काबा के पाक दरवाज़े और इस पर उत्कीर्णित अभिलेखों का इतिहास

जौनपुर

 09-08-2019 03:24 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

काबा मुसलमानों का सबसे पाक धार्मिक स्थल है। कुरान के अनुसार आर्थिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ प्रत्येक मुसलमान को ज़िंदगी में कम से कम एक बार मक्का की यात्रा अवश्य करनी चाहिए तथा यहां स्थित काबा की भी परिक्रमा करनी चाहिए। एक दिन में हज़ारों लोग काबा की परिक्रमा करते हैं। कहा जाता है कि पैगम्बर इब्राहिम और ईस्माइल ने खुदा के हुक्म पर काबा का निर्माण किया और खुदा का घर बनाया।

क्या आप जानते हैं कि काबा जैसा अब दिखता है वैसा हमेशा से नहीं था? कई प्राकृतिक और मानवजनित आपदाएं झेलने के बाद इसे बार-बार निर्माण की आवश्यकता पड़ती रही। इस पर लगाये गये दरवाज़े को भी बहुत अधिक पवित्र माना जाता है। काबा के निर्माण के समय पहले इसमें दो दरवाज़े बनाये गये थे, एक दरवाज़ा अंदर आने के लिए तथा एक बाहर जाने के लिए। किंतु आज काबा में केवल एक ही दरवाज़ा है। काबा के इन दरवाज़ों का इतिहास भी बहुत पुराना है। प्रारम्भिक निर्माण में यहां कोई भी छत और दरवाज़ा नहीं बनाया गया था।

इतिहासकारों के अनुसार काबा का पहला दरवाज़ा बनाने वाला पहला व्यक्ति राजा तुब्बा था। उन्होंने काबा की शुद्धता को बनाये रखने तथा यहां का रखरखाव करने का कार्यभार जुर्हुम (Jurhum) जनजाति के प्रमुख को दिया। तुब्बा द्वारा बनाया गया दरवाज़ा लकड़ी का था जो पूर्व-इस्लामी युग और प्रारंभिक इस्लामी युग तक बना रहा। यह तब तक नहीं बदला गया जब तक कि अब्द अल्लाह इब्न अल-जुबैर ने इसे एक 11 भुजाओं का लंबा दरवाजा नहीं बनाया। इतिहासकारों के अनुसार 64 AH में दरवाज़ा बदलने के बाद दरवाज़े को अपनी छह भुजाओं की मूल ऊंचाई में बदल गया। 1045 AH में दरवाज़े को फिर से तुर्क सुल्तान मुराद चतुर्थ द्वारा बदला गया। इस नए दरवाज़े की कहानी मक्का के राजकुमार शरीफ-मसूद-इदरिस-बिन-हसन के युग तक जाती है जब मक्का बाढ़ से पीड़ित था। भारी बरिश की वजह से पवित्र काबा का आधा हिस्सा डूब गया था और उत्तरी दीवार भी नीचे खिसक गई थी। इसकी पूर्वी दीवार जिसमें काबा का दरवाज़ा लगा हुआ था वह भी बारिश से प्रभावित हो चुका था।

राजकुमार शरीफ-मसूद ने उस समय के सबसे बड़े राज्य के शासक सुल्तान मुराद चतुर्थ से इस संदर्भ में बात की जिसके बाद सुल्तान ने मिस्र के शासक मुहम्मद-अली-अल-अलबानी को काबा की मरम्मत के लिए आवश्यक और तत्काल उपाय करने का आदेश दिया। सुल्तान मुराद ने निर्माण कार्य के लिए विशेष प्रतिनिधि को भी भेजा जिन्होंने काबा की पूर्वी दीवार को ध्वस्त करने और इसे फिर से बनाने का फैसला किया। पूर्वी दीवार को पूर्ण रूप से ध्वस्त करने के कारण पुराने दरवाज़े को भी हटा दिया गया था। सुल्तान मुराद चतुर्थ ने काबा के लिए एक नया दरवाज़ा डिजाइन (Design) करने हेतु मिस्र के इंजीनियरों (Engineers) को काम पर रखा जिन्होंने दरवाज़े को पुराने डिज़ाइन का ही रूप दिया। काबा के दरवाज़े पर काम अक्टूबर 1629 ई. में शुरू हुआ जो मार्च 1630 ई. तक चला। 1947 तक काबा में इसी दरवाज़े को देखा गया जिसके बाद संस्थापक राजा अब्दुल अज़ीज़ ने एक नए दरवाज़े के निर्माण का आदेश दिया। मिस्र के इंजीनियरों ने दरवाज़े को दो हिस्सों में बांट दिया और इसे ज्यामितीय आकृतियों से सजाते हुए 166 पाउंड चांदी के साथ मढ़वाया। बाकी हिस्से को सोने के साथ लेपित किया गया। जलवायु कारकों का विरोध करने के लिए उच्च गुणवत्ता और स्थायित्व वाली विशेष धातु शीट (Sheet) का भी उपयोग किया गया। सऊदी युग के दौरान काबा के दरवाज़े को दो बार बदला गया था। वर्तमान दरवाज़ा राजा खालिद-बिन अब्दुल अज़ीज़ के आदेश पर बनवाया गया है जोकि 280 किलोग्राम शुद्ध सोने से बना है। सोने को छोड़कर इसकी कुल लागत 13 मिलियन 420 हज़ार सऊदी रियाल थी।

काबा के पवित्र दरवाजे को कुरान के कई छंदों के साथ अभिलेखों के रूप में उत्कीर्णित किया गया है जिनमें से कुछ निम्न हैं:
• "अल्लाह जल जलालाह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम"।
• इसके नीचे अंकित किया गया है: “अल्लाह के नाम पर, सबसे दयालु, सबसे कृपालु। शांति और सुरक्षा के साथ प्रवेश करें।”
• “हे मेरे रब्ब! मुझे एक सुखद जगह में प्रवेश करने और आनंद की स्थिति प्राप्त करने की अनुमति दे तथा मुझे अपने आप से ऐसा अधिकार प्रदान कर जो आपकी सहायता के साथ युग्मित हो।”
• रब कहता है, "मुझे पुकारें और मैं जवाब दूंगा।"
• इन सब के नीचे अंकित किया गया है- कहो, "हे मेरे बंधुओं, जिन्होंने अपनी आत्माओं के साथ अन्याय (कुफ्र या अन्य पापों को अंजाम देकर) किया है! अल्लाह की दया की उम्मीद कभी मत खोना।”
• दो रिंगों (Rings) पर शब्द "अल्लाहु अकबर" और ताले के नीचे सुराह फातिहा (Surah Fatihah) उकेरा गया है।

संदर्भ:
1. https://bit.ly/2MJw3nY
2. https://bit.ly/2yNCcap
3. https://bit.ly/2ZKCjj1
4. https://bit.ly/2TjxJFY
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://vimeo.com/96826732



RECENT POST

  • बैरकपुर छावनी की ऐतिहासिक संपदा के भंडार का अध्ययन है ज़रूरी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:21 AM


  • आइए जानें, भारतीय शादियों में पगड़ी या सेहरा पहनने का रिवाज़, क्यों है इतना महत्वपूर्ण
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:18 AM


  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id