लुप्तप्राय हो चुके चित्रा इंडिका कछुए

जौनपुर

 19-12-2019 02:24 PM
रेंगने वाले जीव

कछुओं की बढ़ रही तस्करी और व्यापार से कछुओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है। बढ़ता जल प्रदूषण भी इनके अस्तित्व के लिए खतरा बन रहा है। यह तो हम में से अधिकांश लोग जानते हैं कि कछुओं की कई प्रजातियाँ होती है और उनमें से एक हैं, ट्रायोनिकिडे (Trionychidae) परिवार के ‘चित्रा इंडिका’ कछुए जो उत्तर प्रदेश में भी पाए जाते हैं। यह एक बहुत बड़ी और मूल रूप से एक जलीय प्रजाति है। इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा रेड लिस्ट (Red List) में लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, और 1972 के भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की अनुसूची II में रखा गया है।

चित्रा कछुए भारतीय उपमहाद्वीप के नदी पारिस्थितिक तंत्र में व्यापक रूप से वितरित हैं। ये कछुए अपनी सीमा में कहीं भी उच्च घनत्व वाले क्षेत्र पर निवास नहीं करते हैं। इनकी विशेष आहार और निवास की आवश्यकताएं इन्हें विशेष रूप से मानव गतिविधियों के कारण निवास स्थान के लिए संवेदनशील बनाती हैं। उनके आहार में मछली, मेंढक, क्रस्टेशियंस (Crustaceans) और घोंघे शामिल हैं। साथ ही यह मध्य भारत में मानसून के दौरान और बाकी हिस्सों में सूखे मौसम के दौरान प्रजनन करते हैं। यह प्रजाति पाकिस्तान के सतलज और सिंधु नदी घाटियों, भारत, नेपाल और बांग्लादेश की गंगा, गोदावरी, महानदी और अन्य नदियों की घाटियों में पाई जाती है। अकेले असम में लगभग 15 पुराने मंदिर तालाब हैं, जिनमें ये कछुए पाए जाते हैं। इन मंदिरों के तालाबों के संरक्षण की आवश्यकता है, जो कई लुप्तप्राय कछुओं की मेज़बानी करते हैं। हालांकि व्यापक रूप से, यह कम घनत्व और यहां तक कि संरक्षित क्षेत्रों के भीतर में रहते हैं। ये रेतीले तल के साथ स्पष्ट, बड़ी या मध्यम नदियों में निवास करना पसंद करते हैं। ये ज्यादातर समय रेत के नीचे छुप कर बिताते हैं और कभी-कभी इनकी केवल नाक की नोक ही बाहर रहती है।

ये कछुए मिट्टी में छुप कर अपने शिकार का इंतज़ार करते हैं और जब शिकार करीब आता है तब ये अपना सिर बाहर निकाल कर शिकार को पकड़ते हैं। एनिमल प्लेनेट (Animal Planet) के शो (Show) “रिवर मॉन्स्टर्स” (River Monsters) के 2009 के एक वीडियो (Video) में, इस कछुए को तेज़ी से अपने सिर और लंबी गर्दन को अपने खोल से बाहर निकालते हुए दिखाया गया था। इनकी प्रजाति को मुख्य रूप से मनुष्यों द्वारा शिकार और उनके निवास के नुकसान का खतरा होता है। मनुष्यों द्वारा इस कछुए के मांस का सेवन किया जाता है। हालांकि 1900 के दशक के दौरान इसके मीट को मोटा और अन्य ट्रायोनिकिडे के मुकाबले ज्यादा मूल्यवान नहीं माना जाता था, लेकिन 1980 के दशक तक भारत में इसका महत्वपूर्ण संख्या में कारोबार किया गया था। इसकी कैलीपी (Calipee - कछुए के कवच के निचले हिस्से के अंदर पाई जाने वाली पीली सामग्री), और फ़ायब्रोकार्टिलेज (Fibrocartilage - खोल के चमड़े जैसे बाहरी किनारे) के लिए अब बड़े पैमाने पर इसका शिकार किया जाता है। उबलने और सूखने के बाद, इसे पारंपरिक दवाओं और सूप के निर्माण के लिए बांग्लादेश या नेपाल के माध्यम से चीन भेज दिया जाता है।

एक वयस्क कछुआ जिसका वज़न करीब 30 किलोग्राम हो, उससे केवल 650 ग्राम कैलीपी प्राप्त की जा सकती है। वर्ष 2009 में, 1 किलो सूखी कार्टिलेज की कीमत स्थानीय कछुओं के व्यापारियों से लगभग 2,000 रुपये और बिचौलियों से लगभग 3,500 रुपये तक होती थी। गंगा नदी के पास स्थित स्थानीय नदी समुदाय भी इस प्रजाति के अंडे और मांस का सेवन करते हैं।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_narrow-headed_softshell_turtle
2. https://www.conservationindia.org/gallery/the-endangered-narrow-headed-softshell-turtle
3. https://bit.ly/2rI7aB4
चित्र सन्दर्भ:-
1.
https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Chitra_chitra_Hardwicke.jpg
2. https://en.wikipedia.org/wiki/File:Chitra_chitra_Hardwicke_white_background.jpg
3. https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Chitra_indica,_skeleton.jpg



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id