वन हमारे पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन को बनाने के लिए बहुत ही आवश्यक हैं। पृथ्वी पर ऐसा कोई भी जीव नहीं है जो वनों पर निर्भर न हो। वनों को कई श्रेणियों में बांटा गया है जिनमें तटीय (Littoral) और दलदले (Swamp) वन भी शामिल हैं। हमारा जौनपुर शहर गोमती नदी के तट पर स्थित है। यहां से गोमती नदी और आगे बहती हुई सुंदरबन का डेल्टा बनाती है। यहां मैंग्रोव (Mangroves) वन पाये जाते हैं जो कई वन्य जीवों को आवास प्रदान करते हैं। ये वन दलदली भूमि में उगते हैं जो बाघों की कई प्रजातियों को संरक्षित किये हुए है। तटीय इंटरटाइडल (Intertidal) इस क्षेत्र में मैंग्रोव पेड़ों की लगभग 80 प्रजातियां पायी जाती हैं जहां की मिट्टी में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है। वनों से होकर बहने वाली नदियां धीमी गति से बहती हैं और अपने साथ लाई गयी मिट्टी को मुहाने पर जमा कर देती है। मैंग्रोव वन ठंडे तापमान को सहन नहीं कर सकते और इसलिए ये वन केवल भूमध्य रेखा के पास उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अक्षांशों पर ही उपस्थित होते हैं। मैंग्रोव वनों की जड़े घने रूप से आपस में उलझी रहती हैं जिनके कारण इन वनों को आसानी से पहचाना जा सकता है। इन वनों की भूमि ज्वार के कारण नदियों में परिवर्तित हो जाती है जबकि भाटा के समय यह दलदल बन जाती है। वनों की जटिल जड़ प्रणाली मछलियों और अन्य जीवों को बड़े पैमाने में आवास उपलब्ध कराती है तथा शिकारियों से सुरक्षित रखती है। सुंदरबन भी भारत का प्रसिद्ध मैंग्रोव वन क्षेत्र है। जो वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की विभिन्न प्रजति को संरक्षित किये हुए है।
सुंदरबन बंगाल की खाड़ी में गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के संगम से बने डेल्टा में स्थित है जोकि भारत के पश्चिम बंगाल में हुगली नदी से लेकर बांग्लादेश में बालेश्वर नदी तक फैला हुआ है। सुंदरवन के वनों में लगभग 10,000 किमी2 (3,900 वर्ग मील) का क्षेत्र शामिल है। ये वन बांग्लादेश के खुलना डिवीजन में 6,017 किमी2 (2,323 वर्ग मील) तथा पश्चिम बंगाल में 4,260 किमी2 (1,640 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैले हैं जो 453 पशुपालक वन्यजीवों को आवास प्रदान करते हैं, जिसमें 290 पक्षी, 120 मछली, 42 स्तनपायी, 35 सरीसृप और आठ उभयचर प्रजातियां शामिल हैं। यहां की वनस्पतियों में सुंदरी (हेरीटेरिया फॉम्स- Heritiera fomes), ग्यूवा (एक्सकोएरिया अग्लोचा- Excoecaria agallocha), गोरान (सेरियोप्स डिकेंड्रा- Ceriops decandra) और केओरा (सोननेरिया एपेटाला- Sonneratia apetala) प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। यह वन लगभग 180 बाघों को संरक्षण प्रदान करता है। सुंदरवन का भारतीय हिस्से में पक्षियों की 270 प्रजातियाँ, स्तनधारियों की 42 प्रजातियां, सरीसृपों की 35 प्रजातियां और उभयचरों की 8 प्रजातियाँ शामिल हैं। इन वनों में दो उभयचर, 14 सरीसृप, 25 एवीस (aves) और पांच स्तनधारी प्रजातियां लुप्तप्राय हो चुकी हैं। यहां की संकटग्रस्त प्रजातियों में शाही बंगाल टाइगर (royal Bengal tigers), एस्टुरीन क्रोकोडाइल (estuarine crocodile), समुद्री कछुए, गैंगेटिक डॉल्फिन (Gangetic dolphin) आदि शामिल हैं।
ताजे पानी की दलदलीय (freshwater swamp) वन भी बहुत बडी संख्या में जीवों को आवास व भोजन उपलब्ध कराते हैं। ये वे वन हैं जो हमेशा के लिए या मौसमी रूप से ताजे पानी में डूबे रहते हैं। ये वन ताजे पानी की झीलों के साथ बहुतायत में होते हैं जो विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में पाये जाते हैं। इन वनों में सुंदरबन के ताजे पानी के दलदले वन प्रमुख हैं। जो बांग्लादेश के उष्ण कटिबंधीय नम और चौड़े वन हैं। ये वन सुंदरबन मैंग्रोव के पीछे स्थित है जहां की मिट्टी बहुत अधिक लवणीय है। यहां पानी कुछ हद तक खारा होता है किंतु बरसात के मौसम में यह ताजा हो जाता है। यह क्षेत्र गंगा ब्रह्मपुत्र डेल्टा के 14600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को आवरित करता है जो खुलना जिले के उत्तरी भाग से निकलकर बंगाल की खाड़ी के मुहाने पर खत्म होता है। ताजे पानी के दलदले वनों में मिरिस्टिका (Myristica) वन भी शामिल हैं। क्योंकि यहां मुख्य रूप से मिरिस्टिका (Myristica) की प्रजातियां पायी जाती हैं इसलिए इन्हें मिरिस्टिका वन कहा जाता है। मिरिस्टिका वनों की जड़े स्टिल्ट (stilt) होती हैं जो क्षेत्र में बाढ़ के प्रभाव को कम करती है। भारत में ये वन कर्नाटक राज्य के उत्तर कन्नड़ जिले और केरल राज्य के दक्षिणी भागों में पाए जाते हैं। स्टिल्ट (stilt) जड़ों के कारण इन वनों की सीमा को विशिष्ट रूप से देखा जा सकता है। अनुमान है कि उत्तर कन्नड़ में इन वनों की संख्या 51 थी किंतु 2007 में ये वन और भी अधिक विस्तृत हुए तथा जीपीएस (GPS) तकनीक का उपयोग करते हुए 60 वनों की मैपिंग (Mapping) की गयी। ये वन लगभग 0.25 से 10 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले थे। केरल में मिरिस्टिका वनों का कुल क्षेत्रफल लगभग 1.5 किमी2 है जो केरल की कुल भूमि का 0.004% (38,864 किमी2) तथा केरल के कुल वन क्षेत्र का 0.014% (11,126 किमी2) हिस्सा है। यहां पाये जानी वाली प्रमुख वनस्पतियों की प्रजातियाँ में जिम्नोक्रान्टेरा कैनेरीका (Gymnocranthera canarica), मिरिस्टिका फतुआ (Myristica fatua), मास्टिक्सिया आर्बोरिया (Mastixia arborea), सेमेकार्पस ट्रावनकोरिका (Semecarpus travancorica) आदि शामिल हैं। प्लैटिहेल्मिन्थेस (Platyhelminthes), नेमाथेल्मिन्थेस (Nemathelminthes), एनिलिडा (Annelida) आदि यहां की मुख्य जंतु प्रजातियां हैं।
सुंदरबन में निवास कर रहे जीव जंतुओं और वनस्पतियों के संरक्षण के लिए बांग्लादेश वन्यजीव (संरक्षण) आदेश, 1973 के तहत तीन वन्यजीव अभयारण्य स्थापित किए गए हैं। ये संरक्षित क्षेत्र सुंदरबन के 15% मैंग्रोव वनों को आवरित करते हैं इनमें सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान, सजनाखली वन्यजीव अभयारण्य, पश्चिम बंगाल में सुंदरवन पूर्व, बांग्लादेश में सुंदरबन दक्षिण और सुंदरबन पश्चिम वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
संदर्भ:
1. https://oceanservice.noaa.gov/facts/mangroves.html
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Freshwater_swamp_forest
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Myristica_swamp
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Sundarbans
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://cdn.pixabay.com/photo/2016/02/27/14/18/mangroves-1225627_960_720.jpg
2. https://bit.ly/326vHfq
3. https://cdn.pixabay.com/photo/2017/09/25/03/30/mangroves-2783892_960_720.jpg
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