रबर बैंड (Rubber Band) देखने में तो एक अत्यंत ही आम वस्तु लगती है किन्तु इसका प्रयोग दुनिया भर में किया जाता है। मिठाई का डिब्बा हो या बाल बाँधना, कागज़ हो या लिफाफा हर एक वस्तु रबर बैंड से ही बाँधी जाती है। अब यह सवाल उठता है कि यह आम सी दिखने वाली रबर बैंड में आखिर ऐसा क्या है जिसके लिए हम इसके बारे में पढ़ें? ऐसा क्यूँ है कि रबर बैंड की सबसे बड़ी ग्राहक अखबार कम्पनियाँ हैं? इस लेख में हम इस विषय पर पढेंगे और जानेंगे कि यह आम सी दिखने वाली वस्तु क्यूँ है इतनी ख़ास। अब जब हम रबर बैंड की बात कर रहे हैं तो हमें यह जानना अत्यंत ही आवश्यक हो जाता है कि आखिर रबर बैंड का इतिहास क्या है?
इतिहास के पन्नों से यह पता चलता है कि मेसोअमेरिकन (Mesoamerican), अज्टेक (Aztec), ओल्मेक्स(Olmex) और माया (Mayan) सभ्यता के निवासी आज से करीब 3000 वर्ष पहले रबर बनाने की परंपरा को जानते थे। ये प्राकृतिक रबर का निर्माण करते थे जो रबर के पेड़ से निकलता है। वहां पर इस रबर का प्रयोग चप्पल से लेकर गेंद बनाने तक किया जाता था। चार्ल्स गुडइयर (Charles Goodyear)(गुडइयर एक अमेरिकन रसायनशास्त्री थे, जिन्हें व्यवहार्यपूर्ण और जलरोधक, मोल्ड करने योग्य रबर बनाने और निर्माण करने के लिए रासायनिक प्रक्रिया के आविष्कार करने का श्रेय दिया जाता है।) को आमतौर पर वल्केनाइज्ड रबर (Volcanized Rubber) बनाने के आविष्कारक का श्रेय दिया जाता है। यह एक ऐसा रबर था जो कि गैर चिपचिपा हुआ करता था।
यह तो था रबर का इतिहास लेकिन रबर बैंड का इतिहास और भी शानदार है यह शुरू होता है सन 1819 में जब थामस हैनकॉक (Thomas Hancock)(थॉमस हैनकॉक एक अंग्रेजी मैन्युफैक्चरिंग इंजीनियर (Manufacturing Engineer) थे जिन्होंने ब्रिटिश रबर उद्योग की स्थापना की थी।) अपने भाइयों के साथ रबर के बने दस्ताने, जूते आदि बनाने का कार्य करते थे लेकिन इस प्रक्रिया में उन्होंने देखा कि एक बहुत ही बड़ी संख्या में रबर का नुकसान हो रहा है अतः उन्होंने उस अनुपयुक्त रबर के कतरन से एक उत्पाद बनाया जिसे रबर बैंड के रूप में देखा जाता है। हांलाकि उन्होंने कभी भी इसका व्यापार नहीं किया।
1833 में गुडइयर ने जेल से आने के पश्चात् (गुडइयर को क़र्ज़ न चुकाने पर एक लेनदार द्वारा गिरफ्तार कराया गया था जिस कारण उन्हें जेल में रहना पड़ा) भारतीय रबर के साथ प्रयोग करना शुरू किया और वल्कनीकरण प्रक्रिया की खोज की। वल्कनीकरण (Vulcanization या vulcanisation) एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें गंधक या इसी प्रकार का कोई दूसरा पदार्थ मिला देने से रबर या संबंधित बहुलकों को अपेक्षाकृत अधिक टिकाऊ पदार्थ में बदल दिया जाता है। इन पदार्थों के मिलाने से रबर में मौजूद बहुलक श्रृंखलाएं परस्पर 'संयुक्त ' (Crosslinked) हो जाती हैं। वल्कित पदार्थ कम चिपचिपा होता है एवं इसके यांत्रिक गुण अधिक श्रेष्ठ होते हैं। टायर, जूतों के 'सोल', होज पाइप, हॉकी पक एवं अनेकों सामान वल्कित रबर के ही बनते हैं। 'वल्कन' नाम रोम के 'आग के देवता' का नाम है।
यह 1845 था जब स्टीफन पेरी (Stephen Perry) (स्टीफन पेरी 19 वीं सदी के ब्रिटिश आविष्कारक और व्यापारी थे। उनकी कंपनी मेसर्स पेरी एंड कंपनी (Messers Perry and Co), लंदन की रबड़ निर्माता कंपनी थी, जिसमें वल्केनाइज्ड रबर से शुरुआती उत्पाद बनाए थे। 17 मार्च 1845 को पेरी को रबर बैंड के लिए पेटेंट मिला।) ने रबर बैंड का पेटेंट इंग्लैंड में कराया। वर्तमान समय में बाज़ार में दो तरह की रबर मौजूद है एक प्राकृतिक रबर (प्राकृतिक रबर प्राकृतिक तत्वों जैसे पेड़ आदि से बनी रबर होती है) तथा सिंथेटिक रबर (Synthetic Rubber) (सिंथेटिक रबर रासायनिक क्रियाओं से बनायी जाती है)। रबर बैंड बनाने के लिए रबर के ट्यूब (Tube) का निर्माण किया जाता है जिसे की बाद में एक मैन्द्रेल (एक प्रकार का लोहे का गोल डंडा) पर रखा जाता है तथा एक नियत तापमान पर गर्म किया जाता है तथा बाद में उसे एक निश्चित मोटाई में काट लिया जाता है।
रोजाना सुबह हमारे घरों में एक गोल पुपली में अखबार आता है जो कि एक रबर के बैंड से बंधा हुआ होता है। यह रबर बैंड ही है जिसके कारण अखबार हमारे यहाँ बिना मुड़े तुड़े पहुचता है। अमेरिका में किये गए एक शोध से यह पता चलता है कि रबर बैंड की सबसे बड़ी उपभोक्ता अखबार कंपनिया ही है तथा इनका रबर उपभोग अगर प्रतिशत में देखें तो आम रबर बैंड बिक्री से कई गुना ज्यादा है।
सन्दर्भ
1. https://www.rubberband.com/blog/71/the-rubber-band-and-newspaper-a-legendary-combo
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Rubber_band
3. https://gizmodo.com/a-brief-history-of-the-rubber-band-1680594320
4. https://www.nytimes.com/1981/02/25/business/company-news-extending-the-uses-of-the-rubber-band.html
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