जौनपुर की इमरती यहां पसंद की जाने वाली सबसे लोकप्रिय मिठाई है किंतु एक अन्य मिठाई भी है जो इसी की तरह दिखाई देती है तथा जौनपुर सहित पूरे भारत तथा विश्व के कई देशों में भी प्रसिद्ध है। जी हां, आप सही सोच रहे हैं वह मिठाई है जलेबी।
रसभरी कुरकुरी मीठी जलेबियों को ज़ुलबिया और ज़लाबिया के नाम से भी जाना जाता है जो एशिया की लोकप्रिय मिठाईयों में से एक है। यह पकिस्तान, बांग्लादेश तथा भारत में बनायी जाने वाली सबसे आम मिठाई है। रसभरी जलेबी अपने स्वाद के लिए तो प्रसिद्ध है ही किंतु अपनी आकृति के लिये भी विशेष रूप से जानी जाती है। इसे गर्म या ठंडा कैसे भी परोसा जा सकता है। अधिकतर लोग शायद यह सोचते होंगे कि यह मिठाई भारत की है लेकिन इस मिठाई का मूल भारत से नहीं है। यह मिठाई पश्चिम एशिया या फारस (ईरान) की मानी जाती है जिसे यहां ज़ोलबिया के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहीं से इसके सबसे प्राचीन साक्ष्य प्राप्त होते हैं। ईरान में जलेबी एक महत्वपूर्ण व्यंजन है जिसका आनंद हर कोई उठता है, विशेष रूप से रमज़ान के इफ़्तार समारोहों में।
जलेबी का पहला उल्लेख पुस्तक “किताब अल-ताबीख” में मिला जिसे प्रसिद्ध लेखक मुहम्मद बिन हसन अल-बगदादी ने 13वीं शताब्दी में लिखा। इस किताब में उस समय बनाये जाने वाले हर व्यंजन का वर्णन मिलता है। इस मिठाई की विधि को तुर्की और फारसी व्यापारियों द्वारा भारत लाया गया था जो व्यापार के उद्देश्य से भारत के तटों पर पहुंचे थे। 15वीं शताब्दी तक जलेबी हर मंदिर, उत्सव और त्यौहार का आधार बन गयी थी। इसका उल्लेख 15वीं शताब्दी के जैन ग्रंथ ‘प्रियमकर्णप्रकाथ’ में भी मिलता है जिसकी रचना जैन लेखक जिनसुरा द्वारा की गयी थी। यह मिठाई 16वीं शताब्दी की व्यंजन पुस्तक ‘भोजन कुतुहल’ का भी मुख्य हिस्सा है जो भारतीय उपमहाद्वीप में व्यंजनों और खाद्य विज्ञान की पहली किताब थी।
विश्व में इस मिठाई को विभिन्न नामों से जाना जाता है जिनमें जिल्बी, ज़ेलापी, जिलिपि, जिलापीर, जहांगीरी और पाक जैसे नाम सम्मिलित हैं। भारत के कई हिस्सों जैसे हरिद्वार और इंदौर में यह सुबह के नाश्ते में लिए जाने वाले व्यंजनों में से एक है जिसे गर्म दूध या रबड़ी के साथ परोसा जाता है। यह मिठाई अपना रसभरा स्वाद कैसे प्राप्त करती है वह नुस्खा इसकी विधि में निहित है। तो चलिए एक नज़र डालते हैं इसे बनाने की विधि पर।
जलेबी को प्रायः आटे, मैदे, या सूजी से बनाया जाता है। इनमें से किसी भी एक सामग्री को लेकर उसे दही के साथ फेंटा जाता है तथा एक पेस्ट (Paste) का रूप दिया जाता है। इसके बाद इस पेस्ट को लगभग 8 घण्टे तक किण्वित होने के लिये छोड़ दिया जाता है। तैयार मिश्रण को एक कपड़े में बांधकर उसमें छेद किया जाता है और गर्म कढाई में गोल और घुमावदार आकृति बनाकर तब तक तला जाता है जब तक कि यह सुनहरी और कुरकुरी नहीं हो जाती। अंत में इसे चाशनी की कढाई में कुछ समय के लिए डुबाया जाता है जहां से यह अपना मीठा और रसभरा स्वाद प्राप्त करती है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Jalebi
2. https://bit.ly/2GRCqBF
3. https://bit.ly/2mk5KJU
4. https://bit.ly/2kvR5Ld
चित्र सन्दर्भ:
1. https://www.flickr.com/photos/shankaronline/38901071512
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