कला मनुष्य की एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण खोज है जो कि अब मनुष्य के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा भी है। पाषाणकाल से लेकर आज तक मनुष्य कला के समीप ही अपना आशियाना बनाते आ रहा है। पाषाणकाल में वह गुफाओं में तथा चट्टानों पर चित्र बनाया करता था, फिर उसने बर्तनों आदि पर चित्र आदि बनाना शुरू किया और बाद में मनुष्य ने चीड़ के छाल आदि व कागज़ पर चित्र बनाना शुरू कर दिया। वर्तमान काल में मनुष्य कपड़े आदि पर भी चित्रकारी करता है। चित्रकारी में दो मुख्य भाग होते हैं, पहला निश्चयात्मक (Positive) स्थान और दूसरा ऋणात्मक (Negative) स्थान। अब इन शब्दों को सकारात्मक और नकारात्मक से ना जोड़कर इसे कला के रूप में देखा जाना चाहिए। कला में ये दोनों बिंदु एक साथ कार्य करते हैं।
हमें अब यह जानने की आवश्यकता है कि आखिर ये ऋणात्मक स्थान क्या है? ऋणात्मक स्थान वास्तव में एक कला का वह स्थान होता है जो मुख्य नहीं होता है तथा जिसके ऊपर मुख्य विषय दर्शाया जाता है। यह एक भ्रम पैदा करता है जो कि मुख्य कला को त्रिआयामी चित्रण प्रदान करता है जैसे कि रुबिन का फूलदान (Rubin’s Vase)। रुबिन का फूलदान 2 रंगों से मुख्य रूप से बना है जिसमें एक स्थान ऐसा होता है जो कि फूलदान को प्रदर्शित करता है और वहीँ दूसरा स्थान ऐसा होता है जो कि एक ऐसे रंग की आकृति बनाता है जो कि फूलदान को देख्नने देता है। वास्तव में यह ऋणात्मक स्थान को इस प्रकार से काले रंग से भरा जाता है कि मध्य का सफ़ेद रंग एक फूलदान का आकार ले लेता है। लेकिन वहीँ यदि इस काले रंग पर ध्यान दिया जाये तो यह भी मुख्य विषय बन सकता है क्योंकि इसमें हम दो चेहरे देख सकते हैं, तथा इस बार सफ़ेद रंग ऋणात्मक स्थान बन जाता है। ऋणात्मक स्थान अत्यंत ही महत्वपूर्ण है क्यूंकि यही निश्चयात्मक स्थान जहाँ पर कला का निर्माण हुआ है उसे समझने में मददगार साबित होता है।
ऋणात्मक स्थान एक अत्यंत ही शक्तिशाली विषय है जो किसी भी कला को एक नयी दिशा प्रदान करता है। बिना इसके किसी भी विषय को प्रस्तुत करना अत्यंत ही मुश्किल कार्य है। उदाहरण के लिए हम देख सकते हैं कि एक मनुष्य आकृति, भीड़ भरे दृश्य, जीवन आदि को प्रस्तुत करने के लिए ऋणात्मक स्थान का होना अत्यंत ही महत्वपूर्ण साधन है। ग्राफिक डिज़ाइनिंग (Graphic Designing) आदि में ऋणात्मक स्थान का प्रयोग अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। यह पूरी आकृति को व्यवस्थित रूप से प्रदर्शित करने का कार्य करता है। जापानी कला के क्षेत्र में इसे ‘मा’ (Ma) नाम से जाना जाता है। यह मोटे तौर पर स्थान, रुकाव आदि को प्रदर्शित करता है। यह गहनता के साथ-साथ त्रिआयामी व्यवस्था को प्रदर्शित करता है। मा का विचार मानव की कल्पना को प्रदर्शित करता है तथा यह अंतराल को प्रस्तुत करता है। यह किसी भी कला को अत्यंत ही खूबसूरत बनाने का कार्य करता है। ऋणात्मक स्थान को व्यवस्थित करने से कला में तल्लीनता दिखाई देती है।
सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Negative_space
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Ma_(negative_space)
3. https://mymodernmet.com/negative-space-definition/
4. https://bit.ly/2TXnf0X
5. https://www.weinerelementary.org/escher-and-positive-negative-space.html
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