ईद उल मिलाद को जौनपुर में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह शहर मध्यकालीन भारत में शर्कियों के काल में बनाया गया था तथा यह शहर इस्लाम के कई तथ्यों को शुरुवाती दौर से ही प्रदर्शित करते रहा है। एक वह भी दौर था जब इस्लाम के अद्ययन के लिए जौनपुर को शिक्षा का गढ़ माना जाता था और यहाँ पर अनेकों विद्वानों ने शिक्षा ग्रहण किया था जिसमे से एक शेर शाह शूरी भी थें। ईद उल मिलाद या मावलिद के इस त्यौहार के इतिहास औr इससे जुडी कुछ गानों और कविताओं के बारे में आइये विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं। ऐतिहासिक रूप से मावलिद का त्यौहार नबी मुहम्मद के जन्म के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार में पूरे शहर में सजावट और विभिन्न मिठाइयों की दुकाने देखि जा सकती हैं। इस उत्सव से जुड़ा एक गीत की परंपरा है जो पैगम्बर मुहोम्मद को को मात्र कुरान के उद्घरणकर्ता से ही नहीं बल्कि उनके लौकिक महत्व और वैश्विक दयाभाव को भी प्रदर्शित करता है।
गीत के अनुसार वे मुहम्मद ही थें जिन्होंने श्रृष्टि के कारण के रूप में कार्य किया और वह इश्वर को इतना प्रेम करते थें की उन्होंने यह कहा की इश्वर के बिना श्रृष्टि नहीं होगी (पवित्र हदीस, “वा ला लाका” के अनुसार)। आगे के उद्घरण के अनुसार जिस प्रकार से चन्द्रमा सूर्या प्रकाश को दर्शाते हैं उसी प्रकार से मुहम्मद ब्रह्माण्ड पर ईश्वर के प्रकाश को दर्शाते हैं। मालविद कविताओं में सबसे प्रसिद्द एक तुर्की कविता है जो की लगभग 700 वर्ष पहले लिखा गया था। यह कविता सुलेमान चेलेबी द्वारा लिखा गया था। इस कविता में मुहम्मद की मा अमीना का जिक्र देखने को मिलता है। मुस्लिम परंपरा की यह विशेषता है की इसमें मुहम्मद की सर्वोपरि गुणवत्ता पर जोर दिया गया है और इसे रहमतुन ली अल-आलमीन जो की कुरआन 21:107 से संदर्भित किया गया है।
इस कविता के अगले भाग में ब्रह्माण्ड के मुहम्मद के जन्म का स्वागत करने को प्रदर्शित किया गया है। इन कविताओं को जन्म उत्सव के सन्दर्भ में ही नहीं बल्कि मुहम्मद के नामकरण के भी सन्दर्भ में गाया जाता है। ये कवितायें अरबी, कुर्द और तुर्की आदि भाषाओं में लिखी गयी हैं। ये मात्र कवितायें ही नहीं हैं बल्कि कहानिया भी हैं जिन्हें विभिन्न विषयों पर लिखा गया है और इनके विभिन्न अध्याय भी हैं जो की निम्नवत हैं-
मुहम्मद के पूर्वज
मुहम्मद की अवधारणा
मुहम्मद का जन्म
हलीमा का परिचय
बेडौंस में युवा मुहम्मद का जीवन
मुहम्मद अनाथ
अबू तालिब के भतीजे की पहली कारवां यात्रा
मुहम्मद और ख़दीजा के बीच विवाह की व्यवस्था
अल-इसरा '
अल-मिराज, या स्वर्ग का स्वर्गारोहण
अल-हीरा, पहला रहस्योद्घाटन
पहले इस्लाम में धर्मान्तरित
हिजरा
मुहम्मद की मृत्यु आदि।
उपरोक्त लिखे तमाम पाठ इस दिन होने वाले समारोहों का हिस्सा हैं। विभिन्न स्थानों पर लोग मावलिद का जश्न अलग अलग हिसाब से मनाते हैं और यह मायने रखता है की स्थान कौन सा है। इस त्यौहार में विभिन्न स्थानों के आधार पर विभिन्न स्थानों की सांस्कृतिक प्रभाव देखने को मिलती हैं।
सन्दर्भ:
1. https://onbeing.org/blog/the-celebration-of-mawlid-the-birthday-of-the-prophet/
2. https://www.persee.fr/doc/ethio_0066-2127_2007_num_23_1_1503
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Mawlid#Mawlid_texts
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