जौनपुर शहर गोमती नदी के किनारे स्थित है। यह एक ऐसा स्थान है जहां पूर्ण रूप से विकसित शार्कों (Shark) की पुष्टि की गयी है जिनमें से एक शार्क को ग्रेट वाईट (Great white) या सफेद शार्क के नाम से भी जाना जाता है। इन शार्कों में से एक शार्क को गंगेश शार्क भी कहा जाता है जो गंगेश नदी, पद्मा नदी और भारत और बांग्लादेश की ब्रह्मपुत्र नदी में पाई जाती है। यह शार्क बुल शार्क (Bull shark) से मिलती जुलती है और इसलिए कभी-कभार बुल शार्क को भी लोगों द्वारा गंगेश शार्क समझ लिया जाता है। इन शार्कों की बहुत ही कम प्रजातियां होती है जिनके बारे में बहुत ही कम लोग ही जान पाते हैं। गंगेश शार्क को उत्तरी बंगाल की हुगली नदी, गंगेश, ब्रह्मपुत्र तथा बिहार, असम और उड़ीसा की महानदी में पाया जाता है। 2018 में गंगेश शार्क को मुंबई के मछली बाजार में पाया गया था जो शायद अरब सागर से होकर किनारों पर आ गयी थी। यह मुख्य रूप से ताजे पानी में पायी जाती है।
शार्क की गंगेश प्रजाति उन 20 प्रजातियों में से एक है जिसे आईयूसीएन (IUCN) की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची में सूचीबद्ध किया गया है। मनुष्य द्वारा इनके आवास में छेड़छाड़ और आवास परिवर्तन के कारण यह प्रजाति प्रायः लुप्तप्राय होने लगी है। मानव द्वारा किया गया शिकार, प्रदूषण, अत्यधिक मछली दोहन आदि ऐसे कारक हैं जो इनकी प्रजातियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इनके संरक्षण हेतु 2001 में भारत सरकार ने अपने बंदरगाहों पर चोंड्रीचिथियान (chondrichthyans) मछली की सभी प्रजातियों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया था हालांकि कुछ ही समय बाद इनमें से केवल 10 प्रजातियों को ही शामिल किया गया जिनमें से गंगेश गंगेटिकस (Gangesh gangeticus) भी एक है। इस प्रजाति को भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अनुसूची I और भाग II में रखा गया है।
शार्कों के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए हर साल 14 जुलाई को शार्क जागरूकता दिवस मनाया जाता है। मछलियों को प्रायः ऑक्सीजन लेने के लिए गलफड़ों की आवश्यकता होती है किन्तु कुछ शार्क जैसे ग्रेट वाईट को सांस लेने के लिए पानी में निरंतर तैरते रहना पड़ता है। दरअसल शार्क गलफड़ों द्वारा पानी को पंप नहीं कर सकती इसलिए सांस लेने के लिए उन्हें निरंतर तैरते रहना पड़ता है। शार्क में स्विम ब्लैडर (swim bladder) होता है जो गैस से भरा होता है। यह गैस उन्हें समुद्र में डूबने से बचाती है। अपनी गति को बनाए रखने के लिए उनके पास कई तरीके होते हैं जिनमें उनका सीजेबल लीवर (Sizable lever), पंख और कार्टिलाजिनस (cartilaginous) उपास्थि शामिल है। गति को सुनिश्चित करने के लिए शार्क डायनेमिक लिफ्ट (dynamic lift) का उपयोग करती है। इस क्रिया में वह अपने पेक्टोरल फिन्स (Pectoral Fins) का प्रयोग करती है। यह शार्क को आगे की ओर तरने में मदद करते हैं।
गति को नियंत्रित करने के लिए शार्क में अनुकूलन होता है जिसे गतिहीनता कहा जाता है। इसके शार्क ऐसे दिखने लगती है जैसे की वह मृत हो गयी हो। यह अनुकूलन उन्हें शिकारियों से बचने में सहायता करता है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Ganges_shark
2. https://www.cbc.ca/kidscbc2/the-feed/some-sharks-have-to-constantly-swim-in-order-to-breathe
3. https://www.sharksinfo.com/buoyancy.html
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