एक ऐसा कवक इस दुनिया में पाया जाता है जो कि खाने के स्वाद में अति उत्तम माना जाता है। इस कवक को ट्रफल (Truffle) के नाम से जाना जाता है। ट्रफल एक प्रकार का कंद भी होता है जो कि विभिन्न वर्गीकरणों में वर्गीकृत किया जाता है। ये ट्रफल मुख्य रूप से पेड़ों की जड़ों में पाए जाते हैं। ट्रफल को हिंदी में कटरुआ कहा जाता है, ये अपनी बनावट और स्वाद के कारण अत्यंत ही बेशकीमती माने जाते हैं। कितने ही लोगों के अनुसार यह तक कहा गया है की ट्रफल रसोईं का हीरा है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो कि फ्रेंच (French), इतालवी (Italian) और अन्य ना जाने कितने ही खानों में प्रयोग में लाया जाता है।
यह कवक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खाया जाने वाला पदार्थ है। यह कवक मुख्य रूप से जंगलों में पाया जाता है लेकिन इसकी खेती भी की जाती है। चॉकलेट ट्रफल भी एक प्रकार का व्यंजन होता है जो कि ट्रफल की तरह दिखाई देता है लेकिन यह पारंपरिक रूप से कोको पाउडर और अन्य ड्राई फ्रूट के संयोग से बनाया जाता है। ट्रफल बाजार में मानसून की पहली वर्षा के साथ आना शुरू होता है। यह शुरूआती दौर में भारत में करीब 1000 रूपए किलो तक बिकता है। जैसा कि पहले ही बताया गया है कि यह एक प्रकार का कवक होता है तो इसे मशरूम की भी श्रेणी में डाला जा सकता है। यह खाने में स्वादिष्ट होने के साथ साथ ही अत्यंत ही प्रोटीन से भरपूर होता है।
यह फसल वैसे तो विश्व भर में खाई जाती है लेकिन भारत में यह देश भर के प्रमुख मंडियों में देखा जाता है। यह दिल्ली, मुंबई समेत देश भर के बड़े शहरों में मिल जाता है। जैसा कि उपरोक्त पंक्तियों में बताया गया है कि यह मशरूम जंगलों में पाया जाता है तो इसका एक बड़ा फायदा वहां के स्थानीय लोगों और आदिवासियों को मिलता है। यह यहाँ के लोगों को इस समय करीब 2000 रूपए तक कमाने का अवसर प्रदान करता है। ट्रफल के महंगा होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि यह वन्य स्थल में पैदा होता है और इसको तैयार होने में ज्यादा समय भी लगता है।
पूरे भारत भर में यह विभिन्न नामों से जाना जाता है जिसे की हम निम्नलिखित रूप से देख सकते हैं। बनारस में यह कटरुआ के नाम से जाना जाता है, शाहजहांपुर में भी इसे कटरुआ ही बुलाया जाता है। लखीमपुर, पीलीभीत आदि स्थानों पर भी इसे कटरुआ नाम से ही जाना जाता है।देहरादून में इसे फूटफूट नाम से जाना जाता है और झारखण्ड में इसे रुगडा नाम से बुलाया जाता है। कटरुआ दिखने में काले सफ़ेद नदी के कंकड़ की तरह दिखाई देता है, यह काली मिटटी की परतो में ढका हुआ पाया जाता है। यह एक अंडे की तरह आवरण भी अपने ऊपर लिए रहता है जो की इसके अन्दर के गुदे को संभाल कर रखती है। यह ऐतिहासिक रूप से कई साम्राज्यों द्वारा प्रयोग में लाया जाता रहा है तथा इसी कारण इसका वक्तव्य हमें उर और रोम से भी मिल जाता है।
सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Truffle
2. https://www.thehindu.com/life-and-style/food/lets-talk-truffles/article23772402.ece
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Chocolate_truffle
4. https://en.everybodywiki.com/Katarua
5. https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/lakhimpur-kheri/the-first-crop-of-katarua-sold-thousand-kg-hindi-news
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