प्रतिवर्ष 9 जनवरी के दिन भारत सरकार द्वारा प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। यह दिवस मुख्य रूप से उन प्रवासी भारतियों का प्रतिनिधित्व करता है जिनका जन्म तो भारत में हुआ किंतु कुछ कारणों से वे विदेशों में रह रहे हैं तथा उन्होंने वहां की नागरिकता धारण कर ली है। यह दिवस उन सभी प्रवासियों के महत्व को उजागर करता है जो विश्व के अन्य देशों में निवास कर रहे हैं। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य प्रवासी भारतियों को भारत से जोड़ना तथा उन्हें भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस दिन प्रवासी भारतियों को अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित भी किया जाता है, साथ ही यह प्रयास किया जाता है कि प्रवासी भारतियों की सोच तथा भावना भारत के लिए सकारात्मक बनी रहे।
भारतीय प्रवासियों को विश्व का सबसे बड़ा प्रवासी वर्ग माना जाता है जिसमें बहुधर्मी, बहुजातीय और बहुभाषी शामिल हैं। यह प्रवासी वर्ग लगभग 1.75 करोड़ की संख्या वाला है जोकि विश्व के 28 देशों में फैला हुआ है। 1915 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इसी दिन दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। भारत में प्रवासन काफी वर्षों से होता चला आ रहा है जिसका मुख्य कारण अलग-अलग समय पर भिन्न-भिन्न रहा है। पहले मुख्य रूप से आर्थिक तंगी के चलते रोज़गार के लिए प्रवासन किया गया था। वर्तमान समय में एक अच्छे क्षेत्र में कार्य करने तथा भविष्य को अच्छा आकार देने के लिए प्रवासन किया जा रहा है। शिक्षा की बेहतर गुणवत्ता तथा अधिक सुख सुविधाएं भी प्रवासन के मुख्य कारण हैं। विदेशों में कई ऐसे नागरिक हैं जो मूल रूप से भारत के हैं तथा इन्हें पहचानने या इनकी तरफ ध्यान आकर्षित करने में बॉलीवुड फिल्मों (Bollywood Films) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
व्यावसायिक हिंदी सिनेमा राष्ट्रीय पहचान के लिए एक केंद्रीय भूमिका निभाता चला आ रहा है। वैश्विक आंदोलन की दुनिया में व्यक्ति की व्यक्तिगत पहचान बदल रही है। उसके लिए पहला प्रश्न यह होता है कि वो कौन है? और उसका घर कहां है? कई भारतीय प्रवासी इन प्रश्नों की सही जानकारी बॉलीवुड फिल्मों के माध्यम से ही कर पाये हैं। अर्थात उनका ध्यान भारत की ओर बॉलीवुड फिल्मों के माध्यम से ही आकर्षित हुआ है। भारत वापस आने वाली पहली पीढ़ी बॉलीवुड फिल्मों को देखकर ही भारत से भावनात्मक रूप से जुड़ी और परिणामस्वरूप वे भारत वापस आये या उन्होंने भारत की यात्रा की। इसी प्रकार दूसरी पीढ़ी ने भी भारत की ओर प्रस्थान किया क्योंकि वे उस आधुनिक भारत को देखना चाहते थे जिसे समकालीन बॉलीवुड फिल्मों के समृद्ध परिवेश में चित्रित किया गया था। वे बॉलीवुड फिल्मों में दिखाये जाने वाले भारतीय परिदृश्य को देखकर आकर्षित हुए तथा उन्होंने भारत आने का मन बनाया।
इसके अलावा बॉलीवुड फिल्मों के ऑन स्क्रीन एनआरआई रोल मॉडल (On screen NRI role model) को भी भारत में पश्चिमी आधुनिकता के साधन के रूप में देखा गया जिससे उन्हें पश्चिमी देशों में एक अलग पहचान प्राप्त हुई। बॉलीवुड फिल्मों ने न केवल भारत और प्रवासी भारतियों के बीच एक सेतु का काम किया बल्कि इसने दूसरी पीढ़ी के भारतीय अमेरिकियों के बीच ‘भारतीयता’ को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली संस्कृति और परंपराओं को प्रसारित करने में मदद की। जहां टीवी, इंटरनेट (Internet) और मोबाईल फोन (Mobile Phone) जैसी तकनीकी प्रगति ने प्रवासी समुदाय को अपनी मातृभूमि के साथ जुड़े रहने और अपनी आत्म-पहचान बनाए रखने में सक्षम किया वहीं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Electronic Media) भी उनकी पहचान को पुनः प्रस्तुत करने में प्रवासी भारतियों के लिए आवश्यक उपकरण रहा।
भारतीय सिनेमा पिछले साठ वर्षों से उपमहाद्वीप की लोकप्रिय संस्कृति की सबसे प्रमुख और विशिष्ट विशेषताओं में से एक है। भारतीय सिनेमा उद्योग उत्पादित फिल्मों की संख्या के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है जो लगभग 1.4 करोड़ भारतीय फिल्म दर्शकों को संतुष्ट करने के लिए प्रतिवर्ष 1000 से भी अधिक फिल्मों का निर्माण करता है। ये फिल्में न केवल प्रवासी भारतियों के भारत और पश्चिमी देशों के साथ सम्बंध को परिलक्षित करती हैं बल्कि फिल्मों के दृश्य और संगीत भारतीय पहचान के अंतर-राष्ट्रीय पहलू को भी परिलक्षित करते हैं। अंग्रेजी बाबू, देसी मेम और परदेस जैसी चुनिंदा फिल्मों के दृश्यों का विस्तार यह बताता है कि भारत को केवल एक पारंपरिक संस्कृति के रूप में नहीं बल्कि एक मिश्रित संस्कृति के रूप में चित्रित किया गया है, जिसमें एक पश्चिमी खोल के साथ अंदरूनी पारंपरिक गुण निहित हैं। यह संस्कृति फिल्म के दृश्यों और संगीत में स्पष्ट रूप से दिखायी और सुनाई देती है। इस प्रकार बॉलीवुड फिल्मों ने भारतीय प्रवासी पहचान निर्माण और पर्यटन तथा आर्थिक विकास में अपना विशेष योगदान दिया।
संदर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Diaspora
2. https://bit.ly/2QALLmL
3. https://journals.openedition.org/samaj/3000
4. http://global.asc.upenn.edu/fileLibrary/PDFs/LakshmiT.pdf
5. https://bit.ly/2N6QkTC
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