मौत से पहले ज़िंदगी की आखिरी सीढ़ी बुढ़ापा है, यहां तक पहुंचते-पहुंचते शरीर और दिमाग जवाब देने लगता है। बुढ़ापा इंसान की उम्र का सबसे खराब दौर माना जाता है, यानी उम्र का ये वो हिस्सा होता है जिसका आना तय है लेकिन कोई इसे जीना नहीं चाहता। बुढ़ापे में इंसान शारीरिक रूप से कमज़ोर और दूसरों पर आश्रित हो जाता है। लोगों के अंदर बुढ़ापे के भय को देखते हुए कई बड़े-बड़े वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता इस अवस्था से बचने के उपाय सोच रहे हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि 2030 तक, दुनिया के हर पांच में से एक व्यक्ति की आयु 65 वर्ष से अधिक होगी। दीर्घायु और वृद्धावस्था विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य चुनौतियों के साथ होती हैं और जनसंख्या अध्ययन से संकेत मिलता है कि बुज़ुर्ग युवा आबादी की तुलना में तीन से पांच गुना अधिक स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग करेंगे। दिल के दौरे, स्ट्रोक (Stroke), मधुमेह, कैंसर (Cancer), सीने में दर्द, और गठिया सहित उम्र बढ़ने से संबंधित स्वास्थ्य के मुद्दों को नियंत्रित करने में आधुनिक चिकित्सा ने काफी प्रगति की है। इस प्रकार, प्रत्येक व्यक्ति अब असीमित स्वास्थ्य यानि 100 या अधिक वर्षों तक की स्वस्थ जीवनकाल की आशा कर सकता है।
20वीं सदी के आसपास, अधिकांश औद्योगिक देशों में जीवन प्रत्याशा 50 वर्ष से कम थी। वहीं 21वीं सदी में, यह 50% तक बढ़कर 75 साल की सीमा को पार गई। बेशक यह वृद्धि बेहतर स्वच्छता हासिल करने, महामारी और संक्रामक रोगों को रोकने में सफलता और शिशु मृत्यु दर में तेज़ गिरावट के परिणामस्वरूप हुई है। ज़ाहिर सी बात है, मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और वृद्धावस्था में जीवित रहने के लिए अधिक से अधिक लोगों को सक्षम बनाने में आधुनिक तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। न केवल बायोमेडिकल (Biomedical) विज्ञान, बल्कि स्वच्छ पानी और स्वच्छता, अपशिष्ट उपचार और निपटान, बेहतर आहार और एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) जैसे नवाचारों ने भी हमें संक्रामक और परजीवी रोगों पर काफी नियंत्रण दिया है। आयुर्वृद्धि विशेषज्ञों द्वारा किए गए शोध में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए प्राकृतिक क्रम के खिलाफ जाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। एंटी-एजिंग (Anti aging) दवाइयाँ, प्रतिबंधित भोजन की खपत, शरीर के अंगों की क्लोनिंग (Cloning) और जैविक उपायों का उपयोग करके उम्र बढ़ने के लक्षणों को कुछ और अधिक समय के लिए रोका जा सकता है।
वहीं विश्व में सबसे प्रामाणिक औषधीय प्रणालियों में से एक आयुर्वेद, उम्र बढ़ने की प्रक्रिया की विभिन्न अवधारणाओं को प्रस्तुत करता है। चिकित्सा की इस प्रणाली में उम्र बढ़ने के साथ-साथ स्वस्थ रहने के लिए कई उपचार शामिल हैं ताकि एक इष्टतम स्वास्थ्य बनाया जा सके और प्रकृति के साथ सद्भाव में रहकर किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति को उत्तम किया जा सके।
2014 में किए गये एक छोटे से अध्ययन से पता चलता है कि अल्ज़ाइमर्स (Alzheimer’s) से होने वाली स्मृति हानि को आहार परिवर्तन, मस्तिष्क उत्तेजना, व्यायाम, बेहतर नींद और मस्तिष्क रसायन जैसे तरीकों में बदलाव करके बचाया जा सकता है। वहीं स्टेम सेल (Stem Cells) कुछ ऐसे दरवाज़ों को भी खोल सकते हैं जो अल्ज़ाइमर्स और अन्य उम्र से संबंधित बीमारियों को रोक सकते हैं। साथ ही फलशर्करा और इक्षुशर्करा में उच्च आहार टाइप 2 मधुमेह से जुड़े चयापचय परिवर्तनों को प्रेरित करते हैं।
संदर्भ:
1.https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/29276113
2.https://senescence.info/
3.http://discovermagazine.com/2015/oct/11-age-and-enlightenment
4.https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC1369276/
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