भारतीय पारम्परिक परिधान को चार चांद लगाता है मोगरा

जौनपुर

 11-07-2019 12:50 PM
बागवानी के पौधे (बागान)

आपने अक्सर दक्षिण भारतीय महिलाओं को पारम्परिक परिधान में देखा होगा जिसके अंतर्गत उन्होंने अपने बालों में एक सुंदर गजरा भी सजाया होता है। वास्तव में गजरे का चलन भारत में सदियों पहले से चला आ रहा है जिनमें मोगरे के फूलों से बने गजरों का अपना महत्वपूर्ण स्थान है।

मोगरे का वानस्पतिक नाम जैस्मिनम सैम्बेक (Jasminum sambac) है जो मुख्यतः दक्षिण एशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। फिलिपींस के इस राष्ट्रीय पुष्प को संस्कृत में मालती या मल्लिका कहते हैं। भारत में मोगरे को जूही, चमेली, चम्पा आदि नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। यूं तो इसकी खेती भारत में हर जगह की जाती है किंतु वाणिज्यिक रूप से इसकी खेती कोयम्बटूर, मदुरई, तमिलनाडु, बैंगलोर, बेल्लारी, मैसूर, कोलार (कर्नाटक), जौनपुर, गाज़ीपुर, उदयपुर, जयपुर, अजमेर और कोटा (राजस्थान), आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र आदि तक सीमित है। मोगरे की कुछ मुख्य किस्में जैस्मिनम औरिकुलेटम (Jasminum auriculatum), जैस्मिनम ग्रैंडिफ़्लोरम (Jasminum grandiflorum), जैस्मिनम सैम्बेक (Jasminum sambac) और जैस्मीनम पुबेसेंस (Jasminum pubescens) हैं।

मोगरे को मिट्टी की एक विस्तृत श्रृंखला पर उगाया जा सकता है। अच्छी तरह से सूखी दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिये आदर्श है जिसका pH स्तर 6.5-7.5 के बीच होना चाहिए। उष्णकटिबंधीय जलवायु तथा 800 से 1000 मिमी वार्षिक वर्षा इसके लिये उपयुक्त होती है। यह 1200 मीटर तक अच्छी तरह से विकसित हो सकता है। मोगरे को कर्तन (कटिंग-cutting), लेयरिंग (Layering), रोपण (ग्राफ्टिंग-grafting), टिशू कल्चर (Tissue culture) आदि विधियों द्वारा प्रवर्धित किया जा सकता है।

भारत के अधिकांश हिस्सों में मोगरे के रोपण के लिए सबसे अच्छा समय मानसून के दौरान होता है। लेकिन बैंगलोर में इसे किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है। उत्तर भारत में रोपण के लिए आदर्श समय जुलाई-अगस्त के बीच तथा जनवरी-फरवरी के अंत का है, जबकि दक्षिण भारत में रोपण जुलाई-दिसंबर के बीच किसी भी समय किया जा सकता है। इसे लगाने के लिये पहले मिट्टी को अच्छी तरह से चूर्णित किया जाता है और आस-पास के खरपतवार निकाल दिए जाते हैं। रोपण से लगभग एक महीने पहले 45 सेमी3 के गड्ढे तैयार किए जाते हैं और उन्हें सूर्य के प्रकाश के संपर्क में लाया जाता है। रोपण से कुछ दिन पहले गड्ढों को खाद, मिट्टी और खुरदुरी बालू से 2:1:1 के अनुपात में भरा जाता है। इस मिश्रण को ठीक बनाने के लिये इसमें पानी डाला जाता है।

रोपण की विधि:
प्रत्येक गड्ढे में कटाई और छंटाई से प्राप्त किये गये मज़बूत स्वस्थ और अच्छी जड़ों वाले मोगरे के अंकुरों को रोपा जाता है। भारत के अधिकांश हिस्सों में रोपण के लिए सबसे अच्छा समय मानसून है। मिट्टी को अंकुरों के चारों ओर मज़बूती से दबाया जाता है तथा इन्हें तुरंत पानी से सींचा जाता है। पोषण के लिये पौधों में फूल उगने से पहले 0.25% ज़िक (Zinc) और 0.5% मैग्नीशियम (Magnesium) का छिड़काव किया जाता है। उचित वृद्धि और फूल के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है। गर्मियों के महीनों में सप्ताह में एक बार पानी की प्रचुर मात्रा से पौधों की सिंचाई की जाती है। फूलों के आने के बाद अगली छंटाई और कटाई तक किसी भी सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। अच्छी पैदावार के लिये खरपतवार निकालना आवश्यक है जिसके लिये हाथों से खरपतवार नियंत्रण एक प्रभावी प्रक्रिया है जोकि बहुत महंगी है। इसलिये मोगरे के पौधों के साथ अगर शहतूत की पौध को लगाया जाये तो खरपतवार नियंत्रण और भी आसान हो जायेगा। शुरुआती वर्षों में जब पौधों के बीच पर्याप्त जगह होती है, तो सब्ज़ी की फसलें और सजावटी पौधे अंतर-फसल के रूप में उगाए जा सकते हैं। 3 वर्ष से लेकर 12-15 साल तक मोगरा आर्थिक उपज देता है लेकिन इसके बाद इसकी पैदावार घटने लगती है। ताज़े फूलों की प्राप्ति के लिए सुबह का समय उपयुक्त होता है जिसमें पूरी तरह से विकसित फूलों की कलियों को चुना जाता है। इसकी कटाई के लिये अधिक मानव सामर्थ्य की आवश्यकता होती है।

भारत में मोगरा उत्पादन में तमिलनाडु का प्रथम स्थान है जहां से इसका निर्यात श्रीलंका, मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर आदि देशों में किया जाता है। इन फूलों की महक बहुत अच्छी होती है जिसके कारण इनका उपयोग विभिन्न कार्यों के लिये किया जाता है। धार्मिक अनुष्ठानों, गुल्दस्ता, सजावटी माला आदि बनाने में इन फूलों का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग प्राचीन काल से ही श्रृंगार-प्रसाधन सामग्रियों और इत्र बनाने में किया जाता रहा है। दक्षिण भारत सहित दिल्ली, अजमेर, जयपुर, कोटा, बीकानेर आदि में मोगरे के फूल की मालाएँ बहुत पसंद की जाती हैं। इन फूलों की सबसे खास बात यह है कि इनसे बनने वाला गजरा पूरे देश (विशेष रूप से दक्षिण भारत) में बहुत लोकप्रिय है। गजरा सदियों से भारतीय महिलाओं के सौंदर्य को बढ़ाता रहा है। प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठानों और उत्सवों में यह दक्षिण भारतीय महिलाओं द्वारा विशेष रूप से पहना जाता था जोकि अब पूरे देश में व्यापक हो गया है। आधुनिक युग में गजरे की लोकप्रियता और भी अधिक बढ़ गयी है क्योंकि वर्तमान में हर भारतीय दुल्हन ने गजरे को अपने परिधान का हिस्सा बना लिया है। इसका उपयोग दुल्हन के बालों को सजाने के लिये विभिन्न तरीकों से किया जा रहा है। कुछ मामलों में मोगरे के फूलों को गुलाब की कलियों के साथ भी बालों में सजाया जाता है ताकि इसे और अधिक सुंदर और अलंकृत रूप दिया जा सके।

जहां मोगरा सौंदर्य प्रसाधन में उपयोग किया जाता है वहीं इसके कुछ औषधीय उपयोग भी हैं। मोगरे के फूलों में कवक प्रतिरोधी गुण होते हैं जो कवकीय-संक्रमण को ठीक करते हैं। मोगरे का इत्र कान के दर्द में भी प्रयोग किया जाता है तथा कोढ़, मुँह और आँखों के रोगों में भी लाभ देता है।

संदर्भ:
1. https://www.agrifarming.in/jasmine-farming
2. http://vikaspedia.in/agriculture/crop-production/package-of-practices/flowers/jasmine
3. https://www.utsavpedia.com/attires/gajra/
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Jasminum_sambac
5. https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BE



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id