भारत में कई देशों के विभिन्न लोग आये और यहीं के बन के रह गए। यह खूबसूरती इस देश की है जो कि सब को अपना बना कर रखता है। भारत से अफ्रीकियों का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण रिश्ता रहा है। यह रिश्ता ही था कि यहाँ पर कितने ही अफ़्रीकियों की शादियाँ यहाँ के राज घरानों में हुईं। अवध अपने समय में उत्तर भारत का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण राज्य हुआ करता था। यहाँ पर विभिन्न नवाबों ने शासन किया और यहाँ की राजधानी लखनऊ को एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाया। यहाँ का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण नवाब हुआ जिसका नाम था, वाजिद अली शाह। आपको जानकार हैरानी होगी कि वाजिद अली शाह की तीसरी बेगम यास्मीन महल अफ़्रीकी थी। लखनऊ ही नहीं बल्कि बंगाल आदि स्थानों पर भी वहां के नवाबों ने अफ़्रीकी औरतों को अपनी बीवी बनाया था।
जौनपुर में वर्तमान काल में जितनी भी महत्वपूर्ण मस्जिदें उपलब्ध हैं उनको बनाने का कार्य अफ़्रीकी शासक ने ही किया था। कई इतिहासकारों की मानें तो जौनपुर पर पूरे सौ वर्ष शासन करने वाला राजवंश शर्की वास्तव में अफ़्रीकी था। इस राजवंश की नींव मलिक सरवार ने रखी थी। मलिक सरवार वास्तव में फिरोज़ शाह तुगलक का दास था। अफ्रीकियों को ‘हब्शी’ नाम से भी बुलाया जाता है जो कि वास्तव में रंग भेद के कारण आया। सचिन और मुरुड जंजीरा आदि स्थानों पर अफ़्रीकियों ने अपने साम्राज्य की स्थापना की थी जो कि वहां पर ‘सिदी’ नाम से जाने जाते हैं। मुरुड जंजीरा भारत का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण और मज़बूत किला है। यह एक जल दुर्ग है। इस किले पर बहुत लम्बे समय तक अफ्रीकियों का आधिपत्य रहा था। भारत के कई हिस्सों में आज एक छोटी अफ़्रीकी आबादी निवास करती है। यह आबादी मुख्य रूप से दासों की तरह लायी गयी थी जो कि बाद में दास प्रथा उन्मूलन के बाद आज़ाद हुयी। भारत में आज वर्तमान समय में अफ्रीकियों की आबादी बहुत ज्यादा तो नहीं है परन्तु ये छिटपुट तरीके से गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटका आदि स्थानों पर पाए जाते हैं। अफ्रीकियों के भारत आने के विषय में कई कहानियाँ प्रचलित हैं और इनके ऐतिहासिक साक्ष्य भी बड़े तरीके से उपलब्ध हैं। ऐसा माना जाता है कि पहला सिदी भारत में 628 ईस्वी में आया था।
सिदियों ने भारत में कई स्थानों पर फ़ैल कर अपना वजूद बचाए रखा। एक कहानी के अनुसार इनको बावा गोर अपने साथ खजूर आदि का काम करने के लिए लाया था। सिदीयों को लेकर यह भी कहा जाता है कि ये दासों के रूप में भी लाये गए थे। प्राचीन काल और मध्यकाल का भारत दासों के खरीद फरोख्त के लिए अत्यंत प्रचलित हुआ करता था। प्राचीन काल में जिन दासों को यहाँ लाया गया था, या जो यहाँ व्यापार करने आये तथा जिन्होंने यहाँ पर अपना शासन स्थापित कर लिया था, समय के साथ-साथ वे यहीं के हो गए। इनमें से एक बड़ी आबादी इस्लाम धर्म मानने वाली हो गयी, कुछ हिन्दू तथा कुछ इसाई हो गए। वर्तमान समय में भी ये आबादी हैदराबाद, मुंबई, अहमदाबाद, आदि स्थानों पर रहती है। जैसा कि हमें पता है कि इनकी आबादी तकरीबन 25,000 के करीब ही है तो ये छोटी बस्तियों में रहते हैं। यह एक गरीब तबका माना जाता है जो कि काफी हद तक कई मायनों में योजनाओं आदि से दूर रह जाता है। अभी हाल में ही इनको एक बेहतर कल प्रदान करने के लिए कई योजनायें शुरू हुई हैं जो कि इनकी संस्कृति और इनको सुरक्षित कर सकें।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2Ql0QaV
2. https://bit.ly/39jBgvp
3. https://www.nypl.org/blog/2013/05/02/asias-africans
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Siddi
5. https://www.youtube.com/watch?v=ped-uIlw_24
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://cdn.pixabay.com/photo/2018/12/17/20/11/murud-janjira-3881173_960_720.jpg
2. https://bit.ly/36hWgB0
3. https://www.flickr.com/photos/nagarjun/16094755333
4. https://www.flickr.com/photos/nagarjun/16527139018/in/album-72157650135004227/
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