नए साल के आगमन के साथ, भारत में त्यौहारों का मेला शुरू हो जाता है। इन्हीं त्योहारों में से एक है मकर संक्रांति। यह मकर (मकर राशि) में सूर्य के गोचर के पहले दिन सर्दियों की संक्रांति (विषुव) और लंबे दिनों की शुरुआत को चिह्नित करती है। मकर संक्रांति एक हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से सूर्य देव और प्रकृति को उसके प्रचुर संसाधनों और इस शीतकालीन उत्सव में अच्छी उपज के लिए धन्यवाद देता है। मकर संक्रांति पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आइए एक नजर डालते हैं कि भारत के कुछ अलग-अलग राज्य मकर संक्रांति कैसे मनाते हैं।
पंजाब
पंजाब में मकर संक्रांति को ‘माघी’ के रूप में मनाया जाता है। माघी के शुरुआती घंटों में एक नदी में स्नान करना महत्वपूर्ण है। इस दिन हिन्दू धर्म के लोग तिल के तेल के साथ दीपक प्रज्वल्लित करते हैं, क्योंकि मान्यतानुसार यह समृद्धि देने और सभी पापों को दूर करने वाला है। माघी पर श्री मुक्तसर साहिब में एक प्रमुख मेला आयोजित किया जाता है, जो सिख इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना का स्मरण कराता है। सांस्कृतिक रूप से, लोग प्रसिद्ध "भांगड़ा" पर नृत्य करते हैं, इसके बाद सभी साथ बैठते हैं और इस अवसर के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया भोजन खाते हैं। पारंपरिक रूप से, खीर, खिचड़ी, गन्ने का रस और गुड़ का सेवन किया जाता है। दिसंबर और जनवरी पंजाब में साल के सबसे ठंडे महीने होते हैं। माघी मौसम के बदलाव और दिन की रोशनी में वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश
‘मकर संक्रांति’ या राजस्थानी क्षेत्रीय भाषा में ‘संक्रांत’ राजस्थान राज्य के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह दिन विशेष राजस्थानी व्यंजनों और मिठाइयों के साथ मनाया जाता है, जैसे कि फेनी, तिल-पट्टी, गजक, खीर, घेवर, पकौड़ी, पूवा, और तिल-लड्डू। विशेष रूप से, इस क्षेत्र की महिलाएं एक अनुष्ठान का पालन करती हैं, जिसमें वे 13 विवाहित महिलाओं को किसी भी प्रकार की वस्तु (घर से संबंधित, मेकअप या भोजन) उपहार या दान स्वरुप देती हैं। एक विवाहित महिला द्वारा पहली संक्रांति का बहुत ही भावनात्मक महत्व भी है, क्योंकि वह अपने माता-पिता और भाइयों द्वारा अपने पति के साथ दावत के लिए अपने मायके में आमंत्रित की जाती है। लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों (विशेष रूप से उनकी बहनों और बेटियों) को विशेष भोजन के लिए अपने घर बुलाते हैं (जिसे "संक्रात भोज" कहा जाता है)। लोग कई तरह के उपहार जैसे तिल-गुड़, फल, सूखी खिचड़ी आदि ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को देते हैं। पारंपरिक रूप से, पतंगबाजी को इस त्योहार के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर जयपुर और हडोटी क्षेत्रों में आसमान पतंगों से भरा होता है।
असम
माघ बिहू जिसे ‘भोगली बिहू’ भी कहा जाता है, असम में मनाया जाने वाला एक शस्योत्सव (फ़सल कटने पर मनाया जाने वाला उत्सव) है, जो माघ के महीने में कटाई के मौसम का प्रतीक है। असम का संक्रांति का त्यौहार सबसे भिन्न है क्यूंकि इसमें एक सप्ताह तक भोज होता है। यहाँ इस उत्सव को जगह जगह दावतों और अलाव के साथ मनाया जाता है। युवा लोग बांस, पत्तियों से अस्थायी झोपड़ियों का निर्माण करते हैं, जिसमें वे दावत के लिए तैयार भोजन खाते हैं, और फिर अगली सुबह झोपड़ियों को जलाते हैं। इस समारोह में पारंपरिक असमिया खेल जैसे टेकेली भोंगा या पॉट-ब्रेकिंग (Pot-Breaking) और भैंस की लड़ाई भी शामिल है। माघ बिहू उत्सव पिछले महीने यानी पूस के आखिरी दिन से शुरू होता है। पहले, यह त्योहार माघ के पूरे महीने तक चलता था, और इसलिए माघ बिहू नाम दिया गया था।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में मकर संक्रांति के दिन लोग बहुरंगी हलवा (शक्कर की चाशनी में लिपटे हुए दाने) और तिल-गुड़ से बने लड्डू (तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों) का आदान-प्रदान करते हैं। गुलाची पोली / पूरन पोली (गुळाची पोळी / पुरण पोळी) दोपहर के भोजन के लिए पेश किये जाते हैं। सद्भावना कि निशानी के रूप में तिल-गुड़ का आदान-प्रदान करते समय लोग एक-दूसरे को "तिगुळ घ्या, आणि गोड-गोड बोला / तिल-गुड़ घिया, आना गोड-गोड बोला" शब्दों का अभिवादन करते हैं, जिसका अर्थ है, ‘इस तिल-गुल (मिठाई) को स्वीकार करें और मीठा वाणी बोलें’। तिल-गुड़ के आदान-प्रदान में अंतर्निहित सोच पिछली दुश्भावनाओं और शत्रुता को भुलाकर मीठा बोलने और मित्र बने रहने का संकल्प लेना है। तिल के बीज का महत्व यह है कि यह शरीर को गर्म रखता है और सर्दियों में शरीर से नमी सूखने के कारण त्वचा के रूखेपन को भी ठीक करता है। महाराष्ट्र में मकर संक्रांति आमतौर पर तीन दिवसीय त्योहार है।
गुजरात
उत्तरायण, जैसा कि मकर संक्रांति को गुजराती में कहा जाता है, गुजरात राज्य में एक प्रमुख त्योहार है, जो दो दिनों तक रहता है। 14 जनवरी को उत्तरायण और 15 जनवरी को वासी-उत्तरायण (जीर्ण उत्तरायण) होता है। गुजराती लोग पतंग उड़ाने के लिए इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं। उत्तरायण के लिए पतंगें विशेष हल्के वजन के कागज और बांस से बनी होती हैं और ज्यादातर पतंगों में केंद्रीय रीढ़ और एक धनुष के आकार की सहायक सींख होती है। गुजरात में दिसंबर से मकर संक्रांति के दौरान लोग उत्तरायण का आनंद लेना शुरू कर देते हैं। अंडियू (सर्दियों की सब्जियों का मसालेदार व्यंजन) और चिक्की (तिल, मूंगफली और गुड़ से बना व्यंजन) इस त्यौहार के खास और स्वादिष्ठ व्यंजन हैं। अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट और जामनगर जैसे प्रमुख शहरों में आसमान हजारों पतंगों से भरा हुआ दिखाई देता है क्योंकि लोग अपने इलाकों में उत्तरायण का पूरा आनंद लेते हैं। जब लोग किसी भी पतंग को काटते हैं, तो वे गुजराती में "काये पो छे", "ई लपेट", "फ़िरकी वेट फ़िरकी" और "लपेट लपेट" जैसे शब्दों को चिल्लाते हैं।
हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में, मकर संक्रांति को ‘माघ साजी’ के रूप में जाना जाता है। साजी सक्रांति के लिए पहाड़ी शब्द है, जिसका आशय नए महीने की शुरुआत से है। इस दिन से माघ महीने की शुरुआत होती है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, उत्तरायणी के दिन सूर्य मकर (राशि) के राशि चक्र में प्रवेश करता है, अर्थात, इस दिन से सूर्य 'उत्तरायण' हो जाता है या उत्तर की ओर बढ़ने लगता है। ऐसा कहा जाता है कि यह दिन मौसम के बदलाव का संकेत देता है, प्रवासी पक्षी पहाड़ियों की ओर लौटने लगते हैं। माघ साजी पर लोग सुबह जल्दी उठते हैं और औपचारिक स्नान के लिए झरनों या बाओलियों में जाते हैं। दिन में लोग अपने पड़ोसियों से मिलते हैं और साथ में घी और चाट के साथ खिचड़ी का आनंद लेते हैं और मंदिरों में दान देते हैं। महोत्सव का समापन गायन और नाटी (लोक नृत्य) से होता है।
सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Makar_Sankranti
2. https://www.news18.com/news/lifestyle/makar-sankranti-the-way-it-is-celebrated-in-states-across-india-1335352.html
3. http://www.walkthroughindia.com/festivals/different-celebrations-of-makar-sankranti-festival-in-india/
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