संसार में ऐसे कई पक्षी हैं जिन्हें आपने अक्सर उड़ते हुए देखा है, किंतु इनके अलावा ऐसे भी पक्षी हैं जो नदियों तालबों इत्यादि स्थानों में पाये जाते हैं। ग्रीब (Grebe - टैकीबैप्टस रूफिकोलिस - Tachybaptus ruficollis) भी ऐसा ही एक छोटा पक्षी है, जिसे डबचिक (Dabchick) के नाम से भी जाना जाता है। यह जीव जलीय पक्षियों के ग्रीब परिवार का सदस्य है। 23 से 29 सेमी (9.1 से 11.4 इंच) लंबा ग्रीब अपने परिवार का सबसे छोटा यूरोपीय सदस्य है जो सामान्य रूप से पानी के खुले निकायों में पाया जाता है।
जर्मन प्रकृतिवादी पीटर साइमन पाल्लास (Peter Simon Pallas) द्वारा 1764 में इसका वर्णन किया गया तथा इसका नाम कोलिमबस रूफिकोलिस (Colymbus ruficollis) दिया गया। वर्तमान में इसकी छह उप-प्रजातियों को मान्यता दी गयी है, जिन्हें मुख्य रूप से आकार और रंग के आधार पर वर्ग़ीकृत किया गया है। यह पक्षी छोटा तो है ही साथ ही साथ अपनी नुकीली चोंच के लिए भी प्रसिद्ध है। यूरोप (Europe), एशिया (Asia) - अधिकतर न्यू गिनी (New Guinea) और अफ्रीका (Africa) के ज़्यादातर हिस्सों में यह पक्षी ताज़े पानी की झीलों में पाया जाता है, जहां भारी वनस्पतियों की उपलब्धता होती है। इस पक्षी को जौनपुर शहर में भी देखा जा सकता है। अधिकांश पक्षी सर्दियों में अधिक खुले या तटीय पानी में चले जाते हैं, लेकिन यह केवल अपनी सीमा के उन हिस्सों में ही होता है, जहाँ पानी जम जाता है।
गर्मियों के मौसम में वयस्कों की गर्दन गहरी लाल-भूरे रंग की हो जाती है, तथा चोंच का रंग पीला हो जाता है। गैर-प्रजनन और किशोर पक्षियों में लाल-भूरा रंग भूरे-ग्रे (Brown- Gray) रंग में बदल जाता है। किशोर पक्षियों की चोंच पीले रंग की होती है जिसका सिरा या नोक काले रंग का होता है। उनमें गालों और गर्दन के नीचे की ओर काली और सफेद धारियाँ दिखाई देती हैं। पीली चोंच किशोर अवस्था में गहरे रंग की हो जाती है, और अंततः वयस्कता में पूर्णतः काली हो जाती है। सर्दियों के मौसम में, इसका आकार, पंखों की परतें, गहरे रंग की पीठ और कपालिका आदि इस प्रजाति को आसानी से पहचानने में सहायक हैं। ग्रीब में प्रजनन कॉल (Call), एकल या युगल पक्षी द्वारा दी जाती है, जोकि बहुत उत्कर्ष ध्वनि होती है। इसके अंतर्गत वे वीट-वीट-वीट या वी-वी-वी की ध्वनि उत्पन्न करते हैं, जोकि घोड़े की भिनभिनाने जैसी ध्वनि होती है।
ग्रीब एक उत्कृष्ट तैराक और गोताखोर है जो पानी के नीचे मछलियों और जलीय अकशेरुकी जीवों का शिकार करता है। अपने पोषण के लिए यह कीड़े, लार्वा (Larvae) और छोटी मछलियों पर निर्भर है। छिपने या शिकार करने के लिए यह पानी में मौजूद वनस्पति का उपयोग करता है। चूंकि यह अच्छी तरह से चल नहीं सकता इसलिए यह पानी के किनारे या तटों पर ही अपना घोंसला बनाता है। यह आमतौर पर चार से सात अंडे देने में सक्षम है। वयस्क पक्षी जब अपना घोंसला छोड़ता है तो वह आमतौर पर खरपतवार के द्वारा अपने अंडे को आवरित करता है ताकि वह सुरक्षित रह सके। इस कारण शिकारियों के लिए अंडों का पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है। कई बार तैरने वाले वयस्क चूज़ों को अपनी पीठ पर लेकर तैराकी करते हैं। भारत में, यह प्रजाति बरसात के मौसम में प्रजनन करती है। प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for the Conservation of Nature - IUCN) ने अपनी रेड लिस्ट (Red list) में इस जीव को कम संकटग्रस्त (Least concern) प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया है।
संदर्भ:
1. http://www.aladdin.st/bird-watching/india/little_grebe.html
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Little_grebe
3. https://ebird.org/species/litgre1
4. https://www.rspb.org.uk/birds-and-wildlife/wildlife-guides/bird-a-z/little-grebe/
चित्र सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Little_grebe
2. https://pxhere.com/en/photo/1576865
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