हर मौसम और ऋतू की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं जो हमारे लिये अपने साथ बहुत रोमांच लेकर आती हैं। और वास्तव में इन ऋतुओं और मौसमों का परिवर्तित होना आवश्यक भी है क्योंकि हमारी ज़रुरतें काफी हद तक इन पर निर्भर हो गयी हैं। उदाहरण के लिये अगर हमें आम की खेती करनी है तो उस के लिये हम गर्मियों का इंतज़ार करते हैं और यदि हमें खुमानी चाहिए तो हम सर्दियों का इंतज़ार करते हैं। किंतु क्या आपने कभी ये सोचा कि आखिर ये ऋतुएं और मौसम परिवर्तित होते कैसे हैं?
दरसल पृथ्वी पर मौसम के बदलने का कारण इसकी झुकी हुई धुरी है। पृथ्वी की धुरी पृथ्वी के केंद्र से होते हुए शीर्ष से तल तक जाती है। पृथ्वी अपनी धुरी के चारों ओर चक्कर लगाती है और एक चक्कर को पूरा करने में उसे एक दिन अर्थात 24 घंटे का समय लगता है। हम सब जानते हैं कि पृथ्वी का आकार पूर्ण रूप से वृत्ताकार नहीं है। यह थोड़ी सी अंडाकार है जो कि अपनी धुरी पर सीधी खड़ी नहीं रहती। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा भी करती है तथा अपनी धुरी पर भी चक्कर लगाती है जिस कारण जब वर्ष के दौरान पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर झुकता है तो उत्तरी भाग सूर्य के सबसे निकट हो जाता है और वहां गर्मियां आ जाती हैं। क्योंकि दक्षिणी गोलार्ध इस समय सूर्य से दूर हो जाता है इसलिए वहां सर्दियां आ जाती हैं। इसी प्रकार जब दक्षिणी गोलार्ध की बारी आती है अर्थात जब दक्षिणी गोलार्ध का झुकाव सूर्य की ओर होता है तो दक्षिणी ध्रुव में गर्मियां आ जाती हैं तथा उत्तरी ध्रुव में ठंड होने लगती है। इस प्रकार पूरे वर्ष में पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों को सूर्य की सीधी किरणें प्राप्त होती हैं। पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध जून के आसपास सूर्य की ओर झुका हुआ होता है जबकि दक्षिणी गोलार्ध दिसंबर के आसपास सूर्य की ओर झुका होता है और इस प्रकार दोनों स्थानों पर गर्मियों का मौसम आता है।
इस प्रकार मौसम इसलिए परिवर्तित हो रहा है क्योंकि पृथ्वी अपनी धुरी पर सीधी नहीं खड़ी होती। पृथ्वी के झुके होने के संदर्भ में बहुत समय पहले यह माना जाता था कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तो पृथ्वी किसी बड़ी चीज़ से जा टकराई जिस कारण यह थोड़ा झुक गयी। पृथ्वी से टकराने वाली उस बड़ी चीज़ को वैज्ञानिकों द्वारा थिया (Theia) कहा गया।
यदि अचानक पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना बंद हो जाये तो वायुमंडल भूमध्य रेखा पर पृथ्वी की 1,100 मील प्रति घंटे की गति के साथ गतिशील रहेगा। इस कारण चट्टानें, पेड़, इमारतें, पशु इत्यादि सभी चीज़ें वायुमंडल में बह जाएंगी। चूंकि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमना बंद कर देगी, तो पृथ्वी का आधा हिस्सा सूर्य की तरफ होगा, जहां छह महीने तक सूर्य का प्रकाश पड़ेगा और छह महीने तक दिन रहेगा। यदि आप लगातार इतने समय तक सूर्य के प्रकाश में रहते हैं तो कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। ये क्षेत्र अत्यधिक गर्म हो जाएंगे और इससे फसलों को भी भारी नुकसान होगा। और ऐसा ही पृथ्वी के दूसरे हिस्से पर भी होगा, जहां छह महीने तक रात रहेगी, जब तक कि पृथ्वी घूमती नहीं है, तब तक उसके दूसरे हिस्से पर सूर्य की किरणें नहीं पड़ेंगी। पेड़ों को प्रकाश संश्लेषण के लिए सूर्य की रोशनी की आवश्यकता होती है और सूर्य के प्रकाश की कमी या अत्यधिक प्रकाश के कारण पेड़ों को भारी नुकसान होगा और खाद्य श्रृंखला टूट जाएगी। पृथ्वी के न घूमने की वजह से पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र भी गायब हो जायेगा।
पृथ्वी का यह झुकाव लगभग 23.5 डिग्री के कोण पर है। झुकाव का कोण समय के साथ बदलता जाता है जो अधिकतम 24 डिग्री तथा न्यूनतम 22.5 डिग्री हो सकता है। जब झुकाव न्यूनतम कोण पर पहुँचता है, तो यह पृथ्वी को हिमयुग में बदल देता है। जब पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है, तो यह वायु धाराओं को भूमध्य रेखा से होकर उत्तर और दक्षिण में एक सीधी रेखा में जाने से रोकती है। यह उत्तरी गोलार्ध में दाईं ओर और दक्षिणी गोलार्ध में बाईं ओर हवाओं को दिशा देती है। इस प्रकार पृथ्वी की झुकी हुई धुरी का घूर्णन और परिक्रमण पृथ्वी में हवा की दिशा, तापमान, समुद्र की धाराओं और वर्षा को भी प्रभावित करके हमारे दैनिक मौसम और वैश्विक जलवायु का कारण बनती है।
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संदर्भ:
1. https://spaceplace.nasa.gov/seasons/en/
2. https://image.gsfc.nasa.gov/poetry/ask/q1168.html(What would happen if the earth stopped spinning)
3. https://sciencing.com/about-6737591-effect-revolution-rotation-climate-weather.html
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