जब कभी हम चिड़ियाघर में जाते हैं तो वहाँ हम अनेक प्रकार के जीव जंतुओं को देखते हैं। ऐसे ही हम में से अधिकांश लोगों ने चिड़ियाघर में एक शानदार खूबसूरत समुद्री पक्षी ग्रेटर फ्लेमिंगो (Greater flamingo - राजहंस) को तो देखा ही होगा। ग्रेटर फ्लेमिंगो को सबसे पहले 1959 में बेसल चिड़ियाघर में देखा गया था। फ़ॉनिकोप्टेरस रोज़ेयस (Phoenicopterus roseus) के वैज्ञानिक नाम के साथ ग्रेटर फ्लेमिंगो भारत में राजहंस परिवार की सबसे व्यापक प्रजातियों में से एक है।
यह अफ्रीका में, भारतीय उपमहाद्वीप पर, मध्य पूर्व में और दक्षिणी यूरोप में पाया जाता है। साथ ही ग्रेटर फ्लेमिंगो जौनपुर में भी पाया जाता है। 1811 में पीटर साइमन पल्लास द्वारा भी ग्रेटर फ्लेमिंगो का वर्णन किया गया था। इसे पहले अमेरिकी राजहंस की प्रजाति माना जाता था, लेकिन इसके सिर, गर्दन, शरीर और चोंच के रंग के अंतर के कारण इसे एक अलग प्रजाति के रूप में चिह्नित कर दिया गया।
ग्रेटर फ्लेमिंगो लगभग 110-150 सेमी लंबे और 2–4 किलोग्राम वज़न वाले होते हैं। अधिकांश फ्लेमिंगो का रंग गुलाबी-सफेद होता है, लेकिन पंखों का आवरण लाल होता है और नीचे के कुछ पंखों का काला रंग होता है। चोंच की नोक काले रंग और पैर पूरी तरह से गुलाबी रंग के होते हैं। ये लगभग 75 वर्ष की आयु तक जीवित रहते हैं। ऑस्ट्रेलिया में एडिलेड चिड़ियाघर में सबसे पुराना ज्ञात ग्रेटर फ्लेमिंगो मौजूद था जिसकी मृत्यु लगभग 83 वर्ष की आयु में हुई थी।
ग्रेटर फ्लेमिंगो एक रात में 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से 600 किलोमीटर की यात्रा करने में सक्षम रहते हैं। वहीं इनके बारे में सबसे रोचक तथ्य यह है कि ये अपने एक पैर पर खड़े रहने के आदि होते हैं और ये आमतौर पर बड़े क्षारीय, खाड़ी या नमकीनी झीलों में पाए जाते हैं। इनका प्रमुख भोजन लाल शैवाल, नीला-हरा शैवाल, डायएटम (Diatom), क्रस्टेशियन (Crustaceans), लार्वा और वयस्क छोटे कीड़े, मोलस्क (Mollusks), और छोटी मछलियां हैं। ग्रेटर फ्लेमिंगो के आहार में, अल्फा और बीटा कैरेटेनॉइड पिगमेंट (Alpha & Beta Caratenoid Pigments) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो वास्तव में ग्रेटर फ्लेमिंगो के गुलाबी और लाल रंग के पंख और पैरों का कारण बनते हैं।
ग्रेटर फ्लेमिंगो एक गैर-प्रवासी पक्षी है लेकिन जलवायु परिवर्तन या उनके प्रजनन क्षेत्रों में जल स्तर में गिरावट के कारण वे कुछ मौसमी स्थानांतरण करते हैं। इनके उपनिवेश स्थायी नहीं होते हैं और ये ऊंची झीलों (जो सर्दियों के मौसम में जम जाती हैं) में प्रजनन करते हैं। यदि उन झीलों में पानी बढ़ जाता है तो वे अन्य अनुकूल स्थानों पर चले जाते हैं।
वैसे तो ग्रेटर फ्लेमिंगो “न्यूनतम चिंतन” की सूची में आते हैं, लेकिन इनके लिए सबसे बड़ा खतरा मनुष्य हैं। चूंकि ग्रेटर फ्लेमिंगो खाद्य प्रजातियां हैं, इसलिए भोजन के लिए इनका शिकार किया जाता है। निवास स्थान का विनाश; विनिर्माण कंपनियों द्वारा बैक्टीरिया (Bacteria), विषाक्त पदार्थों और पानी की आपूर्ति में प्रदूषण आदि इनकी प्रजाति के लिए एक बहुत बड़े खतरे हैं।संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Greater_flamingo
2. https://bit.ly/2CyNQYu
3. https://www.indianmirror.com/wildlife/birds/greater-flamingo.html
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