जौनपुर में पर्यटन के द्वारा बढाये जा सकते हैं रोज़गार के अवसर

शहरीकरण - नगर/ऊर्जा
27-09-2019 12:18 PM
जौनपुर में पर्यटन के द्वारा बढाये जा सकते हैं रोज़गार के अवसर

पर्यटन एक ऐसी विधा है जो की किसी देश और वहां रहने वाले लोगों को एक अनवरत चलने वाले रोजगार के अवसरों को जन्म देती है। पर्यटन या घुमक्कड़ी प्रवृति प्राचीनकाल से ही मानव जीवन का एक मुख्य अंग बन के रही है और यही कारण है की इब्नबतूता, फाह्यान आदि जैसे घुमक्कड़ो ने दुनिया के नए नए हिस्सों की यात्रा की।

जौनपुर वैसे तो एक अति प्राचीन जिला है जिसका इतिहास उत्तरी काली चिकनी मृदभांड परंपरा तक जाता है परन्तु इसका स्वर्णिम काल तुगलकों और शर्कियों के आने के बाद से शुरू हुआ। यह वह समय था जब यहाँ पर बड़ी बड़ी मेहराबें, किले मस्जिदों आदि का निर्माण होना शुरू हुआ। जौनपुर सम्पूर्ण भारत में स्थित सल्तनतों में से सबसे ताक़तवर हो चुका था और लोधियों के आक्रमण के बाद मानो जौनपुर में सन्नाटा पसर गया लेकिन फिर यहाँ पर मुग़ल शासकों का आना हुआ और जौनपुर पुनः गुलज़ार हो गया। यहाँ पर अकबर ने शाहीपुल, एक मस्जिद का निर्माण कराया और अकबर के द्वारा बनाए गए इलाहाबाद के गवर्नर कलीच खान की कब्र भी जौनपुर में ही बनायीं गयी, जिसे की आज बारहदुअरिया या कलीचखान के मकबरे के रूप में जाना जाता है। शाहजहाँ को जौनपुर से विशेष प्रेम था और यही कारण है की उसने जौनपुर शहर का नाम शेराज़ ऐ हिन्द रखा। शेराज़ इरान का एक अत्यंत ही खूबसूरत शहर है जिसके नाम पर उन्होंने जौनपुर को संबोधित किया। जौनपुर के नजदीक ही शाहगंज में स्थित सूफी संत नजीर बाबा के मजार पर शाहजहाँ रुका था जब उसके सैनिक और वह खुद भी बीमार हो गया था। बंगाल से लौटते वक़्त, जब शाहजहां ने सुना कि जौनपुर में बड़ी संख्या में लेखक, विचारक और दर्शंशास्त्री हैं तो वह जौनपुर शहर गया जहाँ पर उसे शहर देखते ही प्रेम हो गया। भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की माने तो वे कहते हैं की आगरा किले में जौनपुर के वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है। यह इस बात को सिद्ध करने में बड़ा जोर देती है की जौनपुर शाहजहाँ को कितना प्यारा था।

जौनपुर बनारस से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहाँ करीब हर साल 1.70 करोड़ पर्यटक आते हैं और वहीँ जौनपुर में करीब 7 लाख। यह शहर अत्यंत ही महत्वाकांक्षाओं और धरोहरों के रहते हुए भी अपने वजूद के लिए लड़ रहा है और इसकी सुधि लेने वाला शायद ही कोई हो।

आज का युग डिजिटल युग (Digital Era) के नाम से जाना जाता है और पर्यटन में डिजिटल युग का एक अहम् योगदान है। इन्टरनेट (Internet) से युक्त इस नई दुनिया में पर्यटन एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण कार्यकर्ता सिद्ध हो सकता है। इन्टरनेट जौनपुर में पर्यटन को बढाने और जौनपुर के स्मारकों की स्थिति को सुधारने का एक महत्वपूर्ण जरिया साबित होने का माद्दा रखता है। डिजिटल प्लेटफॉर्म एक ऐसा स्थान है जहाँ से एक स्थान से बैठ कर कहीं भी दूर देश तक उस स्थान का प्रचार किया जाना संभव है। प्रचार प्रसार के अलावा यह यह सुविधा भी मुहैया करवाता है जिससे लोग उस स्थान के बारे में जानकारी और रहने के लिए होटलों की सीधे तौर पर बुकिंग कर सकने योग्य हो जाते हैं। उस स्थान पर आये हुए लोग अपने अनुभव को डिजिटल मीडिया आदि पर साझा करते हैं जो की अन्य लोगों को भी वहां पर आने को प्रेरित करता है।

जौनपुर में यहाँ के प्रचार प्रसार होटलों, गाड़ियों और विभिन्न प्रकार के पथ प्रदर्शकों के हो जाने से यहाँ पर पर्यटकों की एक लम्बी फेहरिश्त के आने का दरवाजा खोल सकती है। डिजिटल मीडिया आदि के माध्यम से यहाँ के विषय में लोगों तक रोचक जानकारी पहुचाने पर भी एक बड़ा फायदा यहाँ के लोगों का हो सकता है जो की यहाँ पर रोजगार के भी नए आयामों को खोल सकने में सहायक होगा।

सन्दर्भ:
1.
https://bit.ly/2n6lqkf
2. https://bit.ly/2KiR06c
3. https://bit.ly/2n4acNi
4. https://www.smartvel.com/digital-transformation-in-the-tourism-industry/
5. https://urbannext.net/digital-transformation-strategies-tourism/