विश्व भर में अपनाया गया है, भारतीय व्यंजन को

जौनपुर

 28-02-2020 12:00 PM
स्वाद- खाद्य का इतिहास

भारतीय भोजन स्वाद और सुगंध का मधुर संगम है। साथ ही भारतीय भोजन प्रत्येक राज्य के साथ बहुत ही विविध है, जिसमें पूरी तरह से अलग खाद्य पदार्थ शामिल हैं। पूरन पूरी हो या दाल बाटी, तंदूरी रोटी हो या शाही पुलाव, पंजाबी भोजन हो या मारवाड़ी भोजन, ज़िक्र चाहे जिस किसी का भी हो रहा हो, केवल नाम सुनने से ही भूख जाग उठती है। इन व्यंजनों को हिंदू और जैन मान्यताओं द्वारा आकार दिया गया है, विशेष रूप से शाकाहार जो भारतीय समाज में एक आम आहार प्रवृत्ति है। मुगल और दिल्ली सल्तनत शासन के समय में इस्लामिक प्रभाव भी पड़ा था, साथ ही उत्तर भारतीय और डेकानी भोजन पर फारसी पारस्परिक प्रभाव भी देखा जाता है। साथ भारतीय भोजन अन्य समाजों के साथ राष्ट्र के सांस्कृतिक संबंधों के परिणामस्वरूप विकसित हुआ और अभी भी विकसित हो रहा है।

विदेशी आक्रमणों, व्यापार संबंधों और उपनिवेशवाद जैसी ऐतिहासिक घटनाओं ने भी देश के लिए कुछ खाद्य प्रकार और खाने की आदतों को शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के इतिहास को भी आकार देने में योगदान दिया है, भारत और यूरोप के बीच मसाला व्यापार को अक्सर इतिहासकारों द्वारा यूरोप के एज ऑफ डिस्कवरी (Europe's Age of Discovery) के प्राथमिक उत्प्रेरक के रूप में उद्धृत किया जाता है। जैसा की हम सब जानते ही हैं कि भारतीय भोजन मसालेदार, स्वादिष्ट और विविध होता है। लेकिन कुछ लोग यह दावा करते हैं कि भारतीय भोजन स्वास्थ्य के लिए खराब होता है और इसे नियमित रूप से नहीं खाना चाहिए। यह पूरी तरह से असत्य है क्योंकि भारतीय भोजन में कई शाकाहारी और स्वस्थ विकल्प हैं जो सब्जियों के साथ परोसे जाते हैं। आज पूरी दुनिया में समुदायों, शहरों और देशों में गुणवत्तापूर्ण भारतीय भोजन पेश करने वाले कई रसोइये कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

वहीं भारतीय प्रवास के कारण वर्तमान समय में विश्व के अधिकांश प्रमुख शहरों में पारंपरिक भारतीय भोजन मिलना संभव है। ऐसे कई भारतीय हैं जो यूरोप, उत्तरी अमेरिका, एशिया के अन्य भागों, ओशिनिया और अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में रहते हैं। इनमें से कई प्रवासियों द्वारा विश्व भर में भारतीय व्यंजनों का प्रदर्शन करने के लिए विशिष्ट रेस्तरां खोले हुए हैं, लेकिन वे पारंपरिक भारतीय स्वाद को खो रहे हैं और विभिन्न स्थान के व्यंजनों की तरह अनुकूलित और संशोधित होते जा रहे हैं।

चलिए देखते हैं भारतीय व्यंजनों को दुनिया के महाद्वीपों में कैसे अनुकूलित और संशोधित किया गया है:

1) उत्तरी अमेरिका में भारतीय व्यंजन :-
उत्तरी अमेरिका में भारतीय प्रवासियों का एशियाई समूह में तीसरा सबसे बड़ा समूह है। इसलिए, चूंकि उत्तरी अमेरिका में बहुत सारे भारतीय अप्रवासी हैं, इसलिए पेशेवर भारतीय रसोइयों के साथ कई स्वादिष्ट विशिष्ट रेस्तरां भी वहाँ मौजूद हैं। भारतीय भोजन को अमेरिकियों की जरूरतों के अनुकूल करने और भारतीय भोजन को अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए कुछ संशोधन किए गया है। जैसे व्यंजनों में मसलों की मात्र को घटा दिया गया है और तले हुए समोसों को वहाँ बेक करके बनाया जाता है।

2) दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप में भारतीय व्यंजन :-
कम भारतीय प्रवासी होने के कारण दक्षिण अमेरिका में बहुत कम रेस्तरां देखने को मिलते हैं और देशी भारतीय रसोइयों के खाना पकाने के परिणामस्वरूप, वहाँ बनाए जाने वाले व्यंजन भारतीय पारंपरिक व्यंजनों से केवल संलयन होते हैं।

3) एशिया के अन्य भागों में भारतीय पाक कला :-
सिंगापुर ने भारतीय व्यंजनों को सिंगापुरी व्यंजनों के साथ मिला कर संशोधित किया है। उदाहरण के लिए, फिश हेड करी एक सिंगापुर और भारतीय संलयन पकवान है जो सभी निवासियों में काफी लोकप्रिय है।

4) अफ्रीका में भारतीय व्यंजन :-
भारतीयों ने अफ्रीकी महाद्वीप के निवासियों की संस्कृति और भोजन को भी प्रभावित किया है। उदाहरण के लिए, मचुज़ी (करी) अब पूर्वी अफ्रीका में एक आम व्यंजन है जिसे भारतीय प्रवासियों द्वारा औपनिवेशिक काल के दौरान पेश किया गया था।

संदर्भ :
1.
https://bit.ly/2vdhrqp
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Global_cuisine#Indian_subcontinent
3. https://www.superprof.co.in/blog/indian-food-across-the-globe/



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id