वन हमारी धरती का अभिन्न अंग है और इसलिए इनके संरक्षण के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं। जौनपुर का वन आवरण लगभग 2.26 % है जबकि पूरे उत्तरप्रदेश में वनाच्छादन 6% है जिससे यह भारत का सबसे कम वन आच्छादन वाला चौथा राज्य बना है। भारतीय वन सेवा (Indian Forest Service-IFS) के अंतर्गत इन प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और स्थायी प्रबंधन सुनिश्चित किया जाता है तथा यह प्रयास किया जाता है कि वन आवरण संतुलित रूप से बना रहे।
भारतीय वन सेवा, भारत सरकार की तीन अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है जिसका गठन वर्ष 1966 में भारत सरकार द्वारा अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1951 के तहत किया गया था। इस सेवा का मुख्य जनादेश राष्ट्रीय वन नीति का कार्यान्वयन है। यह नीति प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और स्थायी प्रबंधन के माध्यम से देश की पारिस्थितिक स्थिरता को सुनिश्चित करने का प्रयास करती है। भारतीय वन सेवा अधिकारी जिला प्रशासन से पूरी तरह स्वतंत्र होता है। इन्हें अपने स्वयं के क्षेत्र में प्रशासनिक, न्यायिक और वित्तीय शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार प्राप्त होता है। राज्य के वन विभाग जैसे प्रभागीय वन अधिकारी, वन संरक्षक, प्रधान मुख्य वन संरक्षक आदि पर केवल भारतीय वन सेवा अधिकारियों का अधिकार होता है। प्रत्येक राज्य में सर्वोच्च रैंकिंग वाले भारतीय वन सेवा अधिकारी हेड ऑफ़ फॉरेस्ट फोर्सेस (Head of Forest Forces-HoFF) हैं।इससे पहले ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में 1867 को इंपीरियल फ़ॉरेस्ट सर्विस (Imperial Forest Service) का गठन किया जिसने भारत सरकार अधिनियम, 1935 से पूर्व तक संघीय सरकार के अधीन कार्य किया। बाद में इंपीरियल फ़ॉरेस्ट सर्विस में भर्ती बंद कर दी गई। इसका कैडर नियंत्रण प्राधिकरण पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय है। एक आईएफएस अधिकारी, अपने क्षेत्र में वन और वन्यजीवों के संरक्षण और विकास के लिए कार्य करता है। इसके अलावा वह वनों पर निर्भर ग्रामीणों और आदिवासियों के लिए रोजगार के अवसरों को भी बढ़ाने का प्रयास करते हैं। IFS अधिकारियों को अक्सर प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों आपदाओं जैसे वनों की कटाई, जंगल में आग लगना, जानवरों का अवैध शिकार आदि का निवारण करना पड़ता है क्योंकि ये आपदाएं वन्यजीवों के जीवन और आवास को खतरे में डालती हैं।
भारतीय वन सेवा युवाओं के लिए एक अच्छा विकल्प है। एक IFS अधिकारी बनने के लिए आपको किसी भी स्ट्रीम (stream) में स्नातक होना आवश्यक है। भारतीय वन सेवा, संघ लोक सेवा आयोग के अंतर्गत आती है। इच्छुक व्यक्तियों को यह पद प्राप्त करने के लिए सिविल सेवा परीक्षा को उत्तीर्ण करना अनिवार्य होता है। यह परीक्षा तीन चरणों में होती है: प्रारंभिक, मेन्स (Mains), व्यक्तित्व परिक्षण। इन तीनों चरणों को उत्तीर्ण करने के बाद आवेदकों को लगभग दो वर्षों की अवधि के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी में प्रशिक्षित किया जाता है। संघ लोक सेवा आयोग की इस परीक्षा को देने के लिए यह आवश्यक है कि आप भारत के नागरिक हों, आपकी उम्र 21 वर्ष से कम न हो तथा आप कम से कम स्नातक उत्तीर्ण हों। इसके अलावा, एक आवेदक केवल 32 वर्ष की आयु तक ही यह परीक्षा दे सकता है।भारतीय वन सेवा की वेतन संरचना निम्न प्रकार है:
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.