वाराणसी के बाद जौनपुर को भारतीय संगीत का केंद्र माना जाता है। एक प्रकार से यह कहा जा सकता है कि जौनपुर शहर का भारतीय संगीत के साथ गहरा सम्बंध है। शास्त्रीय संगीत के कई रागों का विकास जौनपुर में ही हुआ है जिनमें से राग जौनपुरी भी एक है। राग जौनपुरी की रचना जौनपुर के सुल्तान हुसैन शर्की द्वारा की गयी थी। जौनपुर का होने के कारण राग को राग जौनपुरी नाम दिया गया। राग जौनपुरी सुबह का राग है जोकि आसावारी ठाठ पर आधारित है।
भारतीय शास्त्रीय संगीत की जहां बात आती है वहां हार्मोनियम (Harmonium) का नाम भी ज़रूर लिया जाता है। हार्मोनियम वर्षों से शास्त्रीय संगीत का हिस्सा रहा है। चाहे गज़ल हो, कव्वाली हो या अन्य कोई संगीत शैली, हार्मोनियम का प्रयोग अवश्य किया जाता है। यह एक संगीत वाद्य यंत्र है जिसमें वायु प्रवाह के माध्यम से भिन्न-भिन्न चपटी स्वर पटलों को दबाने से अलग-अलग सुर की ध्वनियाँ निकलती हैं। कई लोगों का मानना है कि इसका आविष्कार भारत में हुआ। किंतु यह आविष्कार भारत में नहीं बल्कि यूरोप में हुआ था जिसे 19वीं सदी के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में लाया गया। हार्मोनियम का पहला प्रोटोटाइप (Prototype) क्रिश्चियन गॉटलीब क्रेट्ज़ेंस्टाइन द्वारा डिज़ाइन (Design) किया गया था। मेसन एंड हैमलिन (Mason & Hamlin) और एस्टी ऑर्गन कंपनी (Estey Organ Company) जैसे अमेरिकी फर्मों ने इस उपकरण का निर्माण व्यापक रूप से किया। कुछ समय बाद हार्मोनियम स्कैंडिनेविया, फ़िनलैंड आदि के लोक संगीत का एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया था।
20वीं सदी के मध्य के बाद यूरोप से यह उपकरण काफी हद तक गायब हो गए थे जबकि कई यूरोपीय हार्मोनियमों ने भारत में अपना रास्ता बनाया जहां वे भारतीय संगीतकारों की पहली पसंद बन गए। 1915 तक, भारत इस उपकरण का दुनिया में अग्रणी निर्माता बन गया था तथा यह धीरे-धीरे भारतीय शास्त्रीय संगीत का अभिन्न हिस्सा बनने लगा। भिन्न-भिन्न समय पर इसके रूप में भी परिवर्तन होते गये तथा यह भारत में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला वाद्य यंत्र बन गया। इसे पंप ऑर्गन (Pump organ) भी कहा जा सकता है जो एक प्रकार का फ्री-रीड (Free-reed) यंत्र है। जब हवा इसके फ्रेम (Frame) में पतली धातु के टुकड़े में से होकर बहती है तो वह कम्पन उत्पन्न करती है जिससे एक विशिष्ट ध्वनि उत्पन्न होती है। धातु के टुकड़े को रीड (Reed) कहा जाता है। इस प्रकार के पंप यंत्रों में हार्मोनियम, मेलोडीयन (Melodeon) इत्यादि शामिल होते हैं।
19वीं शताब्दी में फ्री-रीड यंत्रों का उपयोग छोटे चर्चों और निजी घरों में बहुतायत में किया गया था। 1850 और 1920 के दशक के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में कई लाख फ्री-रीड यंत्र और मेलोडीयन बनाए गए। भारत में हार्मोनियम के आगमन के बाद इसे कई तरीकों से विकसित किया गया। बंगाल में, द्वारकिन कंपनी (Dwarkin Company) के द्वारकानाथ घोष ने हार्मोनी फ्लूट (Harmony flute) को हाथ में पकड़े जाने वाले हार्मोनियम में विकसित किया जो बाद में भारतीय संगीत का एक अभिन्न अंग बना। द्विजेंद्रनाथ टैगोर द्वारा 1860 में इस आयातित उपकरण का उपयोग अपने निजी थिएटर में किया गया था। 19वीं शताब्दी के अंत में हार्मोनियम को भारतीय संगीत, विशेष रूप से पारसी और मराठी मंच संगीत में व्यापक रूप से स्वीकार कर लिया गया था। माना जाता है कि 19वीं शताब्दी में, मिशनरियों द्वारा भारत में हार्मोनियम को पेश किया गया हालांकि भारत में विकसित हाथ में पकड़े जाने वाला हार्मोनियम अत्यधिक लोकप्रिय हुआ क्योंकि अधिकतर संगीतकार फर्श पर बैठकर ही अपनी प्रस्तुती देते थे तथा इस हार्मोनियम को ज़मीन पर रखकर बजाया जा सकता था।
भारत में एक समय ऐसा भी आया जब हार्मोनियम को सीमित किया गया। दरअसल उस समय यह माना गया कि कोई भी की-बोर्ड (Keyboard) उपकरण भारतीय संगीत की ‘स्वर’ की अवधारणा को पूर्ण नहीं कर सकता। यह केवल एक या दूसरी नोट (Note) को ही बजा सकता है और इसलिए हार्मोनियम ‘गामक’ (एक नोट से दूसरे पर जाना) को उत्पन्न नहीं कर सकता जैसे वीणा और सितार कर सकते हैं। इस प्रकार यह माना गया कि हार्मोनियम अलंकार (ध्वनि अलंकरण) का निर्माण भी नहीं कर सकते हैं जो प्रायः हर भारतीय शास्त्रीय संगीत का हिस्सा होता है। दो अलग-अलग रागों में दिए गए स्वर के सूक्ष्म अंतर भिन्न होते हैं इसलिए संगीतविदों ने यह दावा किया कि हार्मोनियम के द्वारा इन्हें प्रभावी ढंग से बाहर नहीं लाया जा सकता। परिणामस्वरूप हार्मोनियम को भारतीय संगीत के लिए घातक समझा गया तथा इसे प्रतिबंधित भी किया गया। 1940 से लेकर 1971 तक ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) ने अपने एयरवेव्स (Airwaves) में इस उपकरण पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था।
संदर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Pump_organ
2. https://bit.ly/39L1ZRK
3. https://www.themantle.com/arts-and-culture/birth-death-and-reincarnation-harmonium
4. https://abhijitbhaduri.com/2012/04/22/the-charm-of-raga-jaunpuri/
5. http://www.swarmanttra.com/blog/role-of-the-harmonium-in-indian-classical-music/
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