वास्तुकला किसी भी शहर कि पहचान व इतिहास को विश्व के पटल पर प्रदर्शित करती है। भारत आदिकाल से कई विभिन्न प्रकार की कलाओं को अपने मे समेटे व बचाये हुए है। यहाँ कि कुछ प्रमुख कलाओं मे, मौर्य कालीन कला, सातवाहन कला, चोल कालीन कला, सल्तनत कला, मुग़ल कला तथा अंग्रेजी (गॉथिक) कला प्रमुख है। इन सभी कलाओं कि अपनी कई विधाएँ समय के आधार पर विकसित व मिश्रित हुई जो की वास्तुकला के क्षेत्र को और विस्तृत कर देती है।
जौनपुर जिले में भी वास्तुकला के कई समयों का मिश्रण मौज़ूद हैं जिनका प्राचीनतम समय पुरातात्विक अध्ययन के अनुसार 6-7 शताब्दी ईसवी मिलता है। बगौझर से मिले सूर्य प्रतिमा, एक मुखी शिवलिंग, चौखड़ा बरचौली के सीमा पर स्थित प्रतिहार कालीन दरवाजे के अवशेष इसकी पुष्टि करते हैं। मध्यकाल में जौनपुर मे शर्कियों ने कई वास्तु निर्माण किये जो की शर्की कला से विश्वविख्यात है जिनमे झरझरी मस्जिद मुख्य है। अंग्रेजो ने भी यहाँ चर्च व कई भवनो का निर्माण कराया, समस्त कलाओं का समावेश यहाँ पर दिखाई देता है।