देश की अर्थव्यवस्था व रोजगार के दृष्टिकोण से पशुओ का एक अहम योगदान है| श्वेत क्रांति के बाद देश मे एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ था| श्वेत क्रांति का श्रेय डॉ. वर्गीस कुरियन को जाता है| जिन्होंने अमूल के जरिये देश में दुग्ध व्यापार एवं उत्पाद को ऊपर पहुँचाया|
जौनपुर के पशुधन की सम्पूर्ण संख्या पर यदि नज़र डाली जाए तो मुख्य आंकड़े सामने आते हैं वह यह हैं – गाय की संख्या 1 लाख 87 हज़ार, 2 लाख 5 हज़ार भैंस तथा 2 लाख ९६ हज़ार भेड़- बकरी व सुअर| जिले मे प्रतिदिन 5 मीट्रिक लीटर दुग्ध का उत्पाद होता है| जिले मे 41 पशु चिकित्सालय, 69 गर्भधानी केंद्र, 58 दूध संस्थायें हैं तथा दुग्ध शीत घर की व्यवस्था 25000 लीटर प्रतिदिन की है| सम्पूर्ण पशुधन से करीब 1 लाख व्यक्ति को रोजगार लाभान्वित होता है|