आपने कई बार ऐसे चित्र देखे होंगे जिन्हें सामान्य रूप से यदि देखा जाए तो वे सही दिखाई नहीं देते किन्तु यदि एक अलग दृष्टिकोण या कोण या फिर अन्य उपकरणों से देखे जाएँ तो एकदम सही दिखाई देते हैं। यह दृश्य या चित्र वास्तव में एनामॉर्फोसिस (anamorphosis) तकनीक का उपयोग करके बनाए जाते हैं, जिसे एनामार्फिक कला (anamorphic arts) भी कहा जाता है। दृश्य कला में एनामॉर्फोसिस, एक सरल परिप्रेक्ष्य (perspective) तकनीक है, जो सामान्य दृष्टिकोण या परिप्रेक्ष्य से देखे जाने पर चित्र में दर्शाये गये विषय की विकृत छवि देती है, किंतु जब उसे देखने के लिए किसी विशेष कोण या एक घुमावदार दर्पण जैसे उपकरण का प्रयोग किया जाता है, तब विरूपण गायब हो जाता है और चित्र स्पष्ट रूप से सामान्य दिखायी देने लगता है। एनामॉर्फोसिस शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है "परिवर्तन के लिए (to transform)"। इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले 17वीं शताब्दी में किया गया था, हालांकि यह तकनीक 14वीं और 15वीं शताब्दी में परिप्रेक्ष्य की खोज के अधिक उत्सुक उप-उत्पादों में से एक थी। एनामॉर्फोसिस के दो महत्वपूर्ण उदाहरण हैं, पहला एडवर्ड VI (Edward VI -1546) का एक चित्र है, जिसका श्रेय विलियम स्क्रोट्स (William Scrots) को दिया गया है और दूसरा हैंस होल्बिन द यंगर (Hans Holbein the Younger) की द एम्बेसडर्स (The Ambassadors-1533) जिसे पेंटिंग (painting) में प्रमुख परोक्ष एनामॉर्फिक (oblique anamorphic) परिवर्तन के लिए जाना जाता है। इस कलाकृति में, एक विकृत आकृति फ्रेम (frame) के निचले भाग में तिरछी होती है। इसे एक तीक्ष्ण कोण से देखने पर यह मानव खोपड़ी की छवि में बदल जाती है। कई उदाहरण ऐसे हैं जिन्हें विशेष उपकरणों के साथ देखा जाता है और तब ही वे सही दिखायी देते हैं। एनामॉर्फोसिस के दो मुख्य प्रकार हैं: परिप्रेक्ष्य (घुमावदार-oblique) और दर्पण (कैटोपैक्टिक- catoptric- परावर्तन और प्रतिबिम्ब सम्बंधी)। विकृत लेंस, दर्पण, या अन्य ऑप्टिकल परिवर्तनों (optical transformations) का उपयोग करके अधिक जटिल एनामॉर्फोज (anamorphose) को तैयार किया जा सकता है। परिप्रेक्ष्य एनामॉर्फोसिस (perspective anamorphosis) के उदाहरण पंद्रहवीं शताब्दी के है। पहले उदाहरण काफी हद तक धार्मिक विषयों से संबंधित थे। दर्पण एनामॉर्फोसिस के साथ, एक शंक्वाकार या बेलनाकार दर्पण को ड्राइंग (drawing) या पेंटिंग पर रखा जाता है। ताकि एक सपाट विकृत छवि स्पष्ट रूप से एक अविकृत छवि में बदल जाये। विकृत छवि परावर्तन की घटनाओं के कोणों के नियमों का उपयोग करके बनायी जाती है। जब छवि को एक घुमावदार दर्पण में देखा जाता है, तो यह सपाट चित्र वक्रों (drawing's curves) की लंबाई को कम करता है, इसलिए विकृतियां पहचानने योग्य तस्वीर में बदल जाती हैं। परिप्रेक्ष्य एनामॉर्फोसिस के विपरीत, कैटोपेट्रिक (catoptric) छवियों को कई कोणों से देखा जा सकता है। यह तकनीक मूल रूप से मिंग राजवंश के दौरान चीन में विकसित की गई थी। दर्पण एनामॉर्फोसिस पर पहला यूरोपीय मैनुअल (manual) 1630 के आसपास गणितज्ञ वौलेज़ार्ड (Vaulezard) द्वारा प्रकाशित किया गया था। लासाक्स (Lascaux) में प्रागैतिहासिक गुफा चित्रों का उपयोग एनामॉर्फिक तकनीक का उपयोग कर बनायी गयी हो सकती हैं क्योंकि इन्हें गुफा के तिरछे कोणों (oblique angles) से ही देखा जा सकता है।
17वीं शताब्दी तक, काल्पनिक एनामॉर्फिक कल्पना का पुनरुद्धार हुआ। जादुई और धार्मिक धारणाओं को बड़े पैमाने पर त्यागकर चित्रों को वैज्ञानिक जिज्ञासा के रूप में समझा गया। परिप्रेक्ष्य पर दो प्रमुख काम प्रकाशित हुए, पहला सलोमोन डी कॉज़ (Salomon de Caus) का परिप्रेक्ष्य (1612), और जिंक-फ्रांकोइस नाइसरोन (Jean-Francois Niceron) द्वारा जिज्ञासु परिप्रेक्ष्य (1638)। प्रत्येक में एनामॉर्फिक इमेजरी (anamorphic imagery) पर व्यापक वैज्ञानिक और व्यावहारिक जानकारी थी। 18वीं शताब्दी में एनामॉर्फिज़्म ने पूरी तरह से मनोरंजन के दायरे में प्रवेश किया, साथ ही तकनीक का व्यापक प्रसार भी किया। 20वीं शताब्दी में, कलाकारों ने "असंभव वस्तुओं (impossible objects)" को चित्रित करने के परिप्रेक्ष्य को शुरू किया इन वस्तुओं में ऐसी सीढ़ियां शामिल थीं जो हमेशा ऊपर की ओर जाती थी। इस तरह के कार्यों को कलाकार एम. सी. एस्चर (M. C. Escher) और गणितज्ञ रोजर पेनरोज़ (Roger Penrose) द्वारा लोकप्रिय बनाया गया। एनामॉर्फोसिस का एक आधुनिक समकक्ष तथाकथित एम्स रूम (Ames Room) है, जिसमें लोगों और वस्तुओं को उस कमरे की आकृति में फेरबदल करके विकृत कर दिया जाता है, जिसमें वे रखे गए हैं। 20वीं शताब्दी में एनामॉर्फोसिस के इस और अन्य पहलूओं पर इस धारणा में रुचि रखने वाले मनोवैज्ञानिकों ने अच्छा ध्यान दिया। 21वीं शताब्दी में कलाकारों और वास्तुकारों ने एनामॉर्फिक डिजाइनों (designs) के साथ प्रयोग करना जारी रखा। 2014 में स्विस कलाकार फेलिस वरिनी (Felice Varini) जिसे बडे पैमाने पर एनामॉर्फिक इंस्टॉलेशन (anamorphic installations) के लिए जाना जाता है, ने बेल्जियम(Belgium) के हैसेल्ट में थ्री एलिप्सेस ऑफ़ थ्री लॉक (Three Ellipses for Three Locks) बनायी। यह तीन छोरों की एक छवि है जो 100 से अधिक इमारतों पर चित्रित खंडों से बनी है। यह केवल शहर के एक विशिष्ट बिंदु से ही दिखाई देता है। सिनेमैस्कोप (cinemascope), पनाविज़न (panavision), टेक्नीरामा (technirama) और अन्य वाइडस्क्रीन प्रारूप एक संकरी फिल्म फ्रेम से एक व्यापक छवि को प्रोजेक्ट करने के लिए एनामॉर्फोसिस का उपयोग करते हैं। IMAX कंपनी अपने "ओम्नीमैक्स (Omnimax)" या "IMAX डोम (IMAX Dome)" प्रक्रिया में गोलार्ध के गुंबद के अंदर एक सपाट फिल्म फ्रेम से घुमती हुई छवियों को प्रोजेक्ट करने के लिए और भी अधिक एनामॉर्फिक परिवर्तनों का उपयोग करती है। एनामॉर्फिक प्रक्षेपण की तकनीक को आमतौर पर वाहन चालकों द्वारा आसानी से पढ़े जाने के लिए सडकों - जैसे बस लेन या "चिल्ड्रन क्रॉसिंग (children crossing)" पर बहुत सपाट कोण पर लिखे गए विषय के रूप में देखा जा सकता है, अन्यथा उसे पढने में दिक्कत होती है। इसी तरह, कई खेल स्टेडियमों में, विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया में रग्बी फुटबॉल (rugby football) में, इसका उपयोग कंपनी ब्रांडों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है, जो खेल सतह पर चित्रित होते हैं।
टेलीविज़न कैमरा (television camera) कोण से देखने पर यह लेखन खेल क्षेत्र के भीतर लंबवत खड़े संकेतों के रूप में दिखाई देता है, जबकि वास्तव में वह खेल क्षेत्र की जमीन पर सपाट बनाया गया होता है। इसी प्रकार से दुकान की खिड़की के शीशे के अंदर सूचनाओं को दर्पण पर उलटा लिखा जाता है ताकि बाहर से देखने पर वह सीधी और स्पष्ट दिखें। तकनीक के रूप में एनामॉर्फोसिस का उपयोग समकालीन कलाकारों द्वारा पेंटिंग, फोटोग्राफी (photography), प्रिंटमेकिंग (printmaking), मूर्तिकला, फिल्म और वीडियो (film and video), डिजिटल आर्ट और गेम्स (digital art and games), होलोग्राफी (holography), स्ट्रीट आर्ट और इंस्टॉलेशन (street Art and installation) में किया जा रहा है।
भारत में अवतार सिंह विर्दी (Avtar Singh Virdi) को इस कला के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। उन्होंने इस तरह के कई चित्र बनाए हैं जिनमें डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम, मदर टेरेसा, अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश, अमिताभ बच्चन, कल्पना चावला, सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और रवींद्रनाथ टैगोर आदि के चित्र शामिल हैं। उनकी कुछ कृतियाँ राष्ट्रपति भवन की दीवारों और दिल्ली में प्रधान मंत्री के आधिकारिक निवास को भी सुशोभित करती हैं। 2004 में, विर्दी दुनिया के पहले ऐसे एनामॉर्फोसिस चित्रकार बने, जिसने अपने 10 फीट x 10 फीट के चित्र के साथ गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (Guinness Book of Records) में जगह पाई, इसमें उन्होंने बुश के चित्र को 8-इंच व्यास के क्रोम-प्लेटेड सिलेंडर (chrome-plated cylinder) पर प्रतिबिंबित किया। इस कला में एकाग्रता की अत्यंत आवश्यकता होती है। इसके लिए एक व्यापक गणितीय गणना और विभिन्न वैज्ञानिक दृष्टिकोणों की आवश्यकता होती है, किन्तु उसके बाद भी इसे बनाने के लिए कठिनाई का स्तर अधिक होता है।
चित्र (सन्दर्भ):
1. एनामार्फिक कला तकनीक से अवतार सिंह विर्दी द्वारा बनाया गया अनामोर्फिक कला का एक उदहारण, Pixabay
2. 1533 में अग्रभूमि में एक यादगार एनामॉर्फ़ खोपड़ी के साथ होल्बिन (Holbein) की द एम्बेसडर्स, Wikimedia Commons
3. हुरविट्ज़ विलक्षणता, परिप्रेक्ष्य का उपयोग करते हुए एनामॉर्फिक मूर्तिकला, Wikimedia Commons
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Anamorphosis
2. https://www.britannica.com/art/anamorphosis-art
3. https://bit.ly/3bmMhgl
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