आपने कई बार ऐसी बातों को सुना होगा जो सुनने में तो गलत लगती हैं किंतु होती सत्य हैं। इस परिस्थिति को विरोधाभास कहा जाता है जिसे हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी अनुभव करते हैं। जौनपुर को विशेष रूप से आलू के लिए जाना जाता है। क्योंकि यह खाद्य और नकदी फसल के रूप में यहां की अर्थव्यवस्था का एक अनिवार्य हिस्सा है तो चलिए विरोधाभास के एक उदाहरण को आलू विरोधाभास के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं। यह एक गणितीय गणना है जिसका परिणाम विरोधी तो है, किंतु सत्य है। इसके लिए पहले आलुओं को निर्जलित किया जायेगा और उसके बाद आलुओं के वज़न में आये परिवर्तन की गणना की जायेगी।
मान लीजिये कि आपके पास 100 किलोग्राम आलू हैं जिसमें पानी की मात्रा 99% (वज़न से) है अर्थात आलुओं के कुल वज़न में 99% भाग पानी का है। अब आप आलुओं को इतना निर्जलित कीजिए कि उसमें पानी की मात्रा 99% से 98% हो जाए या एक प्रतिशत घट जाये। इसके बाद आलुओं का वज़न मापने पर आप पायेंगे कि यह 100 किलोग्राम से 50 किलोग्राम हो गया है। क्यों, विश्वास नहीं होता ना?
गणितीय रूप से इस बात की पुष्टि कुछ इस प्रकार की जा सकती है:
माना पानी के वाष्पीकरण के बाद शेष कुल मात्रा ‘x’ है जिसमें शुद्ध आलुओं की मात्रा 1 किलोग्रम होगी तथा पानी (98/100)x होगा। इस प्रकार,
x = 50 किलोग्राम
इसी प्रकार बीजगणितीय रूप से देंखे तो,
100 किलोग्राम आलुओं में पानी की मात्रा 99% है जो सुखाने के बाद कुल वज़न का 98% हो जाता है। माना निर्जलीकरण के बाद पानी की कम हुई मात्रा ‘x’ है। इस प्रकार निर्जलीकरण के बाद आलुओं का कुल वज़न (100 – x) होगा।
सरल करने पर,
प्रत्येक पक्ष को x से घटाने पर
पानी की कम हुई मात्रा,
अतः आलुओं का कुल निर्जलीकृत वज़न
यह विरोधाभास आश्चर्यजनक है किंतु सत्य है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Potato_paradox
2. https://medium.com/i-math/matt-damon-s-martian-potatoes-1bcde7c6f77d
3. https://curiosity.com/topics/the-baffling-potato-paradox-curiosity/
चित्र सन्दर्भ:
1. https://www.youtube.com/watch?v=RAGrBikLtTA
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