किस स्थान पर की थी गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना?

जौनपुर

 07-08-2019 02:14 PM
ध्वनि 2- भाषायें

महान हिंदू संत और कवि गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती पर, आइये उस स्थान पर चर्चा करें जहां उन्होंने रामचरितमानस (तुलसी मानस मंदिर) लिखा था और आज भी आप उस स्थान पर कैसे जा सकते हैं?

तुलसी मानस मंदिर पवित्र शहर वाराणसी में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का हिंदू धर्म में बहुत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है क्योंकि प्राचीन हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस मूल रूप से 16 वीं शताब्दी में हिंदू कवि-संत, समाज सुधारक और दार्शनिक गोस्वामी तुलसीदास द्वारा इस स्थान पर लिखा गया था।

विक्रम सम्वत 1631 (1575 ईस्वी) में, तुलसीदास जी ने मंगलवार को रामनवमी दिवस (चैत्र महीने का नौवां दिन, जो श्री राम का जन्मदिन है) पर रामचरितमानस की रचना शुरू की। तुलसीदास ने स्वयं रामचरितमानस में इस तिथि को सत्यापित किया हैं। उन्होंने दो साल, सात महीने और छब्बीस दिनों में महाकाव्य की रचना की, और विक्रम पंचमी के दिन (उज्ज्वल आधे के पांचवें दिन) विक्रम सम्वत 1633 (1577 ईस्वी) में लेखन पूरा किया।

तुलसीदास ने वाराणसी आकर काशी विश्वनाथ मंदिर में शिव (विश्वनाथ) और पार्वती (अन्नपूर्णा) के समक्ष सर्वप्रथम रामचरितमानस का पाठ किया। एक प्रचलित किंवदंती यह है कि वाराणसी के ब्राह्मण, जो तुलसीदास के आलोचक थे, उन्होंने तुलसीदास के लेखन मूल्य का परीक्षण करने का निर्णय लिया। उनके द्वारा रामचरितमानस की एक पांडुलिपि रात में विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में संस्कृत शास्त्रों के ढेर के नीचे रखी गई, और गर्भगृह के दरवाजे बंद कर दिए गये। सुबह जब गर्भगृह के दरवाजे खोले गए, तो रामचरितमानस ढेर के शीर्ष पर पाया गया और उसके ऊपर सत्यम शिवम सुंदरम (संस्कृत: सत्यं शिवं सुंदरम्, का शाब्दिक अर्थ "सत्य, शुभता, सौंदर्य") के रूप में शिव के हस्ताक्षर स्वरुप पांडुलिपि पर अंकित देखा गया था।

पारंपरिक खातों के अनुसार, वाराणसी के कुछ ब्राह्मण अभी भी संतुष्ट नहीं थे, और उन्होंने दो चोरों को पांडुलिपि चोरी करने के लिए भेजा। चोरों ने अँधेरे में तुलसीदास के आश्रम में घुसने की कोशिश की, लेकिन वहाँ दो गौण रंग के धनुषधारी पहरेदार उनसे भिड़ गये। चोरों का हृदय परिवर्तन हुआ और वे उन दोंनो पहरेदारों के बारे में पूछने के के लिए अगली सुबह तुलसीदास के पास आये। यह मानते हुए कि दोनों पहरेदार राम और लक्ष्मण के अलावा कोई नहीं हो सकते हैं, तुलसीदास को यह जानकर अत्यंत दुख हुआ कि प्रभु स्वयं रात में उनके घर की रखवाली कर रहे थे। उन्होंने रामचरितमानस की पांडुलिपि अपने मित्र टोडर मल (जोकि अकबर के वित्त मंत्री थे) को भेजी और अपना सारा धन दान कर दिया। चोर सुधर गए और राम के भक्त बन गए।

प्रसिद्ध हिंदू महाकाव्यों में से एक, रामायण मूल रूप से 500 और 100 ईसा पूर्व के बीच संस्कृत कवि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में लिखा गया था। संस्कृत भाषा में होने के कारण, यह महाकाव्य जनसाधारण के लिए सुलभ नहीं था। 16वीं शताब्दी में, गोस्वामी तुलसीदास ने रामायण को हिंदी भाषा की अवधी बोली में लिखा और अवधी संस्करण को रामचरितमानस (श्री राम के कर्मों की झील) कहा जाता है। सन 1964 ईस्वी में, सुर्का परिवार ने उसी स्थान पर एक मंदिर का निर्माण किया, जहाँ गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखा था। तुलसी मानस मंदिर, संकट मोचन मार्ग पर, दुर्गा कुंड से 250 मीटर दक्षिण में, संकट मोचन मंदिर से 700 मीटर उत्तर-पूर्व में और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से 1.3 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।

रामचरितमानस के कारण, महाकाव्य रामायण को बड़ी संख्या में लोगों द्वारा पढ़ा जाने लगा, जो रामायण को संस्कृत में होने के कारण नहीं पढ़ पाते थे। कथित तौर पर, रामचरितमानस से पहले, भगवान राम को एक महान राजा के रूप में चित्रित किया गया था और यह रामचरितमानस था, जिसने उन्हें एक देवता के रूप में सम्मानित किया। मंदिर का उद्घाटन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा किया गया था।

सन्दर्भ:-
1. http://www.dlshq.org/saints/tulsidas.htm
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Tulsi_Manas_Mandir
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Tulsidas



RECENT POST

  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के खेतों की सिंचाई में, नहरों की महत्वपूर्ण भूमिका
    नदियाँ

     18-12-2024 09:21 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id