साथ जुड़ा होना आवश्यक है। वर्तमान समय में सार्वजनिक रूप से प्रदान की गई बीमा योजनाओं की अत्यंत आवश्यकता है। प्रसिद्ध सूचना समस्याओं (नैतिक खतरा, प्रतिकूल चयन), और सहसंयोजक जोखिम के कारण श्रम-जोखिम के खिलाफ निजी बीमा के लिए बाजार खो गया है। इस स्थिति में सामाजिक बीमा श्रमिकों को आय जोखिम से सुरक्षा प्रदान करके उनके कल्याण को आगे बढाती है। जब जोखिम न उठाने वाले कर्मचारी, श्रम-बाजार जोखिम के खिलाफ बीमा करने में असमर्थ होते हैं तब अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि श्रमिक अधिक उत्पादक लेकिन जोखिम भरा काम करने से बचते हैं। फर्म (Firm) द्वारा उन श्रमिकों जोकि उस श्रम के लिए उपयुक्त नहीं होते, को हटा देने के कारण जब बेरोजगारी पैदा होती है तो श्रमिकों का जोखिम न उठाना अक्षमता को जन्म देता है।
यदि कोई फर्म बहुत ही चयनात्मक है और अन्य श्रमिकों को निकालते समय केवल उच्च उत्पादकता वाले श्रमिकों को रखता है, तब जोखिम न उठाने वाले श्रमिक जोकि यह जानते हैं कि उनके रोजगार खोने की सम्भावना कम है, ऐसे फर्म में नौकरी स्वीकार करने से पहले उच्च वेतन की मांग करेंगे। इस मामले में, एक फर्म कम उत्पादकता वाले श्रमिकों को रखकर कम कर्मचारियों को हटा देना बेहतर समझेगा जोकि कम वेतन की पेशकश करने की अनुमति देता है। ऐसे परिदृश्य में, वैश्वीकरण, जो आम तौर पर कल्याण को बढ़ाने वाला होता है, न केवल श्रमिकों के कल्याण को कम कर सकता है, बल्कि सामाजिक कल्याण को भी कम कर सकता है। इस अक्षमता को सामाजिक बीमा उपकरणों जैसे बेरोजगारी बीमा या भत्ता या फर्मों द्वारा निकाल दिए गए श्रमिकों को उनके द्वारा पृथक्करण भुगतान प्रदान करके कम किया जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का अनुमान है कि कोविड (COVID-19) के प्रभाव के कारण दुनिया भर में 250 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं। इसका अनुमान है कि ‘निम्न परिदृश्य’ पर 53 लाख तथा उच्च परिदृश्य पर 247 लाख नौकरियों का नुकसान हो सकता है। भारत में भी श्रमिकों के रोजगार पर कोरोना विषाणु का व्यापक प्रभाव महसूस किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एयरलाइनों (Airlines) के बंद होने से पायलटों और चालक दल को बिना वेतन के छुट्टी लेने के लिए कहा जा रहा है। यात्रा, पर्यटन, खुदरा क्षेत्र, ऑटोमोबाइल (Automobiles) और फार्मास्युटिकल्स (Pharmaceuticals) पर भी प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। ऐसे में, विशेषज्ञों का मानना है कि प्रभावित श्रमिकों को बेरोजगारी बीमा प्रदान करने के लिए भारत सरकार का कदम देश के कार्यबल के एक बड़े हिस्से को आवरित करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है। यह योजना, आवरण (Coverage) में संकीर्ण है तथा उस प्रभाव की भयावहता की संवेदनशीलता को दर्शाने में अक्षम है जो कोरोना विषाणु का नौकरियों के बाजार पर होगा। यह सरकार की खराब कल्पना को प्रतिबिंबित करता है। इसके बजाय सरकार को सार्वभौमिक बेरोजगारी योजना की दिशा में काम करना चाहिए।
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में संगठनात्मक कार्यकर्ताओं में से एक को काम करते हुए दिखाया गया है। (Unsplash)
दूसरे चित्र में अटल पैंशन योजना के बैनर एड को दिखाया गया है। (upgov)
तीसरे चित्र में श्रमिकों के एक संगठन को दिखाया गया है। (Flickr)
अंतिम चित्र में पेंशन योजना के अन्य संदेशात्मक विज्ञापन है। (upgov)
संदर्भ:
1. https://vikaspedia.in/social-welfare/unorganised-sector-1/schemes-unorganised-sector/atal-beemit-vyakti-kalyan-yojana
2. https://www.ideasforindia.in/topics/social-identity/why-india-needs-unemployment-insurance.html
3. https://economictimes.indiatimes.com/wealth/insure/the-truth-about-job-loss-insurance-not-as-dependable-as-you-may-think/articleshow/59048754.cms?from=mdr
4. https://www.business-standard.com/article/economy-policy/india-to-offer-unemployment-benefits-to-workers-affected-by-coronavirus-120031901409_1.html
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