जौनपुर उत्तरप्रदेश का एक अति प्राचीन जिला है, यहाँ की स्थापना फिरोज़ शाह तुगलक ने की थी जो कालान्तर में शर्की साम्राज्य की राजधानी बनी। शर्कियों ने जौनपुर को एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थल के रूप में विकसित किया और यहाँ पर अनेकों इमारतों का निर्माण करवाया जिनमें अटाला मस्जिद, शाही किला, झंझरी मस्जिद, चार अंगुल मस्जिद, जामा मस्जिद आदि प्रमुख हैं।
शर्कियों के बाद इस शहर पर लोदियों ने आक्रमण किया और इस शहर को तोड़ कर रख दिया लेकिन फिर बाद में मुग़ल साम्राज्य की नज़र इस पर पड़ी और उन्होंने इस शहर को फिर से आबाद किया और यहाँ पर अनेकों नई इमारतों का निर्माण करवाया जिनमें कुलीच खान का मकबरा, मस्जिदें और शाही पुल आदि हैं। यहाँ पर एक मस्जिद का शर्कियों द्वारा निर्माण किया गया था जिसका नाम बरहा मस्जिद है जो कि अत्यंत ही कम प्रसिद्ध है, तो आइये इस लेख में हम इस मस्जिद के बारे में पढ़ते हैं और जानने की कोशिश करते हैं इसके वास्तु और इतिहास के बारे में।
जौनपुर से कुछ ही दूर एक अन्य स्थान है जिसका नाम है जाफराबाद। वास्तविकता में यदि देखा जाए तो जाफराबाद भी मुग़ल और शर्की काल में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण शहर था और वहां पर भी कई इमारतों का निर्माण किया गया था। मुग़ल काल में सिक्कों की टकसाल का भी निर्माण जाफराबाद में ही किया गया था।
आज वर्तमान का जाफराबाद का रेल स्टेशन यहाँ की एक प्राचीन इमारत की ही नींव पर उपस्थित है। कुछ विद्वानों की मानें तो जाफराबाद स्टेशन के ही नीचे मुग़ल कालीन टकसाल दबा हुआ है। शेख बरहा की मस्जिद जाफराबाद में ही स्थित है। यह करीब सन 1311 में बनवाई गयी थी। यह मस्जिद जिस स्थान पर बनी है उस क्षेत्र में कई मंदिर एक समय में हुआ करते थे जो कि या तो फिरोज़ शाह के काल में तोड़े गए या फिर प्राकृतिक रूप से गिर गए थे। अब ऐसे में इस मस्जिद का निर्माण यहाँ पर पाए जाने वाले मंदिर के पत्थरों के प्रयोग से हुआ है।
प्राचीन काल में कई ऐसे स्थल दिखाई देते हैं जहाँ पर पुरानी इमारतों को तोड़ कर या खाली इमारतों के सामान को नयी इमारतों के निर्माण में इस्तेमाल किया जाता था। उदाहरण स्वरुप महाराष्ट्र के उस्मानाबाद क्षेत्र की बुद्ध गुफा धाराशिव को देख सकते हैं या फिर मांडू में स्थित नीलकंठ महादेव के मंदिर को देख सकते हैं। इस इमारत का आकार प्रकार असमान प्रकार का दिखता है। इसमें एक 65 फीट बड़ा चौकोर हॉल है जिसकी छत 20 फीट ऊंची है और इसके छत की यदि बात की जाए तो यह बात निकल कर सामने आती है कि यह गुम्बदाकार ना होकर सपाट है। यह मस्जिद कुल 60 खम्बों पर खड़ी है। इस मस्जिद के मेहराब का भाग कुछ 10 फीट मोटा है जो कि जौनपुर के मस्जिदों की विशेषता है। इस मस्जिद में जौनपुर के अन्य मस्जिदों की भाँती तोरण भी बनाया गया है। इस मस्जिद का प्रवेश द्वार खुला हुआ नहीं है जो कि यह प्रदर्शित करता है कि प्रवेश द्वार के सामने बने बगीचे में प्रार्थना करने वाले बैठा करते थे। आज भी यह मस्जिद यहाँ पर उपस्थित अपने गौरव का गान कर रही है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2Ofz4wE
2. https://bit.ly/2QMPbn1
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