जौनपुर में शीतला अष्टमी का पवित्र स्वरुप

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
14-03-2020 10:00 AM
जौनपुर में शीतला अष्टमी का पवित्र स्वरुप

शीतला माता का सम्बन्ध जौनपुर से अत्यंत ही गहरा है और यही कारण है कि जौनपुर के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ के रूप में शीतला चौकिया धाम को ही वरीयता दी जाती है। शीतला माता को शीतलता का प्रतीक माना गया है और इनसे सम्बंधित वृक्ष नीम है। ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार से नीम तमाम कष्टों के दौर में शीतलता प्रदान करती है वैसे ही शीतला माता मनुष्य को तन और मन से शीतलता प्रदान करती हैं। स्वास्थ्य को सुरक्षित करने वाली देवी के रूप में भी शीतला माता को देखा जाता है। इस लेख में हम शीतला अष्टमी, और जौनपुर के शीतला धाम मंदिर के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे।

शीतला अष्टमी वैसे तो होली के आठवें दिन मनाई जाती है परन्तु इस वर्ष शीतला अष्टमी की तिथि में बदलाव है तथा यह 28 मार्च को मनाई जायेगी। शीतला अष्टमी को विभिन्न अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे बसौड़ा शीतलाष्टमी। शीतला अष्टमी को मनाये जाने को लेकर कई पौराणिक कहानियाँ प्रसिद्ध हैं जो कि मुख्य रूप से शीतला माता और स्वास्थ्य से ही सम्बंधित हैं। शीतला माता को रोग निवारक देवी के रूप में भी देखा जाता है। शीतला माता नौ देवियों में से एक देवी हैं तथा इनको पौराणिक देवी के रूप में माना जाता है। शीतला माता का स्थान पुराणों में अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। शीतला को चेचक, खसरा, आदि जैसे रोगों के निवारक के रूप में भी देखा जाता है। शीतला माता की सवारी गधा है तथा इन्हें एक हाथ में झाड़ू तथा दूसरे हाथ में कलश आदि लिए हुए प्रदर्शित किया जाता है। शीतला अष्टमी की मान्यता यह है कि इस त्यौहार के साथ शीतला माता अच्छे स्वास्थ्य को लाती हैं।

जौनपुर में मौजूद शीतला चौकिया धाम मंदिर शीतला अष्टमी के दिन पूरी तरह से जन सैलाब से भर जाता है। यहाँ की मान्यता यह है कि यदि कोई भी यहाँ दर्शन करता है तो उसकी सारी मुरादें माता पूरी करती हैं। यहाँ पर मौजूद यह मंदिर राजपूत कला का अद्भुत नमूना है। इस मंदिर के एक दिशा में बना तालाब भी राजपूत शैली में ही बना है। इतिहास के अनुसार हिन्दू राजाओं के काल में जौनपुर का राज अहीर शासकों के हाथ में था। हीरचंद यादव को जौनपुर का पहला अहीर शासक माना जाता है। यह माना जाता है कि यहाँ पर स्थित चौकिया शीतला माता का मंदिर इन्हीं शासकों द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर को लेकर एक और कहानी प्रचलित है कि इसका निर्माण भर राजाओं ने करवाया था। इस मंदिर का निर्माण पहले एक चौकी पर किया गया था और इसी कारण इस मंदिर को चौकिया नाम से जाना जाता है। आज भी जौनपुर में जितने लोग हैं वे शादी के बाद चौकिया माता के दर्शन के लिए ज़रूर जाते हैं और ऐसी मान्यता है कि वैवाहिक जीवन में शालीनता और सुन्दरता लाने के लिए माता का दर्शन अत्यंत ही लाभदायक होता है।

सन्दर्भ:
1.
https://bit.ly/3cPowhV
2. https://www.mpanchang.com/festivals/sheetala-ashtami/
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Sheetala_Chaukia_Dham_Mandir_Jaunpur
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Shitala
5. https://bit.ly/2W9v4SE
चित्र सन्दर्भ:
1.
https://bit.ly/3cXBs5m
2. https://jaunpur.prarang.in/posts/2518/Sheetala-Chowkai-Dham-Temple-of-Jaunpur
3. https://bit.ly/38TA2WA
4. https://bit.ly/2U2khHf