समस्याओं का मनुष्य के जीवन में आना एक आम बात है परन्तु कई बार ऐसा होता है कि मनुष्य समझ ही नहीं पाता हैं कि वह समस्याओं से किस प्रकार से लड़कर जीवन में आगे बढ़ सकता है। वर्तमान समय में कोरोना (Corona) जैसी महामारी के पूरे विश्व भर में फ़ैल जाने के कारण कई ऐसी विपत्तियाँ आ गयी हैं जो कि मानव जीवन के लिए अत्यंत ही हानि से भरी हुई हैं तथा पूर्णतया नयी तरह की हैं। इस लेख में हम इन्हीं बिन्दुओं पर चर्चा करेंगे।
वर्तमान समय में विश्व में सतत परिवर्तन हो रहे हैं और हमें यह पूर्णरूप से ज्ञात है, किन्तु हमें ऐसा प्रतीत नहीं होता कि ये परिवर्तन सामान्य से कुछ अलग हैं। सामान्य रुप से मानव अवसाद की स्थिति में तब आता है जब उसके दैनिक जीवन में आकस्मिक नकारात्मक परिवर्तन, आर्थिक स्थिति बिगड़ना, आपसी संबंधों का टूटना आदि होता है। ऐसे परिवर्तनों के कारण मानव को भविष्य में सम्भावित स्थितियों का भय सताता है और यह भय सामान्यतः मृत्यु पर केन्द्रित होता है। अनेक बार हमें संभावित घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है जैसे किसी तूफान का आना, लेकिन कई बार कुछ बीमारियाँ जैसे कोई वायरस (Virus) आदि हमें एक भ्रामक स्थिति में डाल देते हैं। किन्तु यदि हम शांत होकर ध्यान पूर्वक देखें तो हम पाएंगे कि हम कई बार बहुत छोटी-छोटी बातों पर उदास होते हैं।
हाल ही में कोरोना के संक्रमण से पूरे विश्व में भय व्याप्त हो गया है। इस प्रकार के संक्रमण आदि में स्वयं के तथा अपने परिवार के स्वास्थ्य की चिंता होती है, लोगों की सुरक्षा के लिए लगाए गए कर्फ्यू के कारण, हम खाद्य सामग्री सहित आवश्यक दैनिक इत्यादि की उपलब्धता के बारे में चिंता करते हैं। इससे मनुष्य की दैनिक दिनचर्या में परिवर्तन आता है जिसका उस पर मानसिक व शारीरिक रूप से अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार से ये भय बच्चों तथा बुज़ुर्गों के साथ-साथ सभी आयु के मनुष्यों को मानसिक, शारीरिक तथा भावनात्मक रूप से आहत करते हैं। इस प्रकार की तनावपूर्ण स्थिति में स्वयं को संतुलित रखकर हम स्वयं को, अपने परिवर को तथा अपने समुदाय को सुरक्षित और सुदृढ़ बना सकते हैं।
इस प्रकार की परिस्थितियों से निपटने के लिए हमारे लिए सबसे आवश्यक यह है कि हम पूर्ण संतुलन के साथ तत्कालिक समस्या के समाधान खोजने का प्रयास करें, समाज के सामान्य मनुष्यों में समस्या के प्रति जागरुकता लाएं तथा एक सकारात्मक भावना का विकास करें, जिससे कि लोग ये न समझ लें कि समस्या का समाधान संभव ही नहीं है। अभिभावक अपने बच्चों को वास्तविक स्थिति से अवगत करायें, बचाव के संभावित उपायों का प्रयोग करें, लापरवाही के दुष्परिणामों के बारे में बतायें तथा सोशल मीडिया (Social Media) व अन्य माध्यमों पर फैलती विभिन्न प्रकार की अफ्वाहों पर ध्यान न देने की सलाह दें।
इस प्रकार की स्थिति में हम अपने परिवार के साथ रहें, कुछ शारीरिक व्यायाम तथा योगा आदि करें, संतुलित तथा पोषक भोजन ग्रहण करें और स्वस्थ नींद लें। जब भी किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार आएं तो उस समय का स्मरण करें जब ऐसी ही विपरीत परिस्थिति से हमने स्वयं को बाहर निकाला था तथा स्वयं को ये भरोसा दिलायें कि किसी भी परिस्थिति से बहार निकला जा सकता है और यदि इसके बाद भी आत्मसंतुष्टि न प्राप्त हो तो इस विषय पर अपने मित्रों से बात करें तथा अंततः किसी चिकित्सक की सलाह लें।
सन्दर्भ:
1. https://b।t.ly/2vQv5jL
2. https://www.cdc.gov/coronav।rus/2019-ncov/prepare/manag।ng-stress-anx।ety.html
3. https://www.camh.ca/en/health-।nfo/mental-health-and-cov।d-19
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