चूहों से नहीं फैली थी ब्लैक डेथ नामक महामारी?

जौनपुर

 09-05-2020 10:00 AM
स्तनधारी

पृथ्वी अपने विकास काल से ही अनेकों जीवों का गृह रही है, यही कारण है कि इस गृह पर करोड़ो प्रकार के जीव, सरीसृप, कृतंक आदि पाए जाते हैं। इनमे से कृतंक एक ऐसे जीव हैं जो भारत में प्रत्येक स्थान पर बड़े पैमाने पर पाए जाते हैं। भारत में इनकी करीब 80 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। अब जब हम कृतंक की बात कर रहें हैं तो यह भी जानना अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि आखिर ये कृतंक होते क्या हैं?

कृतंक मूलरूप से चूहे, छछूंदर, गिलहरी आदि प्रकार के जीव होते हैं। वर्तमान युग इस सदी की सबसे खतरनाक महामारी से जूझ रहा है जिसमें पूरा विश्व गरीबी के साए में जीने को मजबूर हो रहा है, ऐसे में प्राचीन काल में हुई कुछ अन्य महामारियों और उनके वाहक के विषय में जानना जरूरी हो जाता है। शुरूआती समय से ही माना जाता जा रहा है कि कृतंक ऐसे जीव हैं जो कि बड़ी महामारियां फैलाने का कार्य करते हैं और यही कारण है कि समाज में इन जीवों के लिए एक अलग ही सोच व्याप्त है। ब्लैक डेथ (Black Death) , प्लेग (Plague) आदि ऐसी महामारियां इस विश्व पर आयी हैं जिन्होंने पूरे के पूरे इतिहास को परिवर्तित करने का कार्य किया है।

ब्लैक डेथ को द पेस्टाईलेंस (The Pestilence) और प्लेग (Plague) के नाम से जाना जाता है, यह महामारी दुनिया की अब तक की सबसे खतरनाक महामारी के रूप में जानी जाती है। इस महामारी ने करीब 75 से 200 मिलियन (Million) लोगों को मौत के घाट उतारा था। यह महामारी सबसे ज्यादा तेज़ी से यूरोप (Europe) में सन 1347 से 1351 के मध्य में फैली थी। यह बक्ट्रियम येर्सिनिया पेस्टिस (bacterium Yersinia pestis) के कारण होने वाली बिमारी थी। ब्लैक डेथ के विषय में कहा जाता है कि यह संभवतः मध्य एशिया और उत्तरी एशिया से पैदा हुआ था तथा यह सिल्क रूट (Silk Route) के जरिये क्रीमिया (Crimea) में 1347 में पहुंचा था। ऐसा कहा जाता है कि यहीं से काले चूहों के ऊपर आश्रित मक्खियों द्वारा अन्य स्थानों पर पहुंचा। ब्लैक डेथ ज्यादातर आम मक्खियों से फैला था।

यह एक बहुत ही लम्बा इतिहास रहा है कि चूहों के कारण ही ब्लैक डेथ का विस्तार हुआ है परन्तु अब जो अध्ययन सामने आ रहे हैं वे इस तरफ इशारा कर रहे हैं कि चूहों को इसका जिम्मेदार ना मानकर पिस्सुओं, मक्खियों और जुओं आदि को इसका जिम्मेदार माना जा सकता है। जब भी मक्खियाँ जो बक्ट्रियम येर्सिनिया पेस्टिस (bacterium Yersinia pestis) से संक्रमित होती हैं किसी भी मनुष्य को काटती हैं तो वे उस मनुष्य के खून में उस विषाणु को छोड़ देती हैं जिससे वह मनुष्य इस रोग से ग्रसित हो जाता है। वैज्ञानिकों ने द्वितीय महामारी के नौ भिन्न-भिन्न प्लेग के विषय में अध्ययन किये और उन्होंने पाया कि 9 में से 7 ऐसे स्थान जहाँ मनुष्य के आस-पास रहने वाली मक्खी ज्यादा रोग फैलाने का कार्य करती हैं खासकर जब वो चूहो पर पायी जाने वाली मखियाँ होती हैं।

अगर भारत के बारे में बात की जाए तो यहाँ पर चूहे को एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। चूहों को भगवान् गणेश की सवारी के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। चूहे प्रजनन को प्रदर्शित करते हैं तथा गणेश भगवान को भी प्रजनन और उर्वरकता से जोड़ कर देखा जाता है। गणेश से जिन चूहों को जोड़ के देखा जाता है उनको मूषक नाम से जाना जाता है। यदि अंग्रेजी भाषा में देखें तो एक प्रकार के चूहे को रैट (Rat) तथा दूसरे प्रकार के चूहे को माइस (Mice) या मूषक नाम से जाना जाता है। रैट आकार में बड़ा तथा अत्यंत ही गंध वाला चूहा होता है जो कि नालों आदि में पाया जाता है, ये अत्यंत ही उग्र होते हैं जबकि माइस तुलनात्मकता में सौम्य और शांत होता है।

जब चूहों की बात की जा रही है तो यह कैसे भूला जा सकता है की वैज्ञानिक विश्व में चूहों का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है, कैंसर (Cancer) की दवाई से लेकर अन्य दवाइयों आदि के परिक्षण के लिए चूहों का ही प्रयोग किया जाता है। फाउंडेशन फॉर बायोमेडिकल रिसर्च (FBR) के अनुसार विश्व भर के लैबों (Labs) में करीब 95 प्रतिशत चूहे ही रखे गए हैं जिनपर विभिन्न प्रयोग किये जाते हैं। अब यह प्रश्न जरूर उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में चूहों पर ही शोध क्यूँ किया जाता है तो इसके कुछ कारण निम्नलिखित हैं।

ये अत्यंत छोटे होते हैं जिस कारण से इनको संभाला जाना आसान कार्य है। चूहे किसी भी परिवेश में अपने आप को बड़ी आसानी से ढाल लेने में सक्षम होते हैं तथा इनकी प्रजनन क्षमता बहुत अधिक होती है और इनके बच्चे बहुत तेज़ी के साथ बड़े होते हैं। ये सस्ते दाम पर मिल जाते हैं तथा इनका स्वभाव शांत होता है जिस कारण से इनको संभालना आसान हो जाता है। इन जीवों की आनुवांशिक, व्यवहारिक आदि आचरण मनुष्यों से सम्बन्ध रखती है जिस कारण से इनका प्रयोग प्रयोगशालाओं में किया जाता है।

चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में भारतीय घरेलु चूहों के नए व्यस्क दिखाए गए हैं।
2. दूसरे चित्र में ब्लैक डेथ पर केंद्रित एक चित्र दिखाया गया है।
3. तीसरे चित्र में नालियों में पाए जाने वाले चूहे को दिखाया गया है।
4. चौथे चित्र में भारतीय चूहे पर आधारित एक चित्र दिखाया गया है।
5. पांचवे चित्र में चूहों के ऊपर पाए जाने वाले जूँ (पिस्सू) और मक्खी को दिखाया गया है।
6. छटे चित्र में बड़ी संख्या दिखाए गए चूहों के द्वारा उनकी प्रजनन क्षमता को प्रदर्शित करने की कोशिश की गया है।
7. अंतिम चित्र में एक नवीन व्यस्क को दिखाया गया है।
सन्दर्भ :
1. https://www.sanskritimagazine.com/indian-religions/hinduism/rides-rats/
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Black_Death
3. https://www.nationalgeographic.com/news/2018/01/rats-plague-black-death-humans-lice-health-science/
4. https://www.livescience.com/32860-why-do-medical-researchers-use-mice.html
5. https://bit.ly/2YGNHPc



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