बचपन की यादों से जुड़ा पसंदीदा पेय है, लेमनेड या नींबू पानी

जौनपुर

 26-05-2020 09:45 AM
स्वाद- खाद्य का इतिहास

खाद्य पदार्थ तथा पेय पदार्थ (जोकि हमें अपने घर, माँ, परिवार, नगर, संस्कृति या समुदाय की याद दिलाते हैं) के बीच महत्वपूर्ण अंतर हमारी यादों के साथ इनके जुड़ाव और सुगंध का है। प्रत्येक भोज्य पदार्थ की अपनी एक विशिष्ट सुगंध तथा स्वाद होता है जो हमारी हजारों यादों के साथ जुडा है। एक पेय भी मस्तिष्क में उन्हीं न्यूरॉन्स (Neurons) को जाग्रत कर सकता है, जो हमें इन सभी यादों की याद दिलाता है किंतु अपने बचपन की स्मृति या किस्से को वापस याद दिलाने के लिए आपको उस पेय के कुछ घूंट पीने होंगे जो आपकी यादों से जुड़े हैं। चिलचिलाती भारतीय गर्मियां भी लंबी-दफन यादों की याद दिला सकती हैं क्योंकि इस समय हम ऐसे पेय पदार्थों को उपभोग करते हैं जो सालों से हमारे जीवन का हिस्सा रहे हैं विशेषकर गर्मियों में।

लेमनेड (Lemonade) भी इसी प्रकार का पेय पदार्थ है जोकि केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अत्यधिक प्रसिद्ध है तथा पारंपरिक रूप से अपने नींबू के स्वाद के लिए जाना जाता है चाहे वह मीठा हो या न हो। लेमनेड की किस्मों को अधिकांशतः दो अलग-अलग प्रकारों में विभाजित किया जाता है, पहला अपारदर्शी लेमनेड तथा दूसरा पारदर्शी लेमनेड। अपारदर्शी लेमनेड अधिकांशतः पारंपरिक घरेलू पेय के रूप में उत्तरी अमेरिका और दक्षिण एशिया में पीया जाता है जहां इसे नींबू का रस, पानी और एक मीठे पदार्थ जैसे गन्ने से बनी चीनी, चीनी के रस, शहद आदि से बनाया जाता है। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में पारदर्शी लेमनेड प्रसिद्ध होता है, जो प्रायः कार्बोनेटेड (Carbonated) होता है। भारत और पाकिस्तान में, लेमनेड को आमतौर पर नींबू पानी के रूप में जाना जाता है, जिसमें नमक और अदरक के रस का भी प्रयोग किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में इन्हें शिकंजी के रूप में ग्रहण किया जाता है।

शिकंजी एक प्रकार का पारंपरिक लेमनेड ही है जोकि भारत के उत्तरी भाग से उत्पन्न हुआ है। वैकल्पिक रूप से इसे शिकंजबेन, शिकंजीवी आदि नामों से भी जाना जाता है, तथा इसे बनाने के लिए प्रायः नीबू का रस, अदरक का रस, बर्फ और पानी का प्रयोग किया जाता है। किंतु अक्सर एक अलग स्वाद देने के लिए इसमें नमक, केसर, जीरा और अन्य मसालें भी मिलाये जाते हैं। इसे बनाने के लिए एक गिलास ठंडे पानी में दो नींबू का रस, अदरक का रस, चीनी, नमक और काली मिर्च को डालकर मिलाना होता है। एक विभित्त्र स्वाद के लिए पुदीने की पत्तियों का रस, गुलाब जल आदि का प्रयोग भी किया जा सकता है। नींबू की सही उत्पत्ति का पता लगाना आसान नहीं है, लेकिन एक नए शोध ने इसके वंशक्रम को खट्टे संतरे और साइट्रोन (Citron) की एक संकर प्रजाति के रूप में स्पष्ट किया है। किसी भी भाषा में नींबू के पेड़ का पहला स्पष्ट साहित्यिक साक्ष्य दसवीं सदी की शुरुआत में कुस्तुस अल-रूमी द्वारा खेती पर किये गये उनके अरबी कार्य में मिलता है। नींबू पानी का सबसे पहला लिखित प्रमाण मिस्र से आता है। मिस्र में नींबू के पहले संदर्भ का श्रेय 10 वीं सदी के मिस्र के जीवन के बारे में लिखने वाले, फारसी कवि और यात्री नासिर-ए-ख़ुसरो को दिया जाता है। बारहवीं शताब्दी के अंत में, महान मुस्लिम नेता सलादीन के निजी चिकित्सक इब्न जामी ने नींबू पर एक ग्रंथ लिखा। काईरो में मध्ययुगीन यहूदी समुदाय ने 13 वीं शताब्दी के दौरान कतरमीजात (Qatarmizat) नामक शक्करयुक्त नींबू के रस का सेवन, व्यापार और निर्यात था।

चौदहवीं शताब्दी के मिस्र के लोग नींबू से परिचित थे। मिस्र के भूमध्यसागरीय तट के साथ, लोगों ने कशकाब पिया जोकि किण्वित जौ और पुदीना, काली मिर्च, और नींबू के पत्तों से बनाया जाता था। ऐसा प्रतीत होता है कि सभी अमेरिकी ग्रीष्मकालीन पेय, नींबू पानी, की उत्पत्ति मध्ययुगीन मिस्र से हुई है। हालाँकि नींबू की उत्पत्ति पूर्व में हुई है, और नींबू पानी का पूर्वी देशों में बहुत अच्छी तरह से आविष्कार किया गया है, लेकिन नींबू पानी का सबसे पहला लिखित प्रमाण मिस्र से आया है। भारत भर में शीतलन पेय के रूप में नींबू पानी के अनेकों स्थानीय संस्करण मौजूद हैं तथा कई लोगों के लिए यह एक छोटे स्थानीय उद्यम के रूप में भी उभरा है। यूरोप के बाद 18 वीं शताब्दी तक, नींबू पानी अमेरिका में भी लोकप्रिय होने लगा था तथा विक्टोरियन युग के दौरान, महिलाओं ने शराब का विरोध करते हुए लेमनेड को शराब के विकल्प के रूप में चुना। पेरिस की यदि बात की जाए तो पेरिस में लेमनेड की शुरूआत 20 अगस्त, 1630 को हुई। पूरे यूरोप में लोकप्रिय होने के दौरान, नींबू पानी पेरिस में इतना फैशनेबल (Fashionable) हो गया था कि 1676 में विक्रेताओं ने कॉम्पैग्नी डी लिमनअडायर्स (Compagnie de Limonadiers) नामक एक संघ का भी गठन किया।

चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में पुदीना युक्त पारम्परिक उत्तरी भारत का निम्बू पानी है। (Pexels)
2. दूसरे चित्र में भारतीय सडकों पर बिकने वाला बंटा लेमनेड दिखाया गया है। (Unsplash)
3. तीसरे चित्र में क्लॉउडी लेमनेड दिख रहा है। (freepik)
4. चौथे चित्र में भारतीय सडकों पर रोज़गार के रूप में निम्बू पानी की दूकान। (Flickr)
5. पांचवे चित्र में भी रोज़गारित करती हुई निम्बू पानी की दूकान दिख रही है। (Wallpaperflare)
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Lemonade
2. http://www.cliffordawright.com/caw/food/entries/display.php/topic_id/17/id/95/
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Shikanjvi
4. https://www.livemint.com/Opinion/FbULQhaDTPnAsp0977lwtN/The-lemonade-trail.html
5. https://recipes.howstuffworks.com/what-is-history-lemonade.htm



RECENT POST

  • एल एल एम क्या है और कैसे ये ए आई तकनीक, हिंदी के विकास में योगदान दे रही है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     10-01-2025 09:26 AM


  • चलिए समझते हैं ब्लॉकचेन तकनीक और क्रिप्टोकरेंसी में इसके अनुप्रयोग के बारे में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:22 AM


  • आइए जानें, आज, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में, कितने अदालती मामले, लंबित हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:19 AM


  • विश्व तथा भारतीय अर्थव्यवस्था में, इस्पात उद्योग की भूमिका और रुझान क्या हैं ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:36 AM


  • भारत में, परमाणु ऊर्जा तय करेगी, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का भविष्य
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:25 AM


  • आइए देखें, कुछ बेहतरीन तमिल गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:19 AM


  • दृष्टिहीनों के लिए, ज्ञान का द्वार साबित हो रही ब्रेल के इतिहास को जानिए
    संचार एवं संचार यन्त्र

     04-01-2025 09:22 AM


  • आइए, चोपानी मंडो में पाए गए साक्ष्यों से समझते हैं, ऊपरी पुरापाषाण काल के बारे में
    जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

     03-01-2025 09:20 AM


  • सोलहवीं शताब्दी से ही, हाथ से बुने हुए कालीनों का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है जौनपुर
    घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

     02-01-2025 09:31 AM


  • जन्म से पहले, भ्रूण विकास के कई चरणों से गुज़रता है, एक मानव शिशु
    शारीरिक

     01-01-2025 09:19 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id