भारत अत्यंत सांस्कृतिक विविधता वाला देश है, और यही कारण है कि देश में विभिन्न धर्मों के विभिन्न त्यौहार देखने को मिलते हैं। प्रत्येक क्षेत्र में इन त्यौहार को मनाने की विधियां और परंपराएं भी अलग-अलग होती हैं। होली भी भारत का एक ऐसा ही अनूठा पर्व है, जिसे अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न परंपराओं के साथ मनाया जाता है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश की ‘लठमार’ होली अर्थात ऐसी होली जिसमें लाठियों का प्रयोग मारने के लिए किया जाता है। पूरे देश में यह एक बहुत दिलचस्प होली है, जिसे मथुरा में बड़े हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जाता है। मथुरा और उसके आस-पास के इलाकों जैसे बरसाना और नंदगाँव में होली के कुछ दिन पहले से ही इस परंपरा को निभाया जाता है, जिसमें हर साल हजारों हिंदू और बाह्य पर्यटक भाग लेते हैं। लठमार होली के उत्सव के लिए उत्तर प्रदेश में मथुरा जिले के सभी हिस्सों से हजारों लोग बरसाना नामक गाँव में राधा रानी मंदिर आते हैं। राधा रानी मंदिर को भारत का इकलौता राधा मंदिर माना जाता है, जहां एक छोटे से अनुष्ठान समारोह के बाद, हर कोई मंदिर परिसर में और उसके सामने प्रसिद्ध संकीर्ण गली में इकट्ठा होता है, जिसे 'रंग रंगेली गली' (रंगीन गली) कहा जाता है।
यह उत्सव महिलाओं द्वारा पुरुषों पर रंग लगाने के साथ शुरू होता है तथा यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी व्यक्ति बाहर न निकले। ग्रामीणों द्वारा लोकगीत गाए जाते हैं तथा महिलाओं द्वारा नृत्य भी किया जाता है। मिठाईयों की विभिन्न दुकानें भांग से बनी ठंडाई से सजी होती हैं, जिसका सेवन उत्सव में भाग लेने वाले अनेक लोगों द्वारा किया जाता है। उत्सव के दूसरे दिन, पुरुष फिर से बरसाना पहुंचते हैं, और इस बार वे गाँव की महिलाओं पर रंग लगाने की कोशिश करते हैं। इसके बाद महिलाएं अपनी-अपनी लाठियां लेती हैं और उन पुरुषों को पीटने की कोशिश करती हैं। अपने बचाव में पुरुष एक ढाल का प्रयोग करते हैं, जो पुरूष ऐसा नहीं कर पाते उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनाए जाते हैं तथा सार्वजनिक रूप से नृत्य भी करवाया जाता है। मजेदार बात यह है कि ये सब क्रियाएं एक मजाक या मस्ती के तौर पर आयोजित की जाती हैं, इसका उद्देश्य किसी को हानि या ठेस पहुंचाना नहीं होता है। होली मनाने की इस परंपरा को सदियों से मथुरा में आयोजित किया जा रहा है। इस परंपरा को निभाने के पीछे एक किवदंती छिपी हुई है, जिसके अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण ने अपनी प्रिया राधा के गांव जाकर उन्हें व उनकी सहेलियों को चिढाया था। इसको अपमान मानते हुए बरसाना की महिलाओं ने उनका पीछा किया। ठीक इसी प्रकार हर साल उसी रूप से तालमेल बनाते हुए नंदगाँव के पुरुष बरसाना शहर आते हैं, जहां उनका अभिवादन वहां की महिलाओं द्वारा लाठियों से किया जाता है। महिलाएं पुरुषों पर लाठी चलाती हैं, तथा पुरूष ढाल से जितना हो सके बचने की कोशिश करते हैं। यह एक ऐसा अवसर है, जहाँ लंबे समय से चली आ रही परंपरा के रूप में भांग और दूध से बने पेय को परोसना पूरी तरह से स्वीकृत होता है। विभिन्न स्थानों पर होली की शाम को होलिका दहन का आयोजन किया जाता है।© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.