बायोरीमीडिएशन हो सकता है प्रदूषण के उच्च अपवहन का हल

जौनपुर

 28-11-2019 11:30 AM
कीटाणु,एक कोशीय जीव,क्रोमिस्टा, व शैवाल

वर्तमान समय में पर्यावरण प्रदूषण एक अत्यंत ही चिंताजनक स्तर पर पहुँच चुका है और यह जौनपुर ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक ऐसा बिंदु हो चुका है जिससे सभी को लामबंद हो कर लड़ने की आवश्यकता है। पर्यावरण प्रदूषण जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि को कहा जाता है। व्यक्ति जिस वातावरण में सांस लेता है और जिस वातावरण में रहता है अगर वह वातावरण रहने लायक ही ना हो तो क्या ही कहा जाए। आइये इस लेख के माध्यम से पर्यावरण के जैव उपचार के सम्बन्ध में जानने की कोशिश करते हैं।

जैविक उपचार की यदि बात करें तो स्यूडोमोनास (Pseudomonas) एक एरोबिक (Aerobic) और रॉड के आकार वाले बैक्टीरिया (Bacteria) होते हैं। ये बैक्टीरिया इस प्रकार के होते हैं जो स्रोत के रूप में ऊर्जा और कार्बन (Carbon) के 1-100 से भी अधिक कार्बनिक यौगिकों का उपयोग कर सकते हैं। ये ऐसे जैव हैं जो कि तेल, कवकनाशी, कीटनाशक और शक्नाशक तत्वों को ख़त्म करने में सक्षम होते हैं। ये इन सभी प्रदूषण से भरे तत्वों को खा कर अपने पाचन शक्ति से पूर्णरूप से ख़त्म कर देते हैं।

अब इसके अलावा एक और तरीका है जो कि मिट्टी, हवा आदि को शुद्ध करने का कार्य करता है, यह है बायोरीमीडिएशन (Bioremediation)। बायोरीमीडिएशन सूक्ष्म जीवों का उपयोग करके प्रदूषकों को जैविक क्षरण के माध्यम से गैर विषाक्त पदार्थों में बदलता है। बायोरीमीडिएशन तकनिकी में एरोबिक या अनारोबिक जैसे सूक्ष्म जीव शामिल हो सकते हैं जो कि अक्सर ऊर्जा के स्रोत के रूप में ऐसे क्षरण किये पदार्थों का उपयोग करते हैं। बायोरीमीडिएशन तकनीकी मुख्य रूप से तीन श्रेणियों से कार्यरत है- मिट्टी और भूजल के लिए सीटू उपचार, हवा का जैव अपघटन और बायो रिएक्टर (Bioreactors), और जल उपचार शामिल हैं। यदि देखा जाए तो बायोरीमीडिएशन कोई नयी तकनीक नहीं है लेकिन यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें कम संसाधनों और कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

इस तकनीक की खास बात यह है कि यह अपशिष्ट के रूप में खतरनाक उत्पादों को इकठ्ठा नहीं करता अर्थात यह खतरनाक पदार्थों को पूर्ण रूप से ख़त्म कर देता है जिससे प्रदूषण बहुत हद तक कम हो जाता है। यह एक कम लागत और अधिक लाभ वाली तकनीक है हांलाकि इसमें पारंपरिक तकनीकों की तुलना में अधिक समय लगता है। इस तकनीक से प्रदूषित स्थान की ज़रूरतों के अनुसार यह विशेष रोगाणुओं या जीवों को विकसित करता है और जैवों को पर्यावरण के प्रदूषण के अनुकूल करने के लिए सिंथेटिक बायोलोजी (Synthetic Biology) औज़ारों की मदद से यह बेहतर कार्य करता है।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ के लिए ख़तरा है और यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का कार्य करता है। प्रदूषण जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि मिट्टी आदि को प्रभावित करता है, जिससे भोजन आदि उगाने में समस्या का सामना करना पड़ता है। इस तकनीक के माध्यम से स्वच्छ जल, मिट्टी और हवा आदि का मिलना तय है अतः यह एक बेहतर विकल्प है जो जैव रूप से प्रदूषण को कम कर एक अच्छे भविष्य की और हमें अग्रसर करने में सक्षम है।

संदर्भ:
1.
https://www.ecomena.org/biomediation/
2. https://bit.ly/34uq1xt
3. https://microbiologysociety.org/blog/bioremediation-the-pollution-solution.html
4. https://www.talkplant.com/beneficial-plant-microbes-help-purify-polluted-air/



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