वर्तमान समय में सन्देश भेजना कितना आसान है ना? बस मोबाइल खोला और सन्देश भेज दिया , अब तो सन्देश भी कितने ही प्रकार के भेजे जा सकते हैं, लिखित, चित्र, विडियो (Video), और आवाज आदि। इस स्तर पर अचानक नहीं पहुंचा जा सका है इसके लिए ऐतिहासिक रूप से कई सौ वर्ष का श्रम लगा है। औपनिवेशिक काल के दौरान टेलीग्राफ कोड (Telegraph Code) हुआ करता था जिससे लोग सन्देश भेजा करते थे कालान्तर में यह इलेक्ट्रिक टेलीग्राफी (Electric telegraphy) तक पहुंचा और इसी के साथ यह फ़ोन (Phone), तार आदि तक विकसित हुआ। इस लेख के माध्यम से हम टेलीग्राफ और टेलीग्राफी के विषय में जानेंगे।
टेलीग्राफी एक प्रकार का लम्बी दूरी का पाठीय संचार प्रणाली है जहाँ पर शब्दों की जगह प्रतीकात्मक कोडों का प्रयोग किया जाता है। टेलीग्राफ की अपनी एक पुस्तिका होती है जिसमे सभी प्रकार के प्रतीकों की जानकारी अंकित होती है तथा उसी कोड से व्यक्ति को उसमे अन्तर्निहित सन्देश की जानकारी हो जाती है। शुरूआती दौर में फ्रेंच वैज्ञानिक क्लूड सेप (Claude chappe) द्वारा ऑप्टिकल टेलीग्राफ (Optical telegraph) का व्यापक प्रयोग किया जाना शुरू हुआ था जिसका प्रयोग 18वीं शताब्दी के अंत में किया गया था। नेपोलियन (Nepolian) युग के दौरान इसका व्यापक प्रयोग यूरोप (Europe) में होना शुरू हुआ। यह 19वीं शताब्दी थी जब इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) टेलीग्राफ की शुरुआत हुयी थी। इस प्रणाली को सबसे पहले ब्रिटेन में शुरू किया गया तथा इसका प्रथम प्रयोग रेल संचार प्रणाली में किया गया था। रेल में इसका प्रयोग दुर्घटनाओं आदि को रोकने के लिए किया गया था। टेलीग्राफ सन्देश को टेलीग्राम (Telegram) के रूप में जाना जाता था। ब्रिटेन द्वारा जो टेलीग्राफ तकनिकी प्रयोग में लायी गयी उसे कूक और व्हिटस्टोन (Cook and whitstone) द्वारा विकसित किया गया था।
कालान्तर में समुअल मोर्स (Samuel Morse) द्वारा एक अलग प्रणाली का अनुसरण किया गया जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रतिपादित किया गया। क्लूड सेप द्वारा किये गए बदलाव में कोड का प्रयोग कर के विद्युत् टेलीग्राफ की संज्ञा दी गयी लेकिन पहली बार अन्तराष्ट्रीय स्तर पर मोर्स सिस्टम को मानक सन 1865 में माना गया जो कि जर्मनी (Germany) में मोर्स कोड को संसोधित कर के विकसित किया गया था। शुरूआती दौर में टेलीग्राफ अत्यंत ही महंगा साधन था परन्तु कालान्तर में इसकी कीमतों में पर्याप्त गिरावट आई और यह सन्देश भेजने का एक आसान और लोकप्रिय साधन बन गया था। इस सम्पूर्ण प्रणाली को कोड के जरिये व्यवस्थित किया गया था तथा इसकी शुरुआत बाडोट कोड (Baudot Code) से हुई थी। टेलीग्राफ एक अत्यंत ही गुप्त विधा से कार्यरत होते थे इसीलिए टेलीग्राफ प्रत्येक सैन्य, गुप्त कोड, आदि के लिए भी जाने जाते थे इनके सहारे ही विभिन्न स्थानों पर गुप्त सन्देश भी भेजे जाते थे। कई बार ऐसा भी होता था कि अलग अलग देशों की सैनिक व्यवस्था के अपने अलग अलग कोड होते थे जिन्हें कि कोई और समझ नहीं पाता था जिसके कारण सैन्य संदेशों को आसानी से भेजा जा सकता था।
इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) टेलीग्राफ सूइयों के आधार पर कार्य करता है जिसमे प्रत्येक सूइयां चुम्बकीय बल के आधार पर सन्देश देने का कार्य करते हैं। पूरा का पूरा टेलेग्राफी तंत्र कोडों के माध्यम से ही कार्य करता था जिसमे प्रत्येक शब्द या वाक्य के लिए एक कोड हुआ करता था और इन्ही कोडों के आधार पर ही लोग एक दूसरे से सन्देश का व्यवहार किया करते थे। वर्तमान काल में एक ऐसी विधा विकसित है जो कहीं न कहीं से प्राचीन टेलीग्राफ से सम्बंधित है और इसे क्रिप्टोग्राफ़ी (Cryptography) कहा जाता है। यह एक ऐसी विधा है जो कि किसी तीसरे व्यक्ति को कोई सन्देश पढने से रोकने का कार्य करता है जिससे उस सन्देश की गोपनीयता बरकरार रहती है। इसमें भुगतान, डिजिटल मुद्रा (Digital Money) कम्प्यूटर (Computer) पासवर्ड (Password) और सैन्य संचार सम्बन्धी सेवायें आदि आते हैं। यह प्रणाली भी एक प्रकार के कोड पर कार्य करता है जिसकी जानकारी मात्र सन्देश प्राप्त करने वाले तक सीमित रहती है। प्रथम विश्वयुद्ध में रोटर साइफर (Rotor Cipher) मशीनों के विकास और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान कंप्यूटर के आगमन के बाद क्रिप्टोग्राफ पर अधिक तेजी से कार्य होना शुरू हुआ। वर्तमान समय का क्रिप्टोग्राफ जटिल गणितीय सिद्धांतों और कंप्यूटर विज्ञान पर आधारित है जो अल्गोरिथम (Algorithm) पर आधारित होता है। इस प्रकार हम यह देख सकते हैं कि किस प्रकार से वर्तमान सन्देश प्राचीन कोड प्रक्रिया पर आधारित हैं और हमें सुरक्षा प्रदान करने का कार्य कर रहे हैं।
चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र मोर्स कोड के साथ टेलीग्राफ रिसीवर दिखाई दे रहा है। (Flickr)
2. दूसरे चित्र में इलेक्ट्रिक प्रिंटिंग टेलीग्राफ रिसीवर दिखाया गया है। (Wikimedia)
3. तीसरे चित्र में हाथ द्वारा चलने वाली मोर्स कोड टेलीग्राफी मशीन है। (Publicdomainpictures)
4. चौथे चित्र में हाथ से चलने वाली टेलीग्राम परेशान मशीन दिख रही है। (Unsplash)
5. पांचवे चित्र में स्टीमबोट में प्रयोग की जाने वाली टेलीग्राम मशीन है। (Pexels)
6. छटे चित्र में विद्युत् द्वारा चलने वाली मोर्स कोड और टेलीग्राफ संवाहक दिख है। (Peakpx)
सन्दर्भ:
1. http://cryptiana.web.fc2.com/code/telegraph2.htm#SEC1
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Telegraphy#Early_signalling
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Cryptography#Modern_cryptography
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