चावल, दाल और कई सब्जियों से मिलकर तैयार होने वाली 'खिचड़ी', भारत के हर घर में काफी प्रसिद्ध है। खिचड़ी का ज़िक्र होते ही अधिकांश लोगों को यह मशहूर कहावत याद आ गई होगी, “खिचड़ी के चार यार, दही, पापड़, घी और अचार” या मशहूर भारतीय धारावाहिक नाटक “खिचड़ी” (जिसमें एक परिवार को इस पकवान के रूप में मिश्रित और सर्वोत्कृष्ट रूप से दर्शाया गया है) का स्मरण हो गया होगा।
खिचड़ी भारतीय उपमहाद्वीप का एक व्यंजन है जो चावल और दाल से बनता है, लेकिन अन्य विविधताओं में बाजरे और मूंग की दाल की खिचड़ी भी बनाई जाती है। भारतीय संस्कृति में, छोटे बच्चों को ठोस खाद्य पदार्थों में सर्वप्रथम खिचड़ी खिलायी जाती है। हिंदू, जो उपवास के दौरान अनाज का सेवन नहीं करते हैं, वे साबूदाने की खिचड़ी को बनाकर खाते हैं। खिचड़ी का नाम संस्कृत शब्द ‘खिच्चा’ से आया है जिसका अर्थ है चावल और दाल का व्यंजन। इस व्यंजन के प्रारंभिक उल्लेख वैदिक साहित्य में ‘क्रूसरन्न’ के रूप में हैं।
खिचड़ी का उल्लेख कई प्राचीन लोगों द्वारा भी किया गया था। ग्रीक राजा सेल्यूकस (Seleucus) ने भारत में अपने अभियान (305-303 ईसा पूर्व) के दौरान यह उल्लेख किया था कि दाल के साथ चावल भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों में बहुत लोकप्रिय है। वहीं मोरक्को (Morocco) के यात्री इब्न बतूता ने 1350 के आसपास अपने प्रवास के दौरान भारत में चावल और मूंग से बने भोजन के रूप में खिचड़ी का उल्लेख किया था। 15वीं शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा करने वाले एक रूसी साहचर्य अफानासी निकितिन (Afanasiy Nikitin) के लेखन में खिचड़ी का वर्णन मिलता है।
पराक्रमी मुगलों का भी इस चावल-दाल वाली खिचड़ी ने मन मोह लिया था, और इसे मध्यकालीन भारत की शाही भोजनसूची में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। खिचड़ी के प्रति अकबर के प्रेम के बारे में कई ऐतिहासिक संदर्भ पाए जाते हैं। अबू फज़ल के ऐन-ए-अकबरी में शाही रसोई में तैयार खिचड़ी के कई संस्करणों का उल्लेख है, जिसमें केसर, तेज़ मसाले और सूखे मेवे भी इसकी विधि में शामिल हैं। ऐसा कहा जाता है कि जहांगीर के समय में भी खिचड़ी काफी प्रसिद्ध थी। अफानासी निकितिन के यात्रा के इतिहास में एक उल्लेख मिलता है कि खिचड़ी को लोकप्रिय बनाने में जहाँगीर ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। खिचड़ी केवल भारत में ही नहीं बल्कि भारत की सीमाओं पर पाए जाने वाले देशों में भी काफी प्रसिद्ध है। हाल के पिछले कुछ वर्षों में मिस्र द्वारा खिचड़ी के एक संस्करण को अपने वास्तविक राष्ट्रीय भोजन के रूप में स्वीकार किया गया। मिस्र में पाई जाने वाली खिचड़ी को ‘कोषारी’ या ‘कुशारी’ के नाम से जाना जाता है।
कोषारी को चावल और पास्ता (Pasta), फिर दाल और एक मसालेदार टमाटर सॉस (Sauce) के साथ मिलाया जाता है और अंत में इसके ऊपर कुरकुरे तले हुए प्याज़ को डाला जाता है। जैसा कि हम जानते ही हैं कि खिचड़ी को बनाने के लिए सभी सामग्री को एक साथ ही मिश्रित किया जाता है, लेकिन कोषारी को बनाने के लिए सभी सामग्रियों को अलग-अलग पकाने के बाद एक साथ मिश्रित किया जाता है, कुछ-कुछ तरह से भारत में बनाई जाने वाली भेल पुरी की तरह। लेकिन भले ही इसे बनाने की विद्धि अलग हो, परंतु इसमें खिचड़ी के समान स्वाद पाया जाता है।
कोषारी की उत्पत्ति 19वीं शताब्दी के मध्य में हुई थी, एक ऐसे समय में जब मिस्र एक आर्थिक उछाल के बीच एक बहुसांस्कृतिक देश था। वहीं कुछ का मानना है कि इसे पहली बार मिस्र के ब्रिटिश (British) कब्जे के दौरान लाया गया था। समय के साथ, यह पकवान मिस्र के सैनिकों, फिर मिस्र के नागरिकों के माध्यम से विकसित हुआ। कोषारी को उसके शुरुआती वर्षों में ठेलों पर बेचा जाता था, और बाद में इसे रेस्तरां में पेश किया गया था।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Khichdi
2. https://www.thebetterindia.com/119823/khichdi-history-brand-india-food/
3. https://www.livehistoryindia.com/history-in-a-dish/2017/04/26/the-story-of-khichdi
4. https://bit.ly/37tDaIF
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Kushari
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://www.pxfuel.com/en/free-photo-xnnai
2. https://www.pexels.com/photo/827876/
3. https://www.flickr.com/photos/devika_smile/9604224503
4. https://www.flickr.com/photos/devika_smile/9307081572
5. https://www.pexels.com/photo/cereals-cooked-cuisine-delicious-539675/
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