इस दिवाली डिजिटल पटाखों पर किया जाना चाहिए विचार

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
27-10-2019 10:54 AM
इस दिवाली डिजिटल पटाखों पर किया जाना चाहिए विचार

दिवाली के त्यौहार को मनाने के लिए अभी तक सभी ने तैयारियां तो कर ही ली होंगी। जैसा की हम सब जानते हैं कि दिवाली शांति, समृद्धि और आनंद का त्यौहार है, तो क्यों न इस बार दिवाली हम सब अपने आस-पास मौजूद जीवजंतुओं के साथ शांति, समृद्धि और आनंद से मिलकर मनाएं। जीवजंतुओं के साथ मिलकर मनाने से हमारा तात्पर्य यह है कि बिना पटाखे की दिवाली। क्या दिवाली हमें यह संदेश नहीं देती है कि अंधकार पर रोशनी की जीत होनी चाहिए, लेकिन क्या वास्तव में हम इस का पालन कर रहें है? नहीं, हम लोग इस बात को और इसका पालन करना भूल चुके हैं। हर वर्ष दिवाली के दौरान, देश भर के लाखों जानवर लोगों द्वारा पटाखे फोड़े जाने के कारण पूरी तरह से आघात महसूस करते हैं।

आतिशबाजी न केवल ध्वनि, वायु और प्रकाश प्रदूषण के खतरे को बढ़ाती है बल्कि यह जानवरों में भी कई समस्याओं को उत्पन्न करती है। इसलिए जो त्यौहार हम हमारे जीवन में खुशियां लाने के लिए मनाते हैं, वास्तव में मनुष्यों और जानवरों के जीवन में बहुत संकट लाता है। पटाखों की आवाज़ से जानवरों में भय, अस्तव्यस्तता, चिंता और घबराहट उत्पन्न होती है। यह घबराहट उन्हें हर तरह से असंतुलित कर देती है। वे किसी सुरक्षित स्थान पर छिप जाते हैं जहाँ ध्वनि नहीं आती, जैसे गाडी या बिस्तर के नीचे; सड़कों पर इधर-उधर या घरों से दूर भागते हैं; भोजन नहीं करते; सैर आदि के लिए नहीं जाते।

पटाखे की आवाज़ से जानवरों में डर, लार आना, कांपना, कंपकंपी, अत्यधिक भौंकना, भूख कम लगना, आक्रामकता, आदि जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। जानवरों के कान मानव कानों की तुलना में अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि जानवरों की श्रवण सीमा, जैसे कि कुत्ते की लगभग 40 हर्ट्ज से 60 हर्ट्ज तक होती है जो कि मनुष्य की तुलना में काफी अधिक होती है। इससे यह साफ स्पष्ट होता है कि जानवरों को पटाखे की आवाज़ कितनी तेज़ सुनाई देती होगी।

यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम जानवरों की भावनाओं को समझें। माना कि वे बोल नहीं सकते हैं लेकिन उनमें भावना हमारे जैसी ही होती है। तो यह समय है कि हम बच्चों को जानवरों के प्रति दया भाव रखने के लिए प्रेरित करें, उन्हें समझाएं कि जानवरों के आस-पास पटाखे न फोड़ें और उन्हें जानवरों से दूरी बनाए रखने के लिए कहें। सोसाइटियों (Societies) और कॉलोनियों (Colonies) के निवासियों को पटाखे फोड़ने से माना किया जाना चाहिए और अगर कोई ऐसा करना चाहता है, तो उन्हें एक ऐसा क्षेत्र और समय देना चाहिए, जहां वे यदि पटाखे फोड़ें तो उससे किसी भी आवारा जानवर को परेशानी न हो। बच्चों को रंगोली बनाने, फूलों, मिठाइयों, दीयों और मोमबत्तियों, नृत्य और गायन के साथ शांतिपूर्ण तरीके से दिवाली मनाने के लिए प्रेरित करें।

दिवाली के दौरान पालतू जानवरों को सुरक्षित रखने के लिए उनके मालिक निम्न कुछ चीजें कर सकते हैं:
1. अपने पालतू जानवर को एक पशुचिकित्सक के पास ले जाकर चिंता-विरोधी इंजेक्शन (Injection) लगवा लाएं।
2. अपने पालतू जानवरों को एक शांत और परिचित कमरे में रखें जहाँ आवाज़ कम आ रही हो। वहीं ध्वनि को कम करने के लिए कपास या एक रज़ाई के साथ उनके कानों को ढक सकते हैं।
3. अपने घर के सभी दरवाज़े और खिड़कियां बंद रखें।
4. अपने पालतू जानवर के पास पानी उपलब्ध रखें क्योंकि शोर जानवर में बहुत अधिक चिंता का कारण बनता है।
6. जानवरों को शांत करने के लिए कुछ दवाएं मिलती हैं, पशुचिकित्सक से परामर्श करके आप उन्हें दे सकते हैं।

चूँकि उपरोक्त तरीके को अपना कर सभी जानवरों की व्यावहारिक रूप से रक्षा करना तो संभव नहीं है, तो दिवाली का जश्न क्यों न हम प्रौद्योगिकी का उपयोग करके मना सकें। बच्चों के लिए ऐसे खिलौने बनाए जाएं जो रोशनी करेंगे लेकिन प्रज्वलित नहीं होंगे। उदाहरण के लिए, एलईडी लाइट्स (LED Lights) से बनी चकरियाँ, इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) अनार, धुआं रहित रॉकेट (Rocket) आदि को बनाने पर विचार किया जा सकता है। और अगर कल्पना ही आविष्कार की सच्ची जननी है, तो हम ‘डिजिटल दिवाली’ (Digital Diwali) के बारे में भी सोच सकते हैं।

पटाखे से न केवल वायु प्रदूषण होता है बल्कि इससे निकलने वाला ज़हर बच्चों के स्वस्थ्य पर काफी गहरा असर डालता है। इन ज़हरीली गैसों से बुखार, त्वचा में जलन, उल्टी, फेफड़ों पर पटाखों का प्रभाव, अनिद्रा, दमा और ब्रोंकाइटिस (Bronchitis), आदि हो सकते हैं। वहीं आतिशबाजी का शोर अस्थायी बहरापन, स्थायी कानों के परदे का टूटना, आघात और उच्च रक्तचाप का कारण बनता है। साथ ही ये आतिशबाजी ज़हरीली धातुओं जैसे सीसा, पारा, नाइट्रेट (Nitrate) और नाइट्राइट (Nitrite) का उत्पादन करती हैं।

संदर्भ:
1.
https://www.thehindubusinessline.com/opinion/columns/digital-diwali/article9912847.ece
2. https://www.petsworld.in/blog/no-crackers-be-compassionate-to-animals-this-diwali.html
3. https://bit.ly/2P7qYqG
4. https://www.livpure.com/blog/how-diwali-celebrations-affect-the-environment-around-us
5. https://www.ppsthane.com/blog/effects-of-fireworks-diwali