इंटरनेट (Internet) पर बिताये जाने वाले समय की बढ़ती मात्रा के साथ और अधिक से अधिक लेनदेन ऑनलाइन (Online) होने से डिजिटल (Digital) अर्थव्यवस्था का वर्तमान समय में एक महत्वपूर्ण स्थान बना हुआ है। डिजिटल युग उत्पादकता में वृद्धि, कंपनियों को नए विचारों, प्रौद्योगिकियों, नए प्रबंधन और व्यवसाय प्रतिरूपों को उजागर कर रहा है और बाज़ार पहुंच की नई प्रणालियों का निर्माण कर रहा है। साथ ही यह सब अपेक्षाकृत कम लागत पर प्रदान किया जा रहा है।
उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था में पूरी तरह से शामिल होने से रोकने और जोखिमों को कम करने के लिए उपयुक्त नीतियां होनी चाहिए। जहाँ एक तरफ हाल ही के वर्षों में माल और वित्तीय प्रवाह के वैश्विक व्यापार सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से को अपने चरम पर पाया गया वहीँ दूसरी तरफ डाटा (Data) प्रवाह इससे बहुत अधिक गति से बढ़ रहा है। 2018 में किए गए एक शोध में पाया गया कि, अमेरिकियों ने केवल गूगल (Google) और विकिपीडिया (Wikipedia) पर ही नहीं बल्कि सोशल नेटवर्क (Social Network), ऑनलाइन कोर्स (Online Course), मैप्स (Maps), मैसेजिंग (Messaging), वीडियो कांफ्रेंसिंग (Video Conferencing), संगीत, स्मार्टफोन ऐप (Smartphone App) और बहुत से डिजिटल मीडिया (Media) पर प्रतिदिन औसतन 6.3 घंटे बिताए थे।
कुल सकल घरेलू उत्पाद में सूचना क्षेत्र का योगदान 1980 के दशक में मुश्किल से बढ़ा था, जो 4% से 5% सालाना के बीच रहा था और 2018 तक केवल 5.5% तक पहुँचा था। हालांकि सकल घरेलू उत्पाद इस बात पर आधारित है कि लोग वस्तुओं और सेवाओं के लिए क्या भुगतान करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी चीज़ की कीमत शून्य है, तो सकल घरेलू उत्पाद में भी यह शून्य का योगदान देता है। लेकिन हममें से अधिकांश को मुफ्त डिजिटल सामान जैसे विकिपीडिया और ऑनलाइन मानचित्र से अधिक महत्व मिलता है।
वैसे तो सकल घरेलू उत्पाद की एक बहुत विशिष्ट परिभाषा और मूल्य है, लेकिन यह डिजिटल अर्थव्यवस्था द्वारा उत्पन्न उपभोक्ता अधिशेष पर अपना अधिकार नहीं रखता है। जीडीपी-बी (GDP-B) इन्हीं चरम सीमाओं के बीच संतुलन बनाता है, जो आकलन में विपरीत समस्या होती हैं। इस प्रकार, यह नीति निर्माताओं और नियामकों के लिए एक उपयोगी सुधार का प्रतिनिधित्व करता है ताकि यह समझा जा सके कि किस प्रकार तकनीकी, अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है।
निम्न उभरते देशों के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था के लाभ और चुनौतियां हैं :-
• उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था के लाभ संभावित रूप से काफी बड़े हैं क्योंकि इसमें डिजिटल उत्पादों और सेवाओं तक पहुंच से संबंधित महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता बढ़ाने वाले अवसर हो सकते हैं जो प्रक्रियाओं और उत्पादन को अनुकूलित करने, लेनदेन की लागत को कम करने और आपूर्ति श्रृंखला को बदलने में मदद करते हैं।
• सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की कीमतों में गिरावट, उभरती अर्थव्यवस्थाओं में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के निवेश और इन्हें अपनाने को प्रोत्साहित करती है, जिससे उनकी कंपनियां प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अत्याधुनिक सेवाएं प्रदान करती हैं।
• उपभोक्ताओं के लिए, लाभ प्रतिस्पर्धी कीमतों पर वस्तुओं और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला एक बड़ा लाभ है।
• डिजिटल अर्थव्यवस्था से संबंधित विकास चुनौतियां भी हैं जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है डिजिटल वस्तु और संरचना की गिरावट।
• ऐसे देश जिनके पास डिजिटल तकनीकों के प्रबंधक के रूप में कार्य करने वाली कंपनियां हैं, वे इसके अन्य लाभों को प्राप्त करने की संभावना रखते हैं जो डिजिटल अर्थव्यवस्था से उत्पन्न होते हैं यानी दीर्घकालिक विकास, नौकरी और धन सृजन, और उत्पादकता और प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में स्थायी सकारात्मक प्रभाव प्रदान करना।
संदर्भ:
1. https://hbr.org/2019/11/how-should-we-measure-the-digital-economy
2. https://sipa.columbia.edu/file/evaluating-importance-digital-economy
3. http://www.ictsd.org/opinion/seizing-the-benefits-of-the-digital-economy-for-development
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.