सामुदायिक भूमि न्यास (Community Land Trust) एक प्रगतिशील शासकीय भूमि मॉडल है जो बहुत से विकसित देशों में सफलता से लागू किया गया। महँगे बड़े शहरों के व्यवसायीकरण को रोकने के लिए इसे शुरू किया गया। भारत में भी 1947 के बाद से भूमि सुधार पर ज़्यादा काम नहीं किया गया। बड़े मेट्रो शहर मुंबई और वहाँ स्थित एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्ती धारावी CLT प्रस्ताव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। पूरे विश्व की सफलता की कहानियाँ इंटरनेट के माध्यम से घर-घर पहुँची हुई हैं। एक सामुदायिक भूमि न्यास लोकतांत्रिक आधार पर, क्षेत्रीय स्तर पर, खुली सदस्यता वाला अलाभकारी संगठन है जो भूमि का अधिग्रहण कर स्थानीय लोगों को उसका लाभ पहुँचाता है, ख़ासतौर से ऐसे तबके को मकान मुहैया कराए जाते हैं जो अपने आप कभी न ले पाते। दत्तक रूप से प्राप्त, नवीनीकरण युक्त दीर्घकालिक लीज़ के माध्यम से यह न्यास ज़मीन को बाज़ार से हटाकर, अनेकानेक प्रयोगों में लगाने की सुविधा देता है जैसे मकानों का निर्माण, गाँव का सुधार, सुरक्षित खेती और मनोरंजन। CLT निम्न आय वर्ग के लोगों को भूमि के अधिकार के साथ-साथ रहने के लिए घर देता है और स्वामित्व के हक़ को बढ़ावा देता है। मकान दोबारा बेचने के अनुबंध यह सुनिश्चित करते हैं कि भविष्य की बिक्री में ज़मीन के टुकड़े की क़ीमत शामिल नहीं की जाएगी बल्कि अनंतकाल के लिए क्षेत्रीय समुदाय की ओर से लागू रहेगी।
1967 में ऑल्बनी (Albany, Georgia) जियॉर्जिया में रॉबर्ट स्वान (Robert Swan), एक शांतिवादी और निर्माता जिन्होंने बाद में शूमाकर सेंटर नई आर्थिकी के लिए बनाया, जिसमें बाद में Slater King, ऑल्बनी आंदोलन के अध्यक्ष और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता जिनका एक समान लक्ष्य था- दक्षिण के गाँवों के अश्वेत किसानों को ज़मीन दिलवाना।उन्होंने पाँच हज़ार एकड़ खेत ख़रीदने का अनुबंध किया और योजना बनाने की प्रक्रिया स्थानीय निवासियों के साथ शुरू की ताकि स्वामित्व तय करने, किसानों के लिए घर और खेती सम्बंधी इमारतें बनाई जा सकें। अपने शोध के सिलसिले में वे इज़रायल गए ताकि यहूदी राष्ट्रीय अनुदान के क़ानूनी काग़ज़ात का अध्ययन कर जान सकें कि कैसे ज़मीन का स्वामित्व उन पर बनी इमारतों से अलग होता है।Charles Sherrod, आयोजक अहिंसक छात्र समन्वय समिति और उनकी पत्नी Shirley Sherrod उनके ग्रुप से जुड़ गए।New Communities, Inc.-पहला सामुदायिक भूमि न्यास उन योजना बैठकों के माध्यम से स्थापित हुआ।
सामुदायिक भूमि न्यास कार्यक्रम -
शूमाकर सेंटर (Schumacher Centre) का सामुदायिक भूमि न्यास कार्यक्रम एक शैक्षिक, आगे बढ़कर पहल करने और CLT प्रारूप को नागरिक अनुबंधन प्रक्रिया द्वारा अपनाने की वकालत करना है।यहाँ उपलब्ध सफलता की कहानियाँ, पृष्ठभूमि लेख, काग़ज़ात के नमूने, सबसे अच्छे प्रयास और दूसरे स्रोत सम्बंधित नागरिकों को अपने क्षेत्र में सामुदायिक भूमि न्यास बनाने में मदद देंगे।कार्यक्रम की रणनीति का लक्ष्य यह दिखाना है कि कैसे सामुदायिक स्वामित्व और भूमि पर नियंत्रण के संतुलन से काम करने की जगह और घरों के बीच तालमेल बैठाया जा सकता है।मूल संदेश यह है कि CLT द्वारा भूमि के इस्तेमाल से सारे समुदाय के लिए आर्थिक सहयोग मिलता है,कर्मचारियों की मदद होती है, आगे बढ़ने का रास्ता मिलता है और आर्थिक संतुलन को बढ़ावा मिलता है।नागरिकों द्वारा की गई शुरुआत से सामुदायिक भूमि न्यास अपनी मुख्य सड़क को स्थानीय व्यापारियों के लिए आरक्षित करने, घरों के निम्न स्तर को बेहतर बनाने, स्थानीय खेतों में कुशल खेतीबाड़ी की तकनीक के माध्यम से लोगों के लिए भोजन उपलब्ध कराने, सामुदायिक सहयोग से स्थापित उद्योगों के लिए स्थान उपलब्ध कराने और पूर्णकालिक निवासियों के लिए मज़बूत पड़ोस स्थानीय व्यवसाय के साथ तैयार करने जैसे काम करते हैं।CLT की लोकतांत्रिक बनावट, मज़बूत क़ानूनी तकनीक, पुनर्विक्रय के नुस्ख़े और कार्यक्रम परिचारक के माध्यम से स्थाई पहुँच सुदीर्घ सामर्थ्य के साथ ये कुछ महत्वपूर्ण लाभ हैं।
CLT में लोगों की बढ़ती रुचि -
बहुत से समुदायों में जनसंख्या वृद्धि और आर्थिक निवेश ने ज़मीनों के दाम बढ़ा दिए हैं , इसलिए कुछ ही लोग इतने समर्थ होते हैं जो उन जगहों में रह सकते हैं, जहां वह काम करते हैं।कुछ ही लोग वहाँ मकान ख़रीदकर रह सकते हैं।बहुत कम वित्तीय साधन हैं जो ग़रीबों को कम क़ीमत पर मकान दिला सकते हैं।सामुदायिक भूमि न्यास इसका एक स्थिर और प्रमाणित समाधान उपलब्ध कराता है।आमतौर पर भारत में जब किसी क़ब्ज़ेदार को सस्ती दर पर मकान बेचा जाता है तो उसकी क़ीमत बाज़ार की क़ीमत से काफ़ी कम होती है क्योंकि या तो ज़मीन की क़ीमत पर बहुत ज़्यादा छूट (Subsidy) मिली होती है या क़ीमत तय करते समय उसकी बिल्कुल गणना ही नहीं की जाती, इस शर्त पर कि दस साल तक आबँटी अपना घर नहीं बेच सकते।लेकिन उसके बाद बेचने पर क्या होता है? सम्पत्ति मिलते समय उसकी क़ीमत, जिस पर शुरू में बहुत ज़्यादा छूट प्राप्त थी, नए आबँटी के लिए एकदम बाज़ार की क़ीमत पर आ जाती है।ज़मीन की लागत में बढ़ोत्तरी हो जाती है ।दस साल बाद ज़मीन की क़ीमत का सस्तापन ख़त्म हो जाता है।वह अब बाज़ार भाव पर आ जाती है ,जिसकी मुख्य वजह भूमि है।छोटे और सस्ते मकान, जो एक समय निम्न आय वर्ग के लिए वहन करने लायक़ थे, अब उनकी पहुँच से बहुत बाहर जा चुके होते हैं।शहर में ग़रीब लोग हमेशा रहेंगे, इसलिए ज़रूरत है इन 40 प्रतिशत पारिवारिक आमदनी वाले परिवारों को हमेशा के लिए सस्ते मकान देने की।CLT इसका एक स्थिर और प्रमाणित समाधान उपलब्ध कराता है ज़मीन की क़ीमत हमेशा के लिए अपनी तरफ़ से भुगतान करके।इससे निम्न आय वर्ग के लोग सक्षम हैं अपना मकान लेने के लिए, समान दर्जा बनाने और भूमि सम्बंधी बाज़ार से कर सम्बंधी लाभ उठाने में।साथ ही साथ मुद्रास्फीति को भी अनदेखा किया जा सकता है नाटकीय तरीक़े से मकानों की लागत घटा कर और आगामी पीढ़ियों के लिए सामर्थ्य का संरक्षण करके क्योंकि CLT घर एक ऐसी सम्पत्ति है जिसे उसके मालिक अपने वंशजों को पैतृक रूप से दे सकते हैं।
धारावी का पुनर्गठन और CLT -
मुंबई स्थित एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्ती धारावी के पुनरुद्धार के लिए तमाम राज्य सरकारों ने घोषणाएँ कीं लेकिन ज़मीनी तौर पर बहुत थोड़ा काम हुआ।या तो बोली लगाने वालों की ढूँढ हुईं या बहुत सूक्ष्म तरीक़े से योजनाएँ बनाई गईं।सरकार द्वारा विकास का जो नमूना बनाया गया, उसमें FSI बढ़ाने और धारावी के मूल बाशिंदों को बहुमंज़िली इमारतों में स्थानांतरित करने की बहुत आलोचना हुई क्योंकि इस तरह शहर के सबसे जीवंत आर्थिक-सामाजिक स्थल का चरित्र पूरी तरह नष्ट हो जाता।पिछले कुछ सालों में इस तरह का दूसरा नमूना तैयार करने को लेकर अनेक प्रयास हुए जिसमें सामुदायिक भागीदारी हो और उसके वर्तमान स्वरूप को भी बरकरार रखा जा सके।2014 में, शहरी विकास शोध संस्थान (UDRI) ने धारावी के पुनरुद्धार के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित की ताकि कुछ व्यावहारिक वैकल्पिक समाधान क्षेत्र के पुनर्विकास के लिए मिलें जिनसे उसके मूल रूप को भी संरक्षित रखा जा सके।21 देशों की 20 टीमों ने आवेदन किया जिनमें 140 प्रतिभागी शामिल हुए।प्रतियोगिता की विजयी टीम प्लूरल (Plural) में शामिल विभिन्न क्षेत्रों के 6 पेशेवरों ने जो एक संकल्पना दी वह उस विचार के आस-पास थी जिसकी 40 साल पहले यूनाइटेड स्टेट्स में शुरुआत हुई थी- सामुदायिक भूमि न्यास (Community Land Trust) (CLT)।
CLT : कल, आज और कल
CLT एक ऐसी सत्ता है जो भूमि का अधिग्रहण और स्वामित्व इस उद्देश्य से ग्रहण करता है ताकि वह सस्ते मकान, इस शर्त के साथ मुहैया कर सके कि उसमें रहने वाला कभी उसके स्वामित्व से वंचित न हो। नए निवासियों का चयन पूरी पारदर्शिता से होगा, वे मकान की निर्माण लागत पर मकान लेंगे, लेकिन ज़मीन की लागत बढ़ने से उनका कोई सरोकार नहीं होगा।इस तरह ज़मीन का विनिमय मूल्य हमेशा के लिए बाज़ार से मुक्त हो जाएगा।
बाज़ार से ज़मीन लेने का एक उपाय यह है कि जैसे हमारे पास वन्य संरक्षण और वन्य जीव संरक्षण की व्यवस्था है जिसमें ज़मीन के कुछ क्षेत्र को हमेशा के लिए एक ख़ास उद्देश्य से आरक्षित कर दिया जाता है, उसी तरह जिस ज़मीन पर ग़रीब रह रहा है, उसे सामुदायिक भूमि संरक्षण (Community Land Reserve) की तरह विन्यस्त किया जाए।
चित्र (सन्दर्भ):
मुख्य चित्र में गरीब मलिन बस्ती में झुग्गी वाले घरों को दिखाया गया है।
द्वितीय चित्र में कम्युनिटी लैंड ट्रस्ट के अंतर्गत बनाये जाने वाले दिखाया गया है।
तीसरे चित्र में मुम्बई का धारावी है।
सन्दर्भ:
https://centerforneweconomics.org/apply/community-land-trust-program/
https://groundspark.org/our-films-and-campaigns/homehands/hh_about
https://www.livemint.com/Politics/bIE9DP2vasRZlfj2UEFYeP/Community-land-reserves-and-affordable-housing-in-India.html
https://www.thehindu.com/news/cities/mumbai/community-land-trust-model-best-suited-to-reinvent-dharavi/article19700938.ece
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.