जौनपुर का नज़दीकी कोल्डिहवा, उत्तर प्रदेश में एक पुरातात्विक स्थल

सभ्यता : 10000 ई.पू. से 2000 ई.पू.
24-09-2019 11:46 AM
जौनपुर का नज़दीकी कोल्डिहवा, उत्तर प्रदेश में एक पुरातात्विक स्थल

बहुत कम लोग यह जानते हैं कि आज जिन खाद्यान्नों का सेवन हम कर रहे हैं, उनकी सर्वप्रथम कृषि कब प्रारंभ हुई थी। नव पाषाण काल में सर्वप्रथम खाद्यान्नों की व्यवस्थित कृषि प्रारंभ हुई थी तथा मनुष्यों ने जौ, गेहूं की वन्य किस्मों को इस समय में उपजाया था। भारतीय उपमहाद्वीप में कोल्डिहवा तथा मेहरगढ़, दो नव पाषाण कालीन बस्तियाँ थीं जहाँ से चावल एवं गेहूँ के स्पष्ट प्रमाण मिले थे। कोल्डिहवा जौनपुर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यहां पाषाण काल की अंतिम अवधि से मानव सभ्यता के सबसे पुराने अवशेषों (फसलों और मवेशियों की हड्डियों के कई अवशेष) पाए गए थे।

कोल्डिहवा भारत के उत्तर प्रदेश में एक पुरातात्विक स्थल है। यह ग्राम देवघाट के पास बेलन नदी की घाटियों में स्थित है। इसके अलावा, कोल्डीहवा और मेहरगढ़, दोनों बेलन नदी के विपरीत किनारे पर हैं। कोल्डिहवा में, पुरातत्वविदों को चावल और कुछ खंडित हड्डियों के साक्ष्य मिले हैं। वहीं मेहरगढ़ में, चावल के अलावा, मवेशियों के भी सबूत (मिट्टी की सतह पर खुर के निशान) पाए गए हैं। कोल्डिहवा भारतीय उपमहाद्वीप के अन्य नवपाषाण स्थलों जैसे कि मेहरगढ़, चिरांद और बुर्ज़होम से भिन्न है। यहाँ चावल के साथ-साथ गेहूँ भी पाया गया था।

नवपाषाण युग, पाषाण युग का अंतिम और तीसरा भाग था। भारत में, यह लगभग 7,000 ईसा पूर्व से 1,000 ईसा पूर्व तक फैला था। नवपाषाण युग में मुख्य रूप से कृषि का विकास और परिष्कृत किए गए पत्थरों से बने उपकरणों और हथियारों का उपयोग किया गया था। इस अवधि में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलें रागी, चना, कपास, चावल, गेहूं और जौ थीं तथा इस युग में पहली बार बर्तनों को बनाया गया।

नवपाषाण युग की विशेषताएँ
1. कृषि:
नवपाषाण युग के लोगों ने रागी, चना, कपास, चावल, गेहूं और जौ की खेती की और इसलिए उन्हें खाद्य उत्पादक कहा गया। साथ ही उन्होंने मवेशी, भेड़ और बकरियों को पालतू बनाया था।
2. उपकरण: लोगों द्वारा परिष्कृत किए गए पत्थरों से बने औज़ारों के अलावा लघुपाषाणी ब्लेड (Blade) का इस्तेमाल किया गया। वे ज़मीन खोदने के लिए पत्थर के ढेर और खोदने वाली छड़ियों का इस्तेमाल किया करते थे। इन खोदने वाली छड़ियों के सिरों पर 1-1/2 किलो वज़न के चक्राकार पत्थर होते थे। उन्होंने हड्डी से बने उपकरणों और हथियारों का भी इस्तेमाल किया जो बुर्ज़होम (कश्मीर) और चिरांद (बिहार) में पाए जाते थे।
3. आवास: नवपाषाण युग के लोग आयताकार या गोलाकार घरों में रहते थे जो मिट्टी और ईख से बने होते थे। वहीं मेहरगढ़ के लोग मिट्टी-ईंट के घरों में रहते थे।
4. मिट्टी के बर्तन: कृषि के आगमन के साथ, लोगों ने अपने भोजन को पकाने, पीने के पानी की व्यवस्था करने और तैयार उत्पाद खाने की आवश्यकता के चलते बर्तनों को बनाया। इस अवधि के बर्तनों को ग्रे वेयर (Grey ware), ब्लैक वेयर (Black ware) और मैट वेयर (Mat ware) के तहत वर्गीकृत किया गया था।
5. वास्तुकला: नवपाषाण युग अपनी मेगालिथिक (Megalithic) वास्तुकला के लिए महत्वपूर्ण मानी गयी है। नवपाषाण युग के अंत में तांबे के धातु को पेश किया गया, जिसने कांस्य युग के लिए परिवर्तन को चिह्नित किया था। प्रौद्योगिकी के संदर्भ में नवपाषाण युग में उल्लेखनीय प्रगति की गई थी।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Koldihwa
2. https://www.jagranjosh.com/general-knowledge/the-neolithic-age-1430564528-1
3. https://www.ancient.eu/Neolithic/
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Neolithic