भारतीय रेल कुछ ऐसी दुनिया की तरह है जो कि कुछ अत्यंत ही खूबसूरत यात्राओं का अनुभव देती है। चाहे वो राजस्थान के अद्भुत मरुस्थल हों या पहाड़ी क्षेत्रों की खूबसूरती और नदियाँ हों या घाटियाँ, भारतीय रेल इन सभी स्थानों की खूबसूरती को अपने यात्रियों को दिखाती हुयी निकलती है। तो आइये जानते हैं भारत के कुछ अत्यंत ही महत्वपूर्ण और खूबसूरत रेल मार्गों के बारे में - भारतीय रेल करीब 3 करोड़ लोगों तक पहुँचती है और ये 3 करोड़ लोग भारत के विभिन्न कोनों में रहते हैं। ये विभिन्न भाषाओं, विभिन्न जातियों धर्मों आदि से सम्बंधित हैं।
हिमालयन क्वीन ट्रेन (Himalayan Queen Train) जो कि कालका से शिमला के मध्य चलती है, एक अत्यंत ही खूबसूरत नज़ारा प्रस्तुत करती है। इस लाइन (Line) पर टॉय ट्रेन (Toy Train) चलती है जिसे विभिन्न फिल्मों (Films) में भी दिखाया गया है। यह ट्रेन 93 किलोमीटर की दूरी को तय करती है तथा रास्ते में यह करीब 102 सुरंगों से होते हुए गुज़रती है। इस 93 किलोमीटर के सफ़र में कुल 82 पुल हैं तथा इस रास्ते का नाम गिनीज़ बुक (Guinness Book) में भी दर्ज है। इस रेल रास्ते का निर्माण सन 1903 में किया गया था। यह ट्रेन लाइन और इस पर दौड़ने वाली ट्रेन यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट (UNESCO World Heritage Site) के अंतर्गत आती है।
दार्जलिंग हिमालयन रेल अन्य अत्यंत खूबसूरत रेल है। यह जलपाईगुड़ी से दार्जलिंग के मध्य चलती है। यह रेल भी टॉय ट्रेन ही है जो कि मीटर गेज (Metre Gauge) पटरी पर दौड़ती है। इस रेल को भी यूनेस्को द्वारा हेरिटेज का दर्जा प्राप्त है। इनके अलावा मुंबई से गोवा व पूना, कन्याकुमारी से त्रिवेंद्रम, माथेरान, पम्बन, सिलीगुड़ी आदि हैं। ये रास्ते अपने पर्यटन के दृष्टिकोण से अत्यंत ही महत्वपूर्ण हैं तथा ये बड़ी संख्या में पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं।
जौनपुर और औडिहार के मध्य भी मीटर गेज की एक ट्रेन चलती थी जो कि अब ब्रॉड गेज (Broad Gauge) में परिवर्तित हो चुकी है। बनारस जौनपुर के नज़दीक है तथा इनके मध्य में भी रेल की लाइनें बिछी हुयी हैं। अब जैसा कि जौनपुर एक ऐतिहासिक शहर है, तो बनारस के पर्यटकों को ट्रेनों के माध्यम से जौनपुर में लाया जाना एक अच्छा विकल्प है। पूरे सप्ताह में करीब इस रास्ते पर 20-25 ट्रेनें चलती हैं जो कि भिन्न दिनों के अनुसार चलती हैं।
जौनपुर के समीप केराकत भी एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण शहर है जो कि जौनपुर-केराकत-औडिहार रेल लाइन पर स्थित है। केराकत स्टेशन की स्थापना 21 मार्च 1904 में हुयी थी और यही दौर था जब जौनपुर स्टेशन की भी स्थापना हुयी थी। यह रेल मार्ग बंगाल और नार्थ वेस्टर्न रेलवे (Bengal and North Western Railway) के अंतर्गत बनाया गया था। यह रेल लाइन मीटर गेज पर आधारित थी। इस रेल लाइन को बानाने का मुख्य कार्य था कि यहाँ से माल को विभिन्न स्थानों पर भेजा जा सके। सन 2010-11 में इसे ब्रॉड गेज में परिवर्तित कर दिया गया।
रेल के अन्दर वह ताकत है जो किसी भी स्थान के उद्योग से लेकर पर्यटन तक को बढ़ा सकती है। जौनपुर में भी खेतों और नदियों-नालों पर से जब ट्रेन गुज़रती है, तब वह एक अत्यंत ही खूबसूरत चित्र प्रस्तुत करती है। अतः जौनपुर में पर्यटन में वृद्धि करने के लिए यह एक अच्छा उपाय हो सकता है।
संदर्भ:
1. https://www.theguardian.com/travel/2010/sep/17/top-10-indian-train-journeys-rail
2. https://www.holidify.com/pages/best-railway-stations-in-india-1639.html
3. https://indiarailinfo.com/search/bsb-varanasi-junction-to-jop-jaunpur-city/334/0/629
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Kerakat_railway_station
5. https://jaunpur.prarang.in/posts/1741/postname
चित्र सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2ODGpGN
2. https://www.flickr.com/photos/mkosut/4669566142
3. https://www.maxpixel.net/Toy-Train-Engine-Darjeeling-Coal-Train-Smoke-Train-2725148
4. https://bit.ly/2B2nKfT
5. https://www.youtube.com/watch?v=-nxkXajvbf0
6. https://bit.ly/315wFYG
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