आधुनिक युग में यदि हमें किसी भी चीज़ की आवश्यकता होती है तो हम बाज़ार जाकर उसे खरीद लाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हज़ारों वर्ष पहले यह प्रक्रिया इतनी सरल नहीं हुआ करती थी। उस समय यदि किसी भी व्यक्ति को कुछ चाहिए होता था, तो उसे सीधा उस व्यक्ति से मांगना पड़ता था जो उसका निर्माण करता हो। यदि उस व्यक्ति के गाँव में उस चीज़ का निर्माण नहीं किया गया होगा तो व्यक्ति को या तो अपनी इच्छा को त्यागना होगा या उस चीज़ के लिए शहर से बाहर जाना होगा।
वहीं व्यापार मानव के लिए एक वरदान के रूप में सामने आया था, जो एक पूरे नए स्तर पर विभिन्न सांस्कृतिक विचारों के आदान प्रदान को लेकर आया। जब लोग पहले मेसोपोटामिया (Mesopotamia) और मिस्र जैसे बड़े शहरों में बस गए थे, तब उनके मन में आत्मनिर्भरता का विचार आया यानि कि उन्हें पूरी तरह से उन सब चीज़ों का उत्पादन करना होगा जिनकी जरूरत उन्हें महसूस होती थी। इससे एक किसान बाज़ार से अनाज के बदले मांस ले सकता था या दूध के बदले बर्तन का व्यपार किया जा सकता था।
इस प्रक्रिया को फिर शहरों द्वारा भी उपयोग किया जाने लगा, यह सोच कर कि वे उन सामानों का अधिग्रहण कर सकते हैं जो उनके पास वाले अन्य शहरों से बहुत दूर नहीं थे। यह लंबी दूरी का व्यापार धीमा और अक्सर खतरनाक होता था, लेकिन यात्रा करने के इच्छुक बिचौलियों के लिए आकर्षक था। इतिहासकारों का मानना है कि 3000 ईसा पूर्व के आसपास पाकिस्तान में मेसोपोटामिया और सिंधु घाटी के बीच पहली लंबी दूरी का व्यापार शुरू हुआ था।
सिंधु घाटी सभ्यता दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में एक कांस्य युग की सभ्यता थी, जो 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक थी। मेसोपोटामिया मानव इतिहास में उभरने वाली पहली सभ्यता थी जो लगभग 10,000 वर्ष तक रही थी। यह क्षेत्र टाइग्रिस (Tigris) और यूफ्रेट्स (Euphrates) नदियों और एशियाई माइनर (Asian Minor) और फारस की खाड़ी के बीच स्थित था।
मेसोपोटामिया और सिंधु घाटी सभ्यता के समय में लंबी दूरी का व्यापार लगभग विशेष रूप से विलासिता के सामान जैसे मसाले, वस्त्र और कीमती धातुओं तक सीमित था। तथा जो शहर इन वस्तुओं से समृद्ध थे, वे आर्थिक रूप से भी समृद्ध हुआ करते थे। वहीं उस समय सुमेरियन (Sumerian) और अक्कादियन (Akkadian) व्यापारी खाड़ी में सक्रिय थे। हालांकि, हड़प्पा सामग्री सिंधु सभ्यता के शुरुआती दिनों में मेसोपोटामिया में आयात होनी आरंभ हो गई थी, उदाहरण के लिए, कार्नेलियन (Carnelian) मोती, उर (Ur) के शाही कब्रिस्तान (2600 और 2450 ईसा पूर्व के बीच) में कुछ कब्रों में पाए जाते थे। वहीं विशेष रूप से उर, बेबीलोन (Babylon) और किश (Kish) में हड़प्पा लिपि के साथ कई सिंधु मुहर भी मेसोपोटामिया में पाई गई हैं। ऐसा माना जाता है कि, नारम-सिन (Naram-Sin (लगभग 2250 ईसा पूर्व)) के समय से अक्कादियन सिलेंडर (Cylinder) मुहर पर दिखाई देने वाली पानी की भैंस, व्यापार के परिणामस्वरूप सिंधु से मेसोपोटामिया में आयात की गई हो सकती हैं।
मेलुहा से आयातित सुमेरियों और अक्कादियों की सामग्री के कुछ संकेतों को मेसोपोटामियन ग्रंथों से प्राप्त किया जा सकता है। इनमें विभिन्न प्रकार की लकड़ी, पत्थर और धातु, साथ ही हाथी दांत और जानवर शामिल थे। इसके साथ ही माना जाता है कि सिंधु-मेसोपोटामिया संबंधों को तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के दूसरे आधे हिस्से के दौरान विकसित किया गया था, जब तक कि वे लगभग 1900 ईसा पूर्व के बाद सिंधु घाटी सभ्यता के विलुप्त होने के साथ विराम की स्थिति में नहीं आई थी। मेसोपोटामिया और मिस्र संबंधों के संदर्भ में कम से कम 3200 ईसा पूर्व से मेसोपोटामिया दक्षिण एशिया और मिस्र के बीच लापीस लाज़ुली के व्यापार में एक मध्यस्थ था।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/38sJvE6
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Indus-Mesopotamia_relations
3. https://www.livescience.com/4823-ancient-trade-changed-world.html
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.