मानव जीवन को स्वस्थ बनाने के लिए जैव विज्ञान के क्षेत्र में बहुत अधिक प्रयास किये जा रहे हैं जिसका एक परिणाम जीन थेरेपी (gene therapy) के रूप में उभरा है। जीन थेरेपी को मानव जीन ट्रांसफर (gene transfer) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक चिकित्सा क्षेत्र है जो रोग के इलाज के लिए दवा के रूप में रोगी की कोशिकाओं में न्यूक्लिक एसिड का स्थानांतरण करता है। एक प्रकार से इस प्रक्रिया में मानव डीएनए (DNA) को संशोधित किया जाता है। इस प्रकार से यह कहा जा सकता है कि जीन थेरेपी एक प्रायोगिक तकनीक है जो बीमारी के इलाज या रोकथाम के लिए विशिष्ट जीन का उपयोग करती है।
भविष्य में, इस तकनीक की सहायता से डॉक्टर दवाओं या सर्जरी का उपयोग करने के बजाय रोगी की कोशिकाओं में जीन डालकर विकार का इलाज कर सकते हैं। शोधकर्ता जीन थेरेपी के कई तरीकों का परीक्षण कर रहे हैं, जिनमें बीमारी उत्पन्न करने वाले उत्परिवर्तित जीन को बदलना, उसे निष्क्रिय करना तथा बीमारी से लड़ने में मदद करने के लिए शरीर में एक नए जीन को भेजना शामिल है। यद्यपि जीन थेरेपी कई बीमारियों जैसे वंशानुगत विकार, कुछ प्रकार के कैंसर, कुछ विषाणु संक्रमणों आदि के लिए एक आशाजनक उपचार विकल्प है किंतु यह तकनीक जोखिम भरी भी है तथा इस पर अभी भी अध्ययन किया जा रहा है ताकि तकनीक को सुरक्षित और प्रभावी बनाया जा सके। वर्तमान में जीन थेरेपी का परीक्षण केवल उन बीमारियों के लिए किया जा रहा है जिनका कोई अन्य इलाज नहीं हैं।
मानव डीएनए को संशोधित करने का पहला प्रयास 1980 में मार्टिन क्लाइन द्वारा किया गया था किंतु मनुष्यों में पहला सफल परमाणु जीन स्थानांतरण मई 1989 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान द्वारा अनुमोदित किया गया। जीन ट्रांसफर का पहला चिकित्सीय उपयोग तथा न्यूक्लियर जीनोम (nuclear genome) में मानव डीएनए का पहला प्रत्यक्ष प्रवेश सितंबर 1990 में फ्रेंच एंडरसन द्वारा किया गया था। 1989 और दिसंबर 2018 के बीच, 2,900 से अधिक नैदानिक परीक्षण किए गए। जीन थेरेपी को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। पहला दैहिक कोशिका जीन थेरेपी (Somatic cell gene therapy) और दूसरा जर्मलाइन जीन थेरेपी (germline gene therapy)। दैहिक कोशिका जीन थेरेपी में चिकित्सीय जीन को एक युग्मक, रोगाणु कोशिका, युग्मक कोशिका या अविभाजित स्टेम सेल के अलावा किसी भी कोशिका में डाला जा सकता है। इस तरह का संशोधन केवल व्यक्तिगत रोगी को प्रभावित करता है तथा वंशागत नहीं है। जर्मलाइन जीन थेरेपी में, जर्म कोशिकाओं (शुक्राणु या अंडे की कोशिकाओं) को संशोधित किया जाता है तथा कार्यात्मक जीनों को उनके जीनोम में डाला जाता है। यह परिवर्तन का प्रभाव बाद की पीढ़ियों में भी परिलक्षित होता है।
ऐसी कई विकार हैं जिन्हें जीन थेरेपी की मदद से ठीक किया जा सकता है। प्रतिरक्षा कमी (Immune Deficiency), क्रोनिक ग्रैनुलोमैटस विकार (Chronic Granulomatus Disorder), हीमोफिलिया (Hemophilia), अंधापन (Blindness), कैंसर, न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग (Neurodegenerative Diseases), मेसोथेलियोमा (Mesothelioma) आदि ऐसे रोग हैं जिन्हें जीन थेरेपी की मदद से ठीक करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Gene_therapy
2. https://ghr.nlm.nih.gov/primer/therapy/genetherapy
3. https://bit.ly/2uggE7p
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