किलों के स्वरूप, जौनपुर

जौनपुर

 08-08-2017 11:58 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन
किलों के प्रकार से लेकर उनकी संरचनाओ तक यदि देखा जाये तो कुछ न कुछ विशेषताएं होती हैं जो एक किले को अन्य किलों से भिन्न बनाती हैं। यही कारण रहा है की विभिन्न किलों की अपनी एक वास्तु शैली रही है। इन्ही शैलियों के आधार पर ही विभिन्न किलों का अध्ययन किया जाता है। आगरा के किले से लेकर के नल दुर्ग के किले तक सबमें कई विषमताओं को हम देख सकते हैं। उनके बुर्जों के प्रकारों में, उनके मुख्य द्वारों एवं अन्दर कि संरचनाओं में आदि कई बातें सामने उभर के आती हैं। यदि शुरुआती किलों की बात करें तो पटना का किला, अहिछत्र का किला, राखीगढ़ी के किले इन सबकी दीवारों से लेकर जौनपुर का किला, लाल किला, वसई का किला, गोलकोंडा किला, मुरुड जंजीरा, लोहागढ़ किला आदि किले कई अन्य प्रकारों को प्रदर्शित करते हैं। जैसे की लाल किला, जौनपुर का किला आदि में कठोर सामग्री उनकी बुर्जों व चाहरदीवारी में भरी जाती थी वहीं वसई किले के बुर्जों में कीचड़ की तरह की सामग्री भरी जाती थी जो तोप के गोलों को रोकने में सक्षम होती थी। इसी प्रकार सदैव अजेय रहा लोहागढ़ किला मिटटी का बना अपनी प्रकार का इकलौता दुर्ग है जो अपने पर आक्रमण करने वाले को कठोर चुनौती देता था तथा उसने आक्रामकों को नाक से चने चबवा दिए थे। किलों की सुन्दरता के भी समय समय पर हमें विभिन्न उदाहरण दिखाई देते हैं जो सामरिक मजबूती के अलावा कला का भी उत्तम उदाहरण हैं। विभिन्न किलों के दरवाजों में भी कई तकनीकी विशेषताएं दिखाई देती हैं जो किले की सुरक्षा के लिए एक अहम् बिंदु हैं। विभिन्न किलों मुख्यतया स्थल किलों के चारो तरफ बनायीं गयी नहरें भी कई अलग अलग प्रकारों से बनवाई जाती थी। यह सारी विशेषताएं किलों को एक आकार व प्रकार प्रदान करती हैं। चित्र संख्या 1 में जौनपुर किले के मुख्यद्वार के अंदर का भाग प्रदर्शित किया गया है। वह किले की सामरिक स्थिती के दौरान की तैयारियों को दिखाता है। चित्र संख्या दो वसई किले के एक गिरजाघर का है जिसके अंदर चित्रकारी भी की गयी है। यह सौन्दर्य और धार्मिक स्थिति के महत्ता को प्रदर्शित करता है। 1. फोर्टीफाईड सिटीज़ ऑफ़ इंडिया- ए कम्पेरेटिव स्टडी: डाइटर श्लिंग़लोफ़ 2. फोर्ट्स ऑफ़ इंडिया: वर्जीनिया फास 3. फोर्ट्स एण्ड पैलेसेस ऑफ़ इंडिया: अमिता बेग, जोगिन्दर सिंह 4. द स्ट्रॉन्गहोल्ड ऑफ़ इंडिया: सिडनी टॉय


RECENT POST

  • बैरकपुर छावनी की ऐतिहासिक संपदा के भंडार का अध्ययन है ज़रूरी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:21 AM


  • आइए जानें, भारतीय शादियों में पगड़ी या सेहरा पहनने का रिवाज़, क्यों है इतना महत्वपूर्ण
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:18 AM


  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id