वनस्पतियां मनुष्य के तमाम पहलुओं पर कार्य करती हैं, यह हमारे तमाम दैनिक जरूरतों को मद्देनजर रखकर हमारे पारिस्थितिक तंत्र में रहकर एक अटूट रिश्ते का संवहन करती है। एक ऐसी ही वनस्पति हमारे मध्य रहती है जो कि जौनपुर में भी पायी जाती है। यह वनस्पति करंजा नाम से जानी जाती है। करंजा एक फलीदार पेड़ होता है जिसे की मिलेटिया पिन्नाटा (Millettia pinnata) नाम से जाना जाता है। यह पेड़ छतरीनुमा आकार में करीब 15-25 मीटर तक की उंचाई तक बढ़ता है और यह समान रूप से फैला हुआ होता है। इस पेड़ की शाखाएं सीधी या मुड़ी तुड़ी हो सकती हैं। इनकी छाल भूरे रंग की होती हैं तथा इनकी शाखाएं पैनी धारियों से वाले दागों से भरी हुयी होती हैं। इस पेड़ की पत्तियां बारीक तरह की होती हैं। इस पेड़ के वयस्क होने के बाद करीब 3-4 साल बाद सफ़ेद, बैगनी रंग और गुलाबी रंग के फूल स्फुटित करता है जो कि सुगन्धित होते हैं। इस पेड़ के फूल करीब 15-18 मिलीमीटर लम्बे होते हैं। इसके फूल गोल अंडाकार आकार के होते हैं। इस पेड़ की फली में एक या दो बीज भूरे या लाल रंग के होते हैं। इनके बीज 1.5-2.5 सेंटीमीटर लम्बे, तैलीय परत के साथ होते हैं।
यह पौधा भारत, जापान, थाईलैंड (Thailand), उत्तर पूर्वी ऑस्ट्रेलिया तथा मलेशिया (Malaysia) तथा नाम उपोष्णकटिबंधीय वातावरण में दुनिया भर में पाया जाता है। समुद्र तल से करीब 1200 मीटर की उंचाई पर यह पौधा पाया जाता है हांलाकि हिमालय की तलहटी में यह 600 मीटर की उंचाई पर मिल जाता है। यह पौधा गर्मी की ओर ज्यादा आकर्षित होता है। यह वृक्ष अपने तेल के लिए सदियों से जाना जाता है। इससे निकले तेल को भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे हंज तेल, कनुगा तेल, करंजा तेल, पुन्गई तेल आदि। यह तेल अपनी विशेषता के लिए जाना जाता है। हाल में हुए परीक्षणों से यह पता चला है की इस तेल में डीजल के समान की विशेषताएं हैं। जेट्रोफा (jatropha) और कैस्टर (castor) के साथ यह पूरे भारत और दुनिया का तीसरा ऐसा पौधा बन गया जो डीजल बनाने की क्षमता रखता है। डीजल और मिट्टी का तेल मनुष्य के जीवन लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं इसी तथ्य पर जुडी हुयी हैं।
ये दोनों देश के प्रमुख तरल इंधन हैं जिनका कुल तरल इंधन के हिस्से का 90 फीसद का भाग है। करंजा एक अखाद्य वनस्पति तेल का श्रोत है जो वैकल्पिक तरल इंधन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जा सकता है। जैसा कि हम सबको पता है डीजल, केरोसीन आदि जीवाश्म तेल हैं तो इनको दुबारा नहीं बनाया जा सकता है परन्तु इस वनस्पति के माध्यम से तेल को दुबारा उगाया जा सकता है अतः यह एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण शोध विषय है जिसपर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Millettia_pinnata
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Pongamia_oil
3. https://www.hindawi.com/journals/jre/2014/647324/
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